देहरादून (ब्यूरो) बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अनुसार इस वर्ष 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अब तक 15,612 वीआईपी व वीवीआईपी और उनके संदर्भों से आए महानुभावों ने दर्शनों का लाभ उठाया है। इससे बीकेटीसी को 46,83,600 का लाभ हुआ। ऐसे ही 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अभी तक 36,084 हजार वीआईपी व वीवीआईपी दर्शनों के लिए पहुंचे। इनसे मंदिर समिति को 1,08,25,200 की आय प्राप्त हुई।
पहले नहीं थी नई व्यवस्था
यात्राकाल में दोनों धामों में प्रोटोकॉल के तहत वीआईपी व वीवीआईपी यात्रियों की अक्सर भीड़ लगी रहती है। बीकेटीसी वीआईपी श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर दर्शन कराती थी और निशुल्क प्रसाद भी देती थी। इन श्रद्धालुओं से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था। वीआईपी व वीवीआईपी श्रद्धालुओं के नाम पर अनेक अव्यवस्थाएं भी पैदा होती थीं।
खुद सीएम ने कटवाई पर्ची
इस वर्ष यात्राकाल से पूर्व बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने देश के चार बड़े मंदिरों वैष्णोदेवी, तिरुपति बालाजी, सोमनाथ व महाकाल मंदिर में विभिन्न व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए दल भेजे। दलों ने वहां की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर मंदिरों में आने वाले वीआईपी व वीवीआईपी से दर्शनों के लिए शुल्क निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा था। बीकेटीसी ने अध्ययन दलों के सुझाव पर प्रति व्यक्ति 300 रुपये निर्धारित किया था। इसके बाद नई व्यवस्था के तहत वीआईपी व वीवीआईपी के नाम पर अनावश्यक रूप से दर्शनों के लिए घुसने वालों पर भी रोक लगी है। शुरुआत केदारनाथ से हुई। कपाट खुलने पर सबसे पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी की पर्ची काटी और 300 रुपए का शुल्क चुका कर दर्शन किए।
पट्टिका स्थापित कर खुश कैलाश सुथार
बदरी-केदार मंदिर समिति के तत्वाधान में राजस्थान के दानीदाता कैलाश कुमार सुथार ने बदरीनाथ मंदिर के आगे बदरीनाथ मंदिर की नाम पट्टिका स्थापित की। बदले में बीकेटीसी अध्यक्ष ने उनका आभार जताया। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा। हरीश गौड़ के मुताबिक भगवान के नाम की नाम पट्टिका लगने से श्रद्धालुजन दूर से दिन व रात में बदरीविशाल के मंदिर का नाम देख पा रहे हैं। कैलाश कुमार सुमेरपुर (पाली) राजस्थान के निवासी हैं। वहां, उनकी लेजर फ्लैक्स, कार्ड बोर्ड, लिखाई की 4 भुजा ईएनसी के नाम से फर्म हैं। वे राजस्थान से बदरीनाथ धाम नाम की 5 लाख की पट्टिका बदरीनाथ धाम लाए और स्थापित किया।
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