देहरादून, (ब्यूरो): हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से सेलिब्रेट किया जाता है। इसका मकसद सोसाइटी में लड़कियों को एजुकेशन, हेल्थ और हर फील्ड में बराबरी का हक दिलाना है। आज की लड़कियां किसी से भी कम नहीं हैं और दून की बेटियों ने इस बात को साबित कर दिया है। चाहे उम्र कम हो, लेकिन उनके सपने और हौसले आसमान छूने वाले हैैं। दून से मुंबई तक का सफर हो या नेशनल और इंटरनेशनल स्पोट्र्स में अपनी पहचान बनानी हो, ये लड़कियां हर चुनौती का सामना कर रही हैं और एक अलग मुकाम पर हैैं।

औरा ने बनाई मासूमियत से पहचान

मशहूर टीवी शो बैरिस्टर बाबू में बोंदिता का किरदार निभाने वाली औरा भटनागर ने अपनी मासूमियत और टैलेंट से घर-घर में अपनी पहचान बनाई। औरा ने बहुत छोटी उम्र से ही एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। यूकेजी क्लास में ही उनके टीचर्स ने उनके टैलेंट को पहचाना और उनके पेरेंट्स से कहा कि वो एक्टिंग में औरा को आगे बढ़ाएं। दून से होने की वजह से उनके पेरेंट्स को शुरुआत में सब मैनेज करना मुश्किल लगा, लेकिन औरा ने अपने पेरेंट्स से सिर्फ एक मौका मांगा।

पहला मौका बना सफलता की सीढ़ी

जब औरा ने 8 साल की उम्र में अपनी मां से एक चांस मांगा, तब उन्हें बैरिस्टर बाबू में बोंदिता का रोल मिला और इस रोल ने उनकी जिंदगी बदल दी। बोंदिता का किरदार निभाने के बाद औरा ने एक टीवी शो अनुपमा में आद्या का किरदार निभाया। औरा कहती हैं कि उन्हें अपने काम से बेहद प्यार है और वो हर रोल को पूरी जिम्मेदारी और दिल से निभाती हैं, यही वजह है कि उन्होंने पहले ही शो से दर्शकों का दिल जीत लिया। पहले शो से ही औरा को दर्शको से बेसुमार प्यार मिला और ये सिलसिला बरकरार है। औरा बताती हैं कि वो हर रोल को निभाने से पहले अच्छे से सोच समझ कर ही कोई फैसला लेती हैं, उन्हें अपने काम से बेहद प्यार है।

12 साल की उम्र में चैंपियन बनी कायना

कायना ने सिर्फ 10 साल की उम्र में कराटे सीखना शुरू किया था। उनका कहना है कि स्पोट्र्स को लेकर उनका रुझान हमेशा से था और यही कारण था कि उन्होंने कराटे की ट्रेनिंग शुरू की। देखते ही देखते, वो नेशनल लेवल पर पहुंच गईं और वहां उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपनी काबिलियत दिखाई। 12 साल की उम्र में आने तक उनका कॉन्फिडेंस और ज्यादा बढ़ गया। चाहे दिल्ली हो या कोई और शहर, वो हर जगह जाकर कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले रही है। कायना का मानना है कि इस खेल ने उन्हें न सिर्फ मेडल दिलाया बल्कि उनके अंदर कॉन्फिडेंस भी भर दिया है।

नेशनल गेम की तैयारी में जुटीं

कायना ने पिछले साल उत्तराखंड कराटे चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था और अब वो नवंबर में होने वाले नेशनल गेम की तैयारियों में जुटी हुई हैैं। उनका अगला टारगेट एशियन चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करना और वहां भी मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना है।

गोल्फ की चमकती स्टार है आरोही

दून की रहने वाली आरोही अत्रि की गोल्फ के सफर की शुरुआत बचपन में हुई। उनके पिता आर्मी में हैं और जब आरोही छोटी थीं, तो वो उनके साथ सिर्फ टाइम पास के लिए गोल्फ खेला करती थीं। लेकिन कोरोना के दौरान जब सभी के पास वक्त था, तब आरोही ने इस खेल को सीरियसली लिया और 2020 में, जब वो 7वीं कक्षा में थीं, पूरी डेडिकेशन के साथ गोल्फ खेलने लगीं।

नेशनल लेवल पर धाक जमाई

आज आरोही नेशनल लेवल की गोल्फ प्लेयर है। उन्होंने 'इंडियन गोल्फ टूर्नामेंटÓ और 'शुभांकर शर्मा इनविटेशन टूर्नामेंटÓ में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। उनकी इस शानदार परफॉर्मेंस के चलते 2022 में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें सम्मानित किया। आरोही का कहना है कि ये तो बस शुरुआत है, उन्हें अब इंटरनेशनल लेवल पर भी इंडिया को रिप्रेजेंट करना है और वहां भी मेडल जीतना है। आरोही का कहना है कि ये तो बस शुरुआत है, आगे उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर भी भारत को रिप्रेजेंट करना है और वहां भी मेडल जीतना है।

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