देहरादून, ब्यूरो: राजधानी दून में बढ़ते ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए प्रस्तावित मेट्रो प्रोजेक्ट अब तक हवा में नजर आ रही है। पिछले 7 साल में सरकारों ने मेट्रो सिटी का जो सपना दिखाया, वह अभी भी पूरा नहीं हो पाया है। आगे भी यह सपना पूरा होना, इसकी भी फिलहाल दूर-दूर तक संभावना नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी ओर मेट्रो के लिए प्रस्तावित सरकारी जमीन पर कब्जे तक होने शुरू हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला आईएसबीटी में सामने आया है। एमडीडीए ने जो जमीन मेट्रो को दी थी उस पर कब्जे हो गए। कई लोग लंबे समय से इस जमीन पर हट बनाकर परिवार समेत रह रहे हैं। इधर, एक और खबर आ रही है कि केंद्र ने 10 नए शहरों में मेट्रो की कसरत तेजी से चल रही है। चर्चा है कि इसमें दून मेट्रो का कहीं नाम शामिल नहीं है। इस पर कई जानकारों ने चिंता जताई है।
आईएसबीटी में जमीन पर कब्जा
मेट्रो के लिए दून शहर के विभिन्न इलाकों में 8.41 हेक्टेयर जमीन प्रस्तावित है, जिसमें 6.66 हेक्टेयर सरकार और 1.75 हेक्टेयर प्राइवेट लैंड है। लेकिन पिछले सात साल से मेट्रो का अता-पता नहीं होने से अब इन जगहों पर कब्जे होने लगे हैं। आईएसबीटी में एमडीडीए द्वारा मेट्रो को दी गई जमीन पर कई लोग हट बनाकर रह रहे हैं। जब इस बारे में मेट्रो प्रोजेक्ट के अफसरों से पूछताछ की गई, तो उनका कहना है कि अभी जमीन उन्हें हस्तांतरित नहीं हुई है। इसलिए मामला संज्ञान में नहीं है। हालांकि एमडीडीए का कहना है कि कब्जे हटाकर जमीन खाली कर दी गई है। सफ्टी को चारों ओर बाउंड्रीवॉल की जा रही है। दूसरी प्रस्तावित जगहों पर कब्जे होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
मेट्रो पर केंद्र का जोर, पर उत्तराखंड का नाम नहीं
केंद्र सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ढांचे को मजबूत करने के लिए मेट्रो सेवाओं पर ज्यादा जोर दे रही है। अभी तक 21 सिटीज में मेट्रो सेवा है। सूत्रों की मानें तो अगले 5 साल में सेवा 31 शहरों तक मेट्रो पहुंचाने की तैयारी है। खास बात यह है कि जिन 10 नए शहरों में मेट्रो पहुंचाने की तैयारी है उनमें दून मेट्रो का नाम शामिल नहीं है। जबकि दून में 2017 से मेट्रो की कवायद चल रही है। जबकि 2022 से दून मेट्रो प्रोजेक्ट की डीपीआर केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय में स्वीकृति की बाट जोह रही है। जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।
एक्सप्रेसवे से अनकंट्रोल हो जाएगा टै्रफिक
दिल्ली-दून एक्सप्रेसवे का काम लगभग आखिरी चरणों में है। मार्च तक इस पर ट्रैफिक दौडऩे लगेगा। एक्सप्रेसवे के संचालन के बाद दून में डेढ़ गुना तक ट्रैफिक बढऩे की संभावना है। दिल्ली का सफर 6 घंटे की जगह ढ़ाई घंटे में तय हो जाएगा। तब दून मेें ट्रैफिक अनकंट्रोल हो सकता है। यहां पहले ही संकरी सड़कों पर ट्रैफिक का दम घुट रहा है। जिस पर अभी से गंभीरता से नहीं सोचा गया, तो भविष्य में ट्रैफिक समस्या विकराल हो सकती है।
चेन्नई को दे दी मेट्रो, दून में कब तक
हाल ही में केंद्र सरकार ने चेन्नई को झटके में 2000 किमी। मेट्रो लाइन प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। ऐसे में दूनवासियों का कहना है कि दो साल से केंद्र में पेंडिंग मेट्रोल रेल लाइन का क्या प्राइयोरिटी में नहीं है। यदि ऐसा है, तो केंद्र की उत्तराखंड से लगाव की बात क्या सिर्फ हवाबाजी है।
इन 10 नए सिटीज में मेट्रो की तैयारी
भुवनेश्वर, गोरखपुर, कोझिकोड, नासिक, त्रिवेंदम, राजकोट, औरंगाबाद, जम्मू और श्रीनगर व गुवाहाटी में मेट्रो के दायरे में लाने की चर्चा चल रही है। इसके अलावा तेलंगाना व आंध्र प्रदेश ने भी अपने शहर विजवाड़ा, विशाखापटनम, व वारंगल के साथ ही यूपी के वाराणसी का भी आवेदन है, जिस पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
नये प्रस्तावों पर विचार, पुराने दरकिनार
केंद्र सरकार मेट्रो को लेकर राज्यों के नए प्रस्तावों पर विचार कर रही है, लेकिन पहले से पेडिंग चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट पर वर्षों से कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। पिछले साल जुलाई में सीएम पुष्कर सिंह धामी को मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा भी दिलाया था, जिसके बाद दूनाइट््स में मेट्रो को लेकर नई आस जगी थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी मामला आगे नहीं खिसका है।
मेट्रो पर अब तक की कार्रवाई
-वर्ष 2017 में सबसे पहले दून में मेट्रो ट्रेन का सपना देखा गया।
-इसके बाद मेट्रोमैन श्रीधरन को मार्गदर्शन के लिए उत्तराखंड का सलाहकार बनाने का प्रस्ताव आया
-मेट्रो के बाद केबल कार यानि रोपवे का प्रोजेक्ट आया
-2018 में शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में लंदन, जर्मनी का दौरान किया गया।
-नियो मेट्रो का प्रोजेक्ट तैयार किया। इसके लिए ऋषिकेश-हरिद्वार को मेट्रोपोलिटिन एरिया किया घोषित।
-यूकेएमआरसी के एमडी ने 2022 सितंबर में इस्तीफा दिया, लेकिन सरकार ने इस्तीफा नामंजूर किया।
- 30 जुलाई 2023 को सीएम के अनुरोध पर पीएम के भरोसे ने जगाई थी उम्मीद
- केंद्र की हां-ना में फंस गया प्रोजेक्ट, यूकेएमआरसी के किए दो प्रस्ताव तैयार, पीपीपी मोड में बनाने की भी तैयारी
- हाई पावर कमेटी के बाद तय होगा मेट्रो का भविष्य, केंद्र पर भी टकटकी
मेट्रो की खास बातें
- मेट्रो का कहीं अता-पता नहीं, लेकिन 80 करोड़ का बजट खर्च
- आईएसबीटी से गांधी पार्क व एफआरआई से रायपुर तक प्रस्तावित है मेट्रो रेल लाइन
- बनाए जाने हैं 25 स्टेशन, 22.04 किमी। है मेट्रो रेल की लंबाई
- टोटल 8.41 हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित, इसमें से 6.66 हेक्टेयर सरकारी व 1.75 हेक्टेयर प्राइवेट लैंड
- 2300 करोड़ खर्च होंगे नियो मेट्रो पर, आवाजाही होगी शुलभ
मेट्रो रेल प्रोजेक्ट केंद्र के पास है। अभी तक इस पर केंद्र की ओर से निर्णय नहीं लिया गया। नियो मेट्रो को लेकर दो प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। जनता के लिए जो त्वरित व कम लागत में शुलभ हो सके उस प्रोजेक्ट को हाई पावर कमेटी की बैठक के बाद तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
-प्रेम चंद अग्रवाल, मंत्री, शहरी विकास
जब तक मेट्रो राजनीतिक मुद्दा नहीं बनेगा, तब तक सपना पूरा नहीं होगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सरकार की प्राथमिकताओं में ही नहीं है। राजनीतिक इच्छा शक्ति होती, तो अब तक मेट्रो सिटी बन गई होती। यह सरकार का फेल्योर है, जो अपनी बाद केंद्र में दमदार ढंग से नहीं रख पा रही है।
-अनूप नौटियाल, अध्यक्ष, एसडीसी फाउंडेशनdehradun@inext.co.in