देहरादून,(ब्यूरो): दून के बंगाली कोठी इलाके का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें दून यूनिवर्सिटी रोड पर चलते हुए कुछ युवा अपने हाथों में न केवल लाउडस्पीकर लेकर चल रहे हैं। बल्कि, सरकार, प्रशासन, संबंधित विभाग की कारगुजारियों को लेकर अनाउंसमेंट भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब उनकी किसी ने नहीं सुनी, तो उन्होंने सरकार व संबंधित विभागों को नींद से जगाने के लिए इस प्रकार को ये अनूठा तरीका ढूंढ़ निकाला।

लंबे समय से सडक़ की समस्या

दरअसल, मामला दून यूनिवर्सिटी, बंगोली कोठी इलाके का है। जहां पिछले लंबे समय से सडक़ पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं। बरसात के सीजन में यहां के स्थानीय लोगों को खासी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि उन्होंने एक नहीं, कई बार शासन-प्रशासन के सामने अपनी समस्याओं को रखा, लेकिन किसी ने नहीं सुना। फिर क्या, थके-हारे इलाके के युवाओं ने हाथ में लाउडस्पीकर लेकर सरकार व विभागों को जगाने के लिए अनोखा तरीका ढ़ूंढ़ निकाला, वे माइक से कहते रहे कि ये दून यूनिवर्सिटी की रोड, जिसका रास्ता पाताल लोक को जाता है। फिर क्या, युवाओं ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। जहां पर ये वीडियो खूब वायरल हो रही है। बदले में वीडियो देखने वाले लोग भी खूब रिएक्शंस कर रहे हैं।

लाउडस्पीकर से युवा करते रहे अनाउंसमेंट

दून यूनिवर्सिटी रोड बन चुकी है, पाताल लोक का सीधा रास्ता, साल भर से गड्ढों से दुखी है जनता जैसे अनाउंसमेंट करते रहे। अपने इस तरीके के जरिए युवाओं ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से प्रार्थना की है कि क्षेत्रवासियों की समस्या का संज्ञान लें। शीघ्र उनकी सडक़ का निर्माण पूरा करें।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आए रिएक्शन

बंजरवाला के भी यही हाल है। अच्छी पहल है आपकी मित्रों।

-आशीष हनी

ईश्वर बिहार से दीपनगर होकर हाईवे को मिलने वाली सडक़ भी कितने सालों से बदहाल है। कोई नेता और समाजसेवी इस कार्य के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। सुनने में आता है बार बार, डबल ईंजन की है सरकार।

-विजय राणा।

बिल्कुल सही, इसे सही तरीके से बनाने की बजाय इसमें मिट्टी और रेत भरकर इसे जुगाड़ू सडक़ जैसा बना रहे हैं।

-अंशुल।

जाग जाओ बहुत काम करने हैं देहरादून में। दूसरा दिल्ली बनता जा रहा है। अभी भी वक्त है। उठो आंखें खोलो और काम में लग जाओ। हम न सिटी बन पाए है और न ही अब पहले जैसा कुछ बचा है।

-ऋचा पुंडीर।

पिछले 2 वर्षों से सडक़ें बदहाल

यूबीटी फाउंडेशन से जुड़े और स्थानीय युवा मनीश रतूड़ी के मुताबिक पिछले 2 साल से इस रोड की हालत जस की तस है। जब, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देहरादून आईं थी। उस समय रातों रात सडक़ बनाई गयी। लेकिन उसके करीब 2 सप्ताह बाद ये सडक़ मानो टिक नहीं पाई। यही कारण है कि इस सडक़ पर आए दिन सडक़ों पर गड्ढ़ों होने के कारण लोग आए दिन हादसे का शिकार हो रहे हैं। मतलब, साफ है कि जब शहर में या फिर इलाके में वीआईपी मूवमेंट हो, तभी सडक़ बन पाती है।

पब्लिक इश्यूज पर भागीदारी

मनीष रतूड़ी के अनुसार कई युवा यूटीबी संगठन से जुड़े हुए हैं। जब भी समय मिलता है तो वे ऐसे सामाजिक कार्यों में हाथ बढ़ाते हैं। मसलन, क्लीनिंग ड्राइव चलाना, ड्रिंक एंड ड्रंक समेत पब्लिक इश्यूज में उनकी भागीदारी सुनिश्चित रहती है। इसी वजह से उन्होंने क्षेत्रवासी होने के नाते बंगाली कोठी-दून विवि रोड पर सडक़ की बदहाल स्थिति को देख ये तरीका निकाला।

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