1 . एकला चलो की नीति ने रावत को स्वयंभू घोषित कर डाला।
2 . पार्टी संगठन की कभी नहीं सुनी और इससे खुद को संगठन का दुश्मन बना डाला।
3 । अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अपनी ही पार्टी के दूसरे कद्दावर नेताओं को ठिकाने लगाया।
4 . अपने ही कैबिनेट मंत्रियों की उनके विभागों में कभी नहीं चलने दी।
5 । पलायन की बात कहकर खुद राजनीतिक पलायन कर डाला।
6 । बीजेपी के घोटालों की बातें कह कर कोई जांच नहीं कराई।
7 . गैरसैंण राजधानी की बात बार-बार कही, लेकिन आखिरी वक्त तक फैसला नहीं किया।
8 । गैर राजनीतिक लोगों को ही अपना सलाहकार बनाया, जिससे पार्टी के नेता नाराज हुए।
9 . मुश्किल में हमेशा सरकार का साथ देने वाले पीडीएफ को न संगठन से बचा पाए और न आखिरी मौके तक उसका साथ दे पाए।
10. टिकट बंटवारे में ऐसे चेहरों को आगे लेकर आए जिनका राजनीति में कहीं कोई नाम-ओ-निशान नहीं था।
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