देहरादून, ब्यूरो: हर इंसान के अंदर एक आर्टिस्ट छुपा होता है। बस उसे पहचानने और मौका देने की जरूरत होती है। लेकिन अक्सर, हम अपने अंदर के आर्टिस्ट को पहचान तो लेते हैं, पर उसे दुनिया के सामने लाना या उसे जिंदा रखना मुश्किल लगता है। अरविंद गैरोला ने इस चुनौती को न सिर्फ पार किया, बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने का प्लेटफॉर्म दिया। आज वो खुद एक आर्टिस्ट हैं और दूसरों को अपनी कला दिखाने का मौका और गाइडेंस भी दे रहे हैं। और आज उनकी पहचान दून के सबसे फाइन आर्टिस्ट्स में होती है। इनके बनाये हुए पेंटिंस एआईआईएमएस और फारेस्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन जैसे कई ब?े जगहों पर लगी हुई है।

केरल ने जगाई क्रिएटिविटी

अरविंद का सफर उत्तरकाशी से शुरू हुआ, जहां उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की। लेकिन मन हमेशा कुछ अलग और क्रिएटिव करने को बेचैन रहता था। इसी सोच ने उन्हें केरल की ओर खींचा, जहां उन्होंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। केरल का कल्चर और माहौल उन्हें काफी मोटिवेट करता था। वहां की क्रिएटिव एनर्जी ने उन्हें पेंसिल स्केचिंग शुरू करने की मोटिवेशन दी। इसके बाद, जब वो वापस दून लौटे, तो उन्होंने ऑयल पेंटिंग में हाथ आजमाने का सोचा। क्युकी ये आर्ट वर्क हमेशा से उनके दिल के करीब था। उन्होंने डीएवी कॉलेज के एक प्रोफेसर से 2-3 महीने ट्रेनिंग लेकर पेंटिंग करना शुरू कर दिया।

2000 में लगा क्रिएटिविटी पर ब्रेक, हुई करियर की शुरुआत

साल 2000 में उन्होंने एक पेंटिंग बनाई और उसपर ब्रेक लगा कर करियर बनाने में जुट गए। उन्होंने टूरिज्म सेक्टर में कदम रखा और एसओटीसी जैसी बड़ी कंपनी में काम शुरू किया। मेहनत और हुनर की वजह से उन्होंने वहां तेजी से तरक्की की और जीएम के पद तक पहुंचे और ये वो समय था जब वो एंटायर नॉर्थ और ईस्ट के कस्टमर सर्विस डिपार्टमेंट को हेड कर रहे थे। अरविन्द बताते है की इतना कुछ हासिल करने के बाद भी वो खुद से यही सवाल किया करते थे की अब आगे और क्या करना है।

2012 दोबारा शुरू किया सफर

जब वो अपनी लाइफ में स्टेबल हो चुके तो अरविंद ने अपने अंदर के आर्टिस्ट को फिर से जगाने का सोचा, और साल 2012 में उन्होंने पेंटिंग करना फिर से शुरू किया। कुछ महीनों तक पेंटिंग बनाने के बाद सोचा की अब इनका क्या करना है कोई तो हो जो इसे देखे। इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी पैंटिंस को सोशल मीडिया पर डाला। जल्द ही, उनकी एक पेंटिंग अमेरिका की एक आर्ट गैलरी में 250 डॉलर में बिक गई। यह उनके लिए टर्निंग पॉइंट था। और उन्हें ये महसूस होने लगा था की कोई तो है जो उनके आर्ट की वैल्यू करता है। 2018 तक उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सोचा कि अब आर्ट को सीरियस से लेकर सोसाइटी में कुछ कंट्रीब्यूट करना है।

आर्टिस्ट्स को दे रहे प्लेटफॉर्म

अरविंद बाहरी दुनिया के शोर को छोड और अपने अंदर के आर्टिस्ट को लेकर दिल्ली से दून वापस लौट आये और फिर उन्होंने अपने भाई डॉ। योगेश गैरोला के साथ मिल कर साल 2022 में चित्रा इंटरनेशनल आर्ट गैलरी की शुरुआत की जो की दून का पहला प्रोफेशनल आर्ट गैलरी है। वो बताते हैं कि इसका मकसद पैसा कमाना या फिर बतौर आर्टिस्ट स्ट्रगल करना नहीं था। बल्कि, यंग आर्टिस्ट को सही डायरेक्शन और प्लेटफॉर्म देना था। इसी सोच के साथ उन्होंने पिछले दो सालों में उन्होंने दून के करीब 45 आर्टिस्ट्स की पेंटिंग्स को सोल्ड किया है। उनकी आर्ट गैलरी में नेशनल और स्टेट लेवल के आर्टिस्ट अपनी कला को डिस्प्ले करते हैं। इसके साथ ही, जो लोग आर्ट को समझना या देखना चाहते हैं, उनके लिए गैलरी हमेशा खुली है।

ये है फ्यूचर गोल्स

- उभरते कलाकार को मंच देना

- आर्ट, आर्ट लवर्स और आर्ट बायर को एक साथ लाना

- आर्ट को लेकर लोगों को अवेयर करना

- आर्ट के जरिये अपने कल्चर को डिस्प्ले करना

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