- महिला आयोग का किसी भी जिले में सुनवाई के लिए नहीं मेंबर
- 35 परसेंट मामलों की सुनवाई ही नहीं हो पाई, कई बार भेजा स्टाफ का प्रस्ताव
देहरादून, 9 मई (ब्यूरो)।
महिला सशक्तीकरण व महिला सुरक्षा के हजार दावे करने वाले प्रदेश में महिलाओं शिकायत की सुनवाई नहीं हो पा रही है। बीते एक साल में 35 परसेंट मामलों की सुनवाई पेंडिंग है। आश्चर्य की बात है कि रुद्रप्रयाग को छोड़कर सभी जिलों में कई मामले ऐसे हैं जिनकी सुनवाई नहीं हो पाई है। सबसे ज्यादा पेंडेंसी देहरादून में है, इसके बाद हरिद्वार व उधमसिंहनगर में मामले पेंडिंग में चल रहे हैैं। वहीं जब इस विषय में महिला आयोग से बात की तो उन्होंने बताया कि सुनवाई के लिए स्टाफ न होने के कारण ये समस्या आ रही है।
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के भरोसे सुनवाई
महिला आयोग दो उपाध्यक्ष के भरोसे चल रहा है। आलम ये है कि दून समेत 13 जिलो में से एक भी जिले में महिला सदस्य नहीं है। ऐसे में किसी भी महिला की शिकायत मिलती है तो इसकी सुनवाई के लिए सुद्धोवाला स्थित आयोग के कार्यालय में पहुंचना होता है। यहीं नहीं पहाड़ों के बॉर्डर एरिया में भी सदस्य न होने के कारण यहां भी हृयूमन ट्रैफिकिंग जैसे मामलों को रोकने के प्लान फेल साबित हो रहे हैं। जबकि, किसी भी जिले में एक भी सदस्य मौजूद नहीं है। महिला आयोग के अधिकारियों के अनुसार कई बार नियुक्ति को लेकर पत्र शासन को भेजे गए हैं। कई बार इस विषय में रिमाइंडर भी डाला गया। लेकिन, इसके बाद भी अब तक कोई भी रिस्पॉन्स नहीं मिल पाया है।
जिलावार शिकायतों का आंकड़ा
जिला - शिकायत- सुनवाई - पेंडिंग
देहरादून- 716 - 480 - 236
अल्मोड़ा- 26 - 16 - 10
बागेश्वर - 7 -5 - 2
चम्पावत- 27- 22- 5
चमोली- 22- 18 - 4
हरिद्वार - 394- 234 - 160
नैनीताल - 123- 88 - 35
पौड़ी - 79- 42- 37
पिथौरागढ़ - 46 - 24- 22
रूद्रप्रयाग- 7 -7-0
टिहरी - 41- 30 - 11
उत्तरकाशी - 20- 17 - 3
उधमसिंहनगर - 344 - 228 -116
योग- 1947 - 1281- 666
पेंडिंग मामलों पर एक नजर
विषय- कुल दर्ज - निस्तारित - गतिमान
मानसिक उत्पीडऩ -520 - 295 - 225
जानमाल सुरक्षा- 453- 335 -118
घरेलू हिंसा -291- 210- 81
देहज उत्पीडऩ - 203- 134 -69
सम्पत्ति विवाद -68- 26- 42
छेड़खानी - 58- 36- 22
बलात्कार - 37- 19- 18
धोखाधड़ी - 69- 54- 15
शारीरिक उत्पीडऩ - 29- 17- 12
दहेज हत्या- 3-1 -2
भरण पोषण - 34- 27- 7
नौकरी सबंधी- 12 - 9- 3
द्वि विवाह - 15 - 9 - 6
यौन उत्पीडऩ - 17- 11- 6
आर्थिक उत्पीडन - 25- 16- 9
पेंशन - 3-0 -3
गुमशुदगी - 10 - 5-5
अपहरण - 13-08 -05
झूठे आरोप- 8- 5- 3
अवैध संबध - 23-19- 04
अन्य - 37- 30 -7
कुल - 1947- 1281- 666
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सभी जिलों में शिकायतों को नोट कर सुनवाई की जाती है। लेकिन, स्टाफ की कमी के कारण मामलों की सुनवाई नहीं हो पाती है। किसी भी जिले में सदस्य न होने के कारण ये समस्या हो रही है, जिसे लेकर शासन को पत्र भेजा गया है। शासन को भी इस विषय में पत्र भेजा जा चुका हैं। लेकिन, नियुक्ति नहीं हो सकी -:
- कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग
मामला आपकी ओर से संज्ञान में आया हैं। कई मामले पेंडिंग चल रहे हैं, जिसे देखते हुए विभाग मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से सभी जिलों में सदस्यों की नियुक्ति करेगा। जिससे महिला संबधित समस्याओं का निपटारा हो सके।- हरिशचन्द्र सेमवाल, निदेशक, महिला सशक्तीकरण व बाल विकास विभाग