देहरादून(ब्यूरो) दरअसल, जिस वक्त एनडी तिवारी शासनकाल में उत्तराखंड लोकायुक्त का गठन हुआ था। उस वक्त लोकायुक्त का कार्यालय कौलागढ़ रोड पर स्थित था। उसके बाद 10 वर्ष पहले यानि 2013 में लोकायुक्त का कार्यालय पटेलनगर में पर्यटन विभाग का मुख्यालय रह चुके बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ। इतने समय पटेलनगर में पर्यटन विभाग की बिल्डिंग पर लोकायुक्त कार्यालय चलता रहा। यहां तक कि तत्कालीन लोकायुक्त रहे जस्टिस एमएम घिल्डियाल ने लोकायुक्त मुख्यालय में पहुंचने वाली शिकायतों की हेयरिंग भी की। उनके जाने के बाद से अब तक नए लोकायुक्त की नहीं हो पाई। जिसका अब तक सभी को इंतजार है। लेकिन, अब पिछले कुछ दिनों में लोकायुक्त का मुख्यालय यमुना कॉलोनी शिफ्ट हो चुका है।
14 कमरों वाला नया लोकायुक्त ऑफिस
बताया गया है कि शासन की ओर से लोकायुक्त कार्यालय के शिफ्टिंग के लिए 83 लाख रुपए का आवंटन किया गया। नया लोकायुक्त कार्यालय लखवाड़ क्षेत्रावास बनाया गया है। जहां पर ऑफिस के लिए 14 कमरे आवंटित किए गए हैं। ऑफिस को शिफ्ट करने में कई दिन लगे और इसका क्रम 24 सितंबर से ही शुरू हो चुका है।
कर्मचारियों के सामने 4 माह से सैलरी का संकट
भले ही लोकायुक्त का कार्यालय शिफ्ट हो गया हो, लेकिन करीब 17 कर्मचारी अपनी चार महीने से सैलरी की टकटकी लगाए हुए हैं। कई कर्मचारियों का कहना है कि उनके सामने रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। वे रिश्तेदार से कर्ज लेकर अपने परिवार की आजीविका का संचालन कर रहे हैं। दरअसल, कुछ माह पहले हाईकोर्ट नैनीताल ने जनहित याचिका में लोकायुक्त को लेकर सरकार को निर्देश दिए थे। स्पष्ट किया था सरकार तीन माह में लोकायुक्त की नियुक्ति करे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक लोकायुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को वहां से वेतन न दिया जाए। इस पर अब तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है और कर्मचारियों के सामने सैलरी का संकट जारी है।
21 वर्ष पहले हुआ था लोकायुक्त का गठन
वर्ष 2002 में पहली निर्वाचित सरकार में लोकायुक्त का गठन हुआ था। 2008 तक राज्य के पहले लोकायुक्त जस्टिस एचएसए रजा रहे। उसके बाद रिटायर्ड जस्टिस एमएम घिल्डियाल दूसरे लोकायुक्त बने। उनका कार्यकाल 2013 तक रहा। तब से लेकर अब तक नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई है।