- थोक मंडी से फुटकर मार्केट तक बढ़ रह छह से सात गुना तक भाव
- आम आदमी की जेब पर चल रही कैंची
दाल के साथ बिगड़ा सब्जियों का भी स्वाद
DEHRADUN: दाल तो आम आदमी का बजट बिगाड़ ही रही है, लेकिन सब्जियां भी जेब पर आरी चलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं। महंगाई भी सिटी के डिफरेंट एरियाज में अपना रूप अलग अंदाज में बदल रहीं है। सिटी के हाईफाई एरियाज से लेकर दूसरे इलाकों तक में सब्जियों के दाम बदल रहे हैं। मंडी भाव पर गौर करें तो थोक और फुटकर के भाव में दस गुना तक का अंतर देखने में आता है। जगह के हिसाब से रूप बदलती महंगाई ने तब और भी चौंका दिया जब आईनेक्स्ट की टीम ने रियलिटी चेक किया। आम सी दिखने वाली ब् रुपए की लौकी मंडी से बाहर आते ही ख्भ् रुपए किलो के दाम पर बिकने लगती है।
चौंका रहा फुटकर और मंडी के भाव का डिफरेंस
थोक मंडी से फुटकर मंडी तक पहुंचने तक सब्जी का दाम भी आसमान छू रहा है। व्यापारी, बिचौलियों और तरह तरह के टैक्स के चलते सब्जी का दाम पर आठ गुना तक वसूल किया जा रहा है। थोक और फुटकर रेट का डिफरेंस इतना चौंकाने वाला है कि लौकी, टमाटर, नींबू, करेला, बैंगन जैसी सब्जियां जिनके दाम थोक मंडी में महज फ् से भ् रुपया है वह फुटकर मंडी तक जाते-जाते ख्भ् से फ्0 रुपए में बिक रही है।
यह है महंगाई का सफर
क्- किसान द्वारा सब्जियां मंडी परिषद तक लाई जाती है।
ख्- मंडी में किसान सामान की नीलामी करता है।
फ्- व्यापारी सबसे ज्यादा बोली लगाकर सामान को खरीदता है।
ब्- इसके बाद बड़ा व्यापारी छोटे व्यापारी को मय मुनाफा सब्जी देता है।
भ्- किसान द्वारा उपलब्ध कराई गई सब्जियां मिक्स्ड क्वॉलिटी की होती है।
म्- छोटे व्यापारी इन्हें अलग कर क्वॉलिटी कैटेगरी बनाते हैं।
7- व्यापारी तीन तरह की क्वॉलिटी को अलग करते हैं।
8- इसके बाद आढ़ती के यहां इन सब्जियों को तोला जाता है।
9- तुलाई के बाद सब्जियों की पैकेजिंग यानि बोरियों में भरा जाता है।
क्0- बोरी के साइज के हिसाब से पांच से दस रुपए कीमत ओर बढ़ाई जाती है।
क्क्- छोटे व्यापारी से मोहल्ले में फेरी वाले अपना मुनाफा जोड़ घर-घर बेचते हैं।
क्ख्- छोटे व्यापारी और फुटकर दुकानदारों द्वारा पॉलीथिन आदि का उपयोग।
क्फ्- सिटी के डिफरेंट एरियाज में लगी मंडियों में लगने वाला ढाई परसेंट टैक्स।
क्ब्- आउटर एरियाज से सिटी में लाए जाने वाले माल पर पुलिस की वसूली।
फुटकर व्यापारी करते हैं मनमानी
फुटकर व्यापारी सब्जियों के दामों को तेजी देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। व्यापारी माल भाड़े से लेकर सब्जियों के खराब होने की स्थिति और अन्य कार्यो के नाम पर सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी करते हैं। हालांकि फुटकर व्यापारी इसके पीछे का कारण सामान को मंडी से दुकान तक लाने में अधिक खर्च बताते हैं। इसके अलावा सब्जियों के रख रखाव, दुकान में काम करने वाले की लेबर व बची हुई सब्जियों के खराब होने पर होने वाले नुकसान आदि की भरपाई करने के का खर्च जोड़ा जाता है। जिस कारण सब्जियों के दाम हवा-हवाई होने लगते हैं। जिसके बाद मजबूरन पब्लिक को इन्हीं दामों पर सब्जियां खरीदनी पड़ती है।
उधार में माल भी देता है महंगाई को हवा
मंडी परिषद के अध्यक्ष रविंद्र सिंह ने बताया कि मंडी में छोटे थोक व्यापारी माल को खरीदने पहुंचते है। यहां उन्हें आढ़ती माल के कट्टे पर साढ़े तीन परसेंट का चार्ज लगता है। इसके अलावा मंडी समिति का डेढ़ परसेंट अलग से देना होता है। उस पर अगर व्यापारी आढ़ती से माल को उधार लेता है तो इस पर भी कीमत में एक परसेंट एक्स्ट्रा बढ़ जाती है। इतना खर्च देने के बाद सब्जियों को अपनी लोकल छोटी मंडी तक पहुंचाने में कई जगह वसूली भी होती है। कुल मिलाकर छोटी लोकल मंडियों तक पहुंचने से पहले ही सब्जियों के दाम दो से आठ गुना तक बढ़ जाते हैं।
पॉश एरियाज में बुरा हाल
यूं तो सब्जियां मंडी के बाहर सभी जगह महंगी हैं। लेकिन सिटी के पॉश एरियाज में महंगाई की मार सबसे ज्यादा है। बड़े इलाकों में सब्जियों के दामों में करीब पांच से आठ गुना बढ़ोतरी है। इन इलाकों में सबसे ज्यादा महंगाई वसंत विहार, जीएमएस रोड, अनुराग चौक और कारगी चौक जैसे इलाके शामिल हैं। इन सभी इलाकों से मंडी खासी दूरी पर है। ज्यादातर लोगों को फेरी वाले और छोटे सब्जी व्यापारी के भरोसे ही रहना पड़ता है।
सब्जियों के रेट्स (प्रति किलो)
सब्जी थोक फुटकर
आलू क्0 रुपए क्भ् रुपए
प्याज ख्ब् रुपए फ्0 रुपए
टमाटर 8 रुपए फ्0 रुपए
गाजर क्8 रुपए ब्0 रुपए
बैगन भ् रुपए ब्0 रुपए
कद्दू ब् रुपए ख्0 रुपए
भिंडी ख्0 रुपए फ्भ् रुपए
लौकी फ् रुपए ख्भ् रुपए
करेला भ् रुपए फ्0 रुपए
शिमला मिर्च क्ख् रुपए ब्0 रुपए
फूल गोभी ख्भ् रुपए 70 रुपए
तोरई क्भ् रुपए फ्0 रुपए
बंद गोभी भ् रुपए क्0 रुपए
बींस फ्0 रुपए 80 रुपए
कटहल क्0 रुपए म्0 रुपए
नींबू म्0 रुपए 80 रुपए
मिर्च फ्0 रुपए ब्0 रुपए
मटर ख्भ् रुपए क्00 रुपए
खीरा भ् रुपए फ्0 रुपए
लहसुन 80 रुपए क्00 रुपए
मूली फ् रुपए क्भ् रुपए
टींडा ब्0 रुपए म्0 रुपए
अदरक क्00 रुपए क्म्0 रुपए
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वर्जन---
सब्जियों के दाम बढ़ने में सबसे बड़ा कारण है कि कई तरह की क्वॉलिटी एक साथ होती है। जिसे फुटकर दुकानदार छांटते है। ऐसे में माल का एक बड़ा हिस्सा खराब निकलता है। जिससे उसका दाम बढ़ जाता है। सब्जियों के दामों को लेकर मंडी समिति केवल मंडी तक ही सीमित हो गई है.बाहरी महंगाई के लिए प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। इसे लेकर हमारे द्वारा डीएम से भी वार्ता की गई थी। लेकिन कोई ठोस कदम प्रशासन ने नहीं उठाए। प्रशासन अगर मदद करे तो मंडी समिति इस पर लगाम लगा सकती है, लेकिन इसके लिए ठोस कदम प्रशासन को ही उठाने होंगे।
------रविंद्र सिंह, अध्यक्ष, मंडी समिति
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होल सेलर्स
इस समय सबसे कम कद्दू बिक रहा है, क्योंकि उसकी फसल सबसे ज्यादा है। कद्दू ना कोई खरीद रहा है ना कोई खा रहा है। हमारे यहां मटर हिमाचल से कद्दू सहारनपुर से और कटहल लोकली ही ली जाती है।
- जितेंद्र विजान, आढ़ती
सब्जियों ज्यादातर पहाड़ से आती है। फसल पर कोई बुरा प्रभाव न पड़ा हो तो सब्जियों के दाम में ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिलता। इस वक्त सबसे ज्यादा गोभी, लौकी और बैंगन बिक रहे हैं।
----- दिलीप कुमार, व्यापारी
टमाटर ज्यादातर नासिक, सिलीगुड़ी, उत्तराखंड, सहारनपुर से आता है। माल ज्यादा आता है तो मंडी में रेट मंदा हो जाता है।
- बृजमोहन खेड़ा, आढ़ती
हम आलू प्याज पंजाब से मंगवाते है। इस साल फसल अधिक होने से आलू के रेट भ्0 परसेंट तक घटे हैं।
-सतपाल मित्तल, व्यापारी
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रीटेलर्स
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सब्जियों के दामों में ज्यादा फर्क नहीं है, बारिश के दिनों में भाव आसमान छुएगा। हमारे दाम तो मंडी के भाव के आधार पर तय होते हैं।
--- इदरिश, रीटेलर, पटेल नगर
ऑफ सीजन के चलते बाजार में सब्जियां महंगी हो गई है। डिमांड वाली सभी सब्जियों के दाम काफी तेज हो गए हैं।
----- राजेश, रीटेलर, गांधी ग्राम
लहसुन, अदरक और नींबू की फसल इस साल बेहतर नहीं हुई है। इस साल इन तीनों के दामों में फर्क देखने में आया है।
---- महमूद, रीटेलर, भंडारी बाग
सब्जियां बड़ी मंडी से लाई जाती है। । जो भाव वहां का होता है उसी हिसाब से मुनाफा लगाकर आगे बिक्री की जाती है।
---- नसीम, रीटेलर, लाल पुल मंडी
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