देहरादून (ब्यूरो)। बात हो रही गढ़ी कैंट में बनकर तैयार हुए हिमालयन कल्चर सेंटर यानि ऑडिटोरियम की। इस ऑडिटोरियम को बनते-बनते एक दशक का वक्त लगा। 2010 के दौरान तत्कालीन राज्यपाल मार्गेट अल्वा ने इस ऑडिटोरियम की आधारशिला रखी थी। सपने संजोए गए थे कि पूरे उत्तराखंड राज्य में में लोक कलाकारों व संस्कृति कर्मियों के लिए कोई विदेशी तर्ज पर ऑडिटोरियम नहीं है। लिहाजा, जल्द से जल्द इसका निर्माण कर इस ऑडिटोरियम को स्थानीय लोक कलाकारों को समर्पित किया जाए। लेकिन, इसके निर्माण में करीब 11 वर्ष से अधिक का समय बीत गया।

एक भी प्रोग्राम नहीं हो पाया
फिलहाल, चुनाव को देखते हुए गत वर्ष 2021 दिसबंबर फर्स्ट वीक में पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली इसका इनॉग्रेशन किया। उम्मीदें जगी थी अब तो लोक कलाकारों के सपने पूरे हो ही गए। लेकिन, बात नहीं बन पाई। इसी बीच नया वर्ष आया। राज्य में विधानसभा चुनावों का ऐलान हुआ और हिमालयन कल्चर सेंटर अब तक शुरू होने की बाट जोह रहा है। सच्चाई ये है कि अब तक इस बेशकीमती ऑडिटोरियम में एक भी प्रोग्राम की अधिकृत तौर पर शुरुआत नहीं हो पाई है। अब निगाहें नई सरकार पर टिकी हैं।

कैसे संचालन होगा, स्पष्ट नहीं
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो ऑडिटोरियम के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। वजह साफ है, विभाग के पास इतने भारी भरकम ऑडिटोरियम के संचालन के लिए न टेक्निकल स्टाफ है और न ही कर्मचारी। ऐसे में अब इसके संचालन के लिए निजी कंपनी को देने की तैयारी की जा रही है। संस्कृति विभाग के सचिव एचसी सेमवाल का कहना है कि चुनाव के बाद ही ऑडिटोरियम के संचालन पर निर्णय लिया जाएगा। कोशिश की जा रही हैं कि इसके लिए टेंडर इनवाइट किए जाएंगे। इसके लिए शासन से मंजूरी ली जाएगी।

हरिद्वार बाईपास ऑडिटोरियम का भी यही हाल
संस्कृति विभाग का हरिद्वार बाईपास रोड पर बनकर तैयार मिनी ऑडिटोरियम के संचालन में भी अब तक पेच फंसा है। इस ऑडिटोरियम को भी बनने में कई साल लगे। यूपी के दौरान स्वीकृत ऑडिटोरियम वर्ष 2018 में बनकर तैयार हो गया था। तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऑडिटोरियम के फ्रंट पर उत्तराखंड कल्चर का लुक देने के निर्देश दिए। कल्चर लुक दिया गया था। उसके बाद इसके संचालन की भी दिक्कत आई। डीएम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन हुआ। लेकिन, बात आगे नहीं बढ़ पाई और यह ऑडिटोरियम भी आज तक जस के तस हाल में है।