देहरादून (ब्यूरो)। दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की महिला विंग के एएनसी व पीएनसी वार्ड में गर्भवती महिलाओं को बेड नहीं मिल पा रहा है। हॉस्पिटल में उन्हें एडमिट तो कर लिया जाता है, लेकिन दो और तीन गर्भवती महिलाओं को एक ही बेड पर रात गुजारनी पड़ रही है। दिन के वक्त महिलाएं जमीन पर बैठने के लिए मजबूर हैैं। वार्ड में बेड नहीं और बालकनी में बेंच नहीं। ऐसे में बेहतर इलाज का दावा खोखला नजर आ रहा है।

वक्त पर नहीं हो पा रही जांच
दून मेडिकल कॉलेज की महिला विंग में गर्भवती महिलाओं की समय से जांच नहीं हो पा रही है। विकासनगर से रेफर होकर आई एक गर्भवती का आरोप था कि उसे यहां रेफर किए 3 दिन हो चुके हैैं। लेकिन, अब तक उसकी जांच नहीं हो पाई है। एक दो बार ट्रेनी डॉक्टर आए भी लेकिन उन्हें ट्रीटमेंट नहीं दिया।

ये हाल है वाड्र्स का
वार्ड ---- बेड - भर्ती पेशेंट
एएनसी - 25 - 37
पीएनसी - 33 - 32
एचडीयू - 6 - 5
सर्जिकल वार्ड- 26-20
लेबर रूम - 08- 12

स्टाफ न होने से भी दिक्कत
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल व महिला हॉस्पिटल में आउटसोर्स 612 स्टाफ की अचानक छुट्टी हो जाने के कारण यहां व्यवस्था बिगड़ रही है। नर्सिंग स्टाफ, वार्ड ब्वॉय व टेक्नीशियन न होने के कारण कई तरह की जांच समय पर नहीं हो पा रही हैैं।

पहाड़ों से ज्यादा रेफरल केस
दून महिला हॉस्पिटल प्रदेश का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। यहां रोजाना 30-32 डिलिवरी होती हैं। हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार पहाड़ों से भी डिलीवरी के केस यहां आते हैं। जिससे हॉस्पिटल में दबाव बढ़ रहा है।


स्टाफ कह रहा है बेड नहीं हैैं
हम दो लोग एक ही बेड में सोने को मजबूर हैं। अलग वार्ड मांगा था। लेकिन, जगह न होने की बात कह रहे हैं। कल तो हम एक बेड में दो लोग थे। आज 3 लोग एक सिंगल बेड में लेटने को मजबूर हैं।
संगीता, पेशेंट

मुझे विकासनगर से दून हॉस्पिटल में रेफर किया गया है। लेकिन, यहां लेटने की जगह नहीं है। पहले दिन की रात तो बेंच पर गुजारी। अब बेड मिला तो दो पेशेंट को साथ रहना पड़ रहा है।
अंजली चौहान, पेशेंट

मैं यहां चार दिन से भर्ती हूं। अब तक डॉक्टर्स ने कुछ नहीं बताया कि कब डिलीवरी होनी है। बेड भी खाली नहीं मिल रहा, दो लोग कब तक एक बेड शेयर करेंगे। काफी दिक्कत हो रही है।
आसमा, पेशेंट

हॉस्पिटल में पहुंचने वाले किसी भी पेेशेंट को उपचार के लिए मना नहीं किया जाएगा। जैसे भी संभव होगा उपचार देने का प्रयास किया जा रहा है। स्टाफ की शॉर्टेज के कारण थोड़ी दिक्कत है। प्रबंधन को पत्र भेजा गया है।
डॉ। चित्रा जोशी, एचओडी गायनी, दून महिला हॉस्पिटल

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