- बीएड कालेजों में 50 प्रतिशत के लगभग सीटें खाली
- प्रवेश परीक्षा न कराने से गढ़वाल विवि की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
देहरादून (ब्यूरो): शैक्षिक सत्र का आधा समय बीतने को है और करीब 50 फीसदी सीटें अभी खाली रह गई है। यह स्थिति एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा बीएड प्रवेश परीक्षा नहीं कराए जाने से उत्पन्न होनी बताई जा रही है। उधर, गढ़वाल केंद्रीय विवि ने गुपचुप तरीके से सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीईयूटी) टेस्ट को अनुमति देकर प्रवेश शुरू किया और अधिकांश छात्रों को इसकी जानकारी नहीं हुई वह परीक्षा का इंतजार करते रहे। यदि अभी भी विवि प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं करता है, तो हजारों छात्र-छात्राओं को इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
हर वर्ष होता है बीएड एंट्रेस एग्जाम
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय हर वर्ष बीएड में प्रवेश लिए अपनी अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है और परीक्षा के जरिए ही संबद्ध कालेजों में बीएड में प्रवेश दिए जाते हैं। वर्तमान सत्र में छात्रों और कॉलेजों में यह मान लिया गया था कि विश्वविद्यालय ग्रांट कमीशन यूजीसी (यूजीसी) की ओर से संबद्ध कॉलेजों को सीईयूटी की बाध्यता से मुक्त रखा गया है। इससे स्पष्ट है कि बीएड प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होंगे, लेकिन विवि ने प्रवेश परीक्षा ही नहीं कराई।
गुपचुप दी सीईयूटी पास को प्रवेश की अनुमति
आरोप है कि एनएनबी गढ़वाल विवि ने अपनी प्रवेश परीक्षा न कराकर आखिरी में गुपचुप तरीके से सीईयूटी पास अभ्यर्थियों को बीएड में प्रवेश की अनुमति दे दी। इसका विवि स्तर से कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया। अधिकांश छात्रों ने सीईयूटी परीक्षा ही नहीं दी। वह गढ़वाल विवि की प्रवेश परीक्षा का इंतजार कर रह गए। विवि के एक गुपचुप फरमान ने हजारों छात्रों के बीएड करने के सपने को तोड़ डाला।
प्रवेश परीक्षा का करते रहे इंतजार
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के अधिकतर छात्र-छात्राएं सीईयूटी टेस्ट नहीं दे पाए और वह गढ़वाल विवि की प्रवेश परीक्षा का इंतजार करते रह गए। इसलिए बाहर से सीईयूटी करने वाले छात्र ही यहां कालेजों में बीएड में एडमिशन ले रहे हैं। यही वजह है कि राज्य में लगभग 50 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं।
प्रवेश परीक्षा कराए या एनसीटीई नियम हों फॉलो
अखिल भारतीय अनएडेड विवि और महाविद्यालय संगठन ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। महाविद्यालय संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा। सुनील अग्रवाल का कहना है कि सत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने नॉर्थ ईस्ट के विश्वविद्यालयों के साथ एचएनबी केद्रीय विवि से संबद्ध कॉलेजों को भी प्रवेश के लिए सीईटी की बाध्यता से मुक्त रखा था। विवि में बीएड को छोड़कर अन्य सभी कोर्सों में यूजीसी के निर्णय का पालन किया। उन्होंने विवि से मांग की है कि खाली सीटों को भरने के लिए या तो विवि अपनी प्रवेश परीक्षा कराए या फिर एनसीटीई के नियम तालिका के अनुसार योग्य छात्र-छात्राओं को प्रवेश की अनुमति दे।
38 कॉलेज से गढ़वाल विवि से संबद्ध
महाविद्यालय संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में विवि से लगातार पत्राचार किया गया। फिर भी विवि की ओर से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। एनएचबी गढ़वाल विवि से दून समेत प्रदेश भर में 38 बीएड कॉलेज संबद्ध है, जिनमें करीब 3 हजार छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं। यदि विवि प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं करता है, तो उनका यह साल खराब हो जाएगा।
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