देहरादून (ब्यूरो) वर्तमान में दून समेत पूरे राज्य में 4.9 करोड़ यूनिट तक की रोजाना डिमांड है। जबकि उत्तराखंड जल विद्युत निगम का बिजली उत्पादन 80 लाख यूनिट तक हो रहा है। ऊर्जा निगम के पास केंद्र और राज्य को मिलाकर 3.6 एमयू की उपलब्धता है। 1.3 एमयू रोजाना की कमी है। इसमें से 7 से लेकर 8 करोड़ यूनिट बिजली बाहरी एजेंसियों से खरीद की जा रही है। बाकी डिमांड कटौती की जा रही है।

400 मेगावाट की मदद होगी खत्म
उत्तराखंड में बिजली क्राइसिस को देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल एक वर्ष के लिए 400 मेगावाट बिजली विशेष सहायता के रूप में जारी की थी। इसका टाइम 31 मार्च को पूरा हो रहा है। इससे देखते हुए ऊर्जा निगम काफी सतर्क हो गया है। बताया जा रहा है कि निगम प्रबंधन ने दो साल के लिए विशेष सहायता के तौर पर 400 मेगावाट बिजली की मांग का प्रस्ताव फिर केंद्र सरकार को भेजा है। फिलहाल इस संबंध में अभी तक केद्र सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

150 मेगावाट और हो जाएगी बंद
ऊर्जा निगम के अफसरों ने बताया कि गैस आधारित बिजली के अलावा एनर्जी एक्सचेंज से भी तीन माह के लिए 100 मेगावाट बिजली खरीदी गई है। दरअसल केंद्र ने पिछले साल मार्च में 350 मेगावाट बिजली राज्य को दी थी। जो वर्तमान में 150 मेगावाट ही मिल रही है। 31 मार्च को यह भी मिलनी बंद हो जाएगी।

गर्मी में मांग पहुंचेगी चरम पर
दून समेत पूरे राज्य में गर्मी के चलते अप्रैल, मई और जून में बिजली की मांग चरम पर रहती है। इस बार बारिश काफी कम होने से पावर प्रोजेक्टों के पहिए कम घूमने से पावर प्रोडक्शन काफी गिर गया है, आगे और संकट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार की सहायता नहीं बढ़ती है, तो राजधानी समेत पूरे राज्य में बिजली व्यवस्था बुरी तरह चरमरा सकती है।

बिजली का इंतजाम पूरा
निगम के डायरेक्टर ऑपरेशन एमआर आर्य ने बताया कि अगले दो साल तक के लिए गैस आधारित प्लॉन्ट्स से टाइअप किया गया है। इससे जरूरत के हिसाब से करीब 300 मेगावाट बिजली मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा एनर्जी एक्सचेंज से 100 मेगावाट बिजली खरीदी गई है, जो 15 मार्च से अगले तीन माह तक के लिए उपलब्ध होगी।

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