देहरादून (ब्यूरो)। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कई व्हीकल ऐसे हैं, जिनके टैक्स जमा नहीं हुए हैं। इनमें वह गाडिय़ां भी शामिल हैं, जो काफी पुरानी हो चुकी है। जिनका दस-दस लाख रुपये का टैक्स जमा नहीं किया गया है।
-कोरोनाकाल में दी गई थी 6 माह की राहत।
-देहरादून में टैक्स बकाया- 74 करोड़
-दून में गाडिय़ों का बकाया टैक्स- 22400
-1 से 10 लाख तक का टैक्स- 1900 व्हीकल्स
-इतने लोगों को किया गया फोन- 2200
-इतने व्हीकल स्वामियों को दिया नोटिस- 9000
-डीएम ऑफिस में भेजी डुप्लीकेट आरसी- 4000
-दून में रजिस्टर्ड ई-रिक्शा- 2910
यह फंसा पेंच
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के अनुसार परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड व्हीकल स्वामियों को नोटिस भेजा जा चुका है लेकिन, कोरोनाकाल में कॉमर्शियल व्हीकल चालकों को 6 माह के टैक्स में छूट दी गई थी। जिसे अलग कर दिया जाए तो करीब 70 करोड़ तक का टैक्स है।
कई साल पुरानी गाडिय़ों का टैक्स
आरटीओ के अधिकारियों के अनुसार 20-25 गाडिय़ां ऐसी हैं, जिनका बकाया टैक्स 10 लाख रुपये तक है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इन गाडिय़ों को स्क्रैप या कंडम कर दिया हो, लेकिन इसकी जानकारी वाहन स्वामी ने विभाग को नहीं दी।
ई-रिक्शा पर पर भी लगाया टैक्स
केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार केन्द्र सरकार की ओर से शुरुआत के 1 लाख ई-रिक्शा व इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रदेश में टैक्स में रियायत दी जाए। लेकिन इसके विपरीत आरटीओ में रजिस्टर्ड सभी ई-रिक्शा व इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी टैक्स लगाया गया है। उत्तराखंड में एक्ट को अपडेट नहीं किया गया। इसका खामियाजा ई-रिक्शा ओनर उठा रहे हैं।
चोरी गई गाड़ी पर टैक्स पौने दो लाख
ज्वालापुर निवासी बुजुर्ग रामभरोसे बीते 5 दिन से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के ऑफिस में चक्कर काट रहे हैं। उनकी 2018 में गाड़ी चोरी हो गई थी। कई बार शिकायत दर्ज करने के बाद भी कुछ कार्रवाई नहीं हो पाई। अब घर पर पौने दो लाख का टैक्स का नोटिस पहुंचा तो टैक्स माफी के लिए आरटीओ कार्यालय गए। लेकिन उन्होंने परिवहन आयुक्त के कार्यालय में भेज दिया। तब से चार से पांच बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन टैक्स माफ नहीं हो पा रहा। सूत्रों के अनुसार ऐसे और भी कई मामले हो सकते हैं।