देहरादून, (ब्यूरो): हर इंसान की दिली इच्छा होती है कि वह अच्छी पढ़ाई-लिखाई करे। खूब पैसा कमा कर तरक्की करे। ऐशो आराम की चीजें जुटाए। लेकिन कुछ लोगों का मकसद इससे भी ऊपर होता है, जो समाज में वंचित व जरूरतमंद लोगों को मुख्य धारा में जोडऩे के लिए अपना तन-मन और धन लगा देते हैं। आज हम ऐसे ही एक एडवोकेट और डॉक्टर की कहानी आपसे शेयर कर रहे हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में समाज के प्रेरणा की अलख जगा रहे हैं।
जरूरतमंदों को फ्री कानूनी एडवाइस
सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत पर काम करने वाली एडवोकेट उमा राघव दून में एक ऐसा नाम है जो वंचित और जरूरतमंद लोगों के लिए फ्री कंसल्टेंसी के लिए जानी जाती हैैं। वह न केवल जरूरतमंदों को फ्री कंसल्ट करती हैैं, बल्कि उनके केस भी फ्री में लड़ती हैं। कई बार पीडि़त लोगों की थाना-चौकियों में रिपोर्ट दर्ज नहीं होती, तो इसके लिए भी वह पैरवी करने में पीछे नहीं रहती। यहां तक कि कई बार जरूरतमंदों लोगों को शादी-विवाह व अन्य तरह के कार्यों के लिए भी वह समय-समय पर आर्थिक मदद भी पहुंंचाती रहती है। समाजसेवा के इस काम में उमा के साथ उनके पति एडवोकेट आएस राघव भी हाथ बंटाते हैं।
ताकि न्याय से न रहे कोई वंचित
आर्मी फैमली बैकग्राउंड की एडवोकेट उमा राघव के मन में बचपन से ही जनसेवा की भावना रही है। उनके पिता आर्मी में अफसर थे। दो भाइयों के बीच उनकी शिक्षा दीक्षा दून में हुई। लॉ भी उन्होंने दून में ही किया। प्रैक्टिस के दौरान उन्होंने देखा कि कई लोग वकीलों की मोटी फीस नहीं पाने के कारण न्याय से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने मन में ठाना कि वह ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद कर उन्हें कोर्ट-कचहरी में न्याय दिलाने का काम करेंगी। वह लंबे अर्से से यह काम कर रही हैं।
संस्था के जरिए आगे बढ़ाए कदम
समाज सेवा के इस काम को और बड़े स्तर पर करने के लिए उन्होंने 2023 में अपराजिता मातृशक्ति फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया, जिसमें उन्होंने शैली सिंह, सुमन राघव, मनीषा बहल व पूनम आचार्य के साथ मिलकर समाज के अल्प आय वर्ग के लोगों, महिलाओं्र, सैनिक व अर्धसैनिक वर्ग के लोगों को फ्री कानूनी सलाह व सभी वर्गों के लिए वैवाहिक मामलों में कानून कंसल्टेशन का काम शुरू किया।
50 से अधिक को फ्री कानूनी सलाह
संस्था 4 लोगों के केस फ्री में लड़ रही है। जबकि 50 से अधिक मामलों में वह अब तक फ्री कानूनी सलाह दे चुके हैं। इनमें कई मामले एक्सीडेंट, दहेज की मांग और प्रताडऩा आदि के हैं। इन में से कई मामलों में पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर रही थी, जिन्हें न्याय दिलवाने का काम किया गया। दून समेत राज्य के अन्य जिलों में भी पीडि़तों के केस दर्ज करवाए गए। खास बात यह है कि महीने के सेकेंड सैटरडे को को संस्था के इंदिरा नगर कार्यालय में दिनभर बकायदा फ्री कानूनी सलाह दी जाती है। उनका एक ही सपना है कि अन्याय के खिलाफ लड़ता कोई भी जरूरतमंद न्याय से वंचित नहीं रहना चाहिए।
डॉ। ऋ षि की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है, जो समाज के लिए अपने योगदान को लेकर आगे बढऩे की मिसाल पेश करती है। 2016 में, जब वो दून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे थे, उन्होंने सोशल वर्क में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने उत्कर्ष फाउंडेशन की शुरुआत की। इसके बाद, 2017 में उन्होंने तीन लोगों की टीम बनाई और हर्बटपुर में विवेकानंद हॉस्पिटल से काम करना शुरू किया। यहां, हर रविवार को मेडिकल कैम्प लगाए जाते थे और स्लम एरिया में बच्चों को पढ़ाया जाता था। धीरे-धीरे उनकी टीम बढ़ती गई और उनका काम भी फैल गया। डॉ। ऋषि बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने स्लम एरिया के बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया। उनका मानना है कि समाज की असली तस्वीर इन्हीं बच्चों से ही जुड़ी है।
अन्याय के खिलाफ उठाई आवाज
डॉ। ऋ षि ने बांग्लादेश में हो रहे अन्याय के खिलाफ भी आवाज उठाई। इंटरनेशनल रिलेशंस में डिप्लोमा करने के बाद, उन्हें इंडिया और माल्टा के बीच एक इवेंट में इन्वाइट किया गया। वहां, उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे हिंदू समुदाय और अन्य लोगों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व एक्सटर्नल अफेयर और कल्चरल मिनिस्टर मीनाक्षी लेखी, और माल्टा के राजदूत रुबान गाउची को एक लेटर लिखा। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर फोकस किया जाना चाहिए और संसद में भी इस पर चर्चा होनी चाहिए।
बदलाव सरकार नहीं, समाज से होता है
डॉ। ऋषि का मानना है कि बदलाव सरकार से नहीं, बल्कि समाज से आता है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं और 5-6 लोगों की टीम के साथ समाज में योगदान देने के लिए काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि डॉक्टरी एक ऐसा पेशा है जिसे लोग सम्मान और उम्मीद के साथ देखते हैं। उनका कहना है कि अगर हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते रहेंगे, तो समाज में कोई बदलाव नहीं आ सकता। देश को सरकार नहीं, बल्कि समाज बदलता है।
एकता में है विश्वास
डॉ। ऋषि कहते है की हम एक ऐसी संस्था के साथ काम करते है जिसका नाम ही है स्वयं सेवा और ये हमें बताता है की कभी भी किसी और के ऊपर डिपेंड होकर नहीं रहना चाहिए। वो और उनकी टीम जो भी पैसे कमाती है उन्ही पैसो से वो समाज सेवा भी करती है। उनका मानना है की जब हम एक जुट होकर कोई नेक काम की ओर कदम बढ़ाते है तो ऐसे में रास्ते खुद ब खुद बन जाते है।dehradun@inext.co.in