देहरादून ब्यूरो। दून में छोटे-छोटे बच्चों के लापरवाही से सड़कों पर वाहन दौड़ाने की पीछे सबसे बड़ी वजह पेरेंट्स की मानसिकता है। लोग खुद अपने छोटे-छोटे बच्चों को गाड़ी चलाना सीखने और सड़कों पर दौडऩे के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ज्यादातर लोग ऐसा करना अपना बड़प्पन मान रहे हैं और बच्चों के सड़कों पर वाहन दौड़ाने को अपने बच्चों की होशियारी मानते हैं, ऐसे में बच्चों से पहले पेरेंट्स का अवेयर करने की जरूरत है।
मजबूरी बताते हैं पेरेंट्स
इस मामले में जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कुछ पेरेंट््स से बात की तो उन्होंने इसे मजबूरी बताया। ऐसे पेरेंट्स का कहना है कि दून में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था ठीक न होने से हमें बच्चों को टूव्हीलर देना पड़ता है, जिससे वे स्कूल जाते हैं। बिना टूव्हीलर के बच्चे स्कूल ही नहीं जा पाएंगे।
ट्रिपल राइडिंग आम बात
दून में अपने टूव्हीलर्स से स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। आम तौर पर यह देखा जा सकता है कि ज्यादातर बच्चे हेलमेट नहीं लगाते और ट्रिपल राइडिंग भी स्कूली बच्चों में आमतौर से देखी जा सकती है। स्कूल से इतर भी बड़ी संख्या में बच्चे सड़कों पर ट्रिपल राइडिंग और हुड़दंग मचाते देखे जा सकते हैं। कई बार बच्चे दुर्घटनाओं के शिकार भी होते हैं।
क्या कहते हैं लोग
कम उम्र के बच्चों को टूव्हीलर देना खतरे से खाली नहीं है। बिना डीएल के टूव्हीलर ड्राइविंग नहीं कर सकते और कम उम्र में डीएल नहीं बनता। जाहिर है ये बच्चे बिना डीएल ड्राइव करते हैं। यह नियमों का भी उल्लंघन है।
हृदयेश साही
देहरादून में पब्लिक ट्रांसपोर्ट गिने-चुने मेन रूट पर ही उपलब्ध है, जबकि रिहायशी क्षेत्र काफी अंदर तक हैं। ऐसे में स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स के लिए टूव्हीलर जरूरी हो जाता है। सभी सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रकाश नेगी
मैंने कई पेरेंट्स देखे हैं जो अपने 13-14 वर्ष के बच्चे द्वारा हाईवे और भीड़ वाली सड़कों पर टूव्हीलर दौड़ाने की बात ऐसे बताते हैं जैसे उनके बच्चे ने एवरेस्ट फतह कर लिया हो। इस तरह की मानसिकता जब तक रहेगी, तब तक सुधार नहीं होगा।
गणेश धामी
नियमों का पालन पुलिस ही नहीं करती तो बाकी लोग क्या करेंगे। पुलिस हेलमेट न पहनने पर चालान करती है, लेकिन मुझे सड़कों पर कई बार पुलिस वाले बिना हेलमेट टूव्हीलर चलाते या रॉन्ग साइड गाड़ी चलाते हुए देखे हैं। पुलिस महकमा पहले खुद सुधरे, तब कुछ उम्मीद की जा सकती है।
नितिन मलेठा