देहरादून, (ब्यूरो): सड़कें सिटी की रीढ़ होती हैं। ये रीढ़ जितनी मजबूत होगी, शहर उतनी तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगा। लेकिन राजधानी दून में इसका उल्टा है। यहां शहर की रफ्तार सड़कों पर ही रेंग रही है। पहले तो यहां संकरी सड़कें और ऊपर से सड़क व फुटपाथों पर हर जगह अतिक्रमण है। मजेदार बात यह है कि यहां कब कौन से फुटपाथ पर लगाई गई टाइल्स उखाडऩी शुरू हो जाए और कब काम खत्म होगा कोई नहीं जानता। इसका असर यह हो रहा है कि यहां सड़कों पर दिनभर वाहन रेंग रहे हैं। प्रशासन की ओर से बार-बार चलाए जाने के वाले संयुक्त अतिक्रमण अभियान के बाद भी फिर-फिर सड़क-फुटपाथ पर कब्जे हो रहे हैं, जो न केवल शहर पर दाग लगा रहे हैं, बल्कि शहर की रफ्तार भी रोक रहे हैं।

पहले भी हटे थे कब्जे, फिर से हो गए
ताज्जुब की बात यह है कि प्रशासन हर बार सड़क-फुटपाथ से अतिक्रमण हटाता है। साल भर में अतिक्रमण हटाओ अभियान तीन-चार बार चलता है। पुलिस के साथ ही आरटीओ, नगर निगम और एमडीडीए इसमें शामिल होता है। पिछले साल संयुक्त अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान एक-एक कब्जेधारी से 10 से लेकर 20 हजार रुपए तक वसूले थे। अप्रैल से जून तक चले अभियान के दौरान 60 लाख के लगभग जुर्माना वसूला गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है।

इन्हें हटाने की किसी की हिम्मत नहीं
राजधानी दून में कुछ ऐसे प्वाइंट्स हैं, जहां पर क्या नगर निगम, पुलिस, प्रशासन, आरटीओ या फिर अन्य विभाग मौजूद अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। इसकी चाहे जो भी मजबूरी रहती होगी, लेकिन यहां पर सदाबहार अतिक्रमण जैसी स्थिति बनी रहती है। जैसे ही इन इलाकों में टीम पहुंचेगी, कुछ घंटों के लिए कब्जे हटा दिए जाएंगे, लेकिन फिर से स्थिति जस की तस बन जाती है। इनमें सबसे ज्यादा इनामुल्ला बिल्डिंग, धर्मपुर, सब्जी मंडी, प्रिंस चौक से रेलवे स्टेशन गेट तक, पलटन बाजार, धामावाला परेड ग्रांउड, गांधी पार्क, एस्लेहॉल व राजपुर रोड आदि शामिल है।

बार-बार कार्रवाई, फिर भी सुधार नहीं
जिला प्रशासन की ओर से बार-बार सड़क-फुटपाथ से कब्जे हटाने की चेतावनी दी जाती है। कब्जे हटाए भी जाते हैं, लेकिन फिर से कब्जे हो जाते हैं। ऐसे में अब प्रशासन कार्रवाई पर ही सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन को ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए कि यह सिलसिला यहीं खत्म होना चाहिए।

पिछले साल तीन माह में वसूला जुर्माना
59.08
लाख वसूला गया था अप्रैल से जून तक कब्जेधारियों से जुर्माना
1230
जगह से हटाया गया था अतिक्रमण
2069
चालान नगर निगम की टीम ने किए थे
1691
चालान आरटीओ की टीम ने किए थे
1290
चालान पुलिस की टीम ने किए थे
10.50
लाख के लगभग है दून रीजन में पंजीकृत वाहनों की संख्या

रोड-फुटपाथ फुल, कहां चलें हम
रोड किनारे फुटपाथ पब्लिक के चलने के लिए होता है। वहां वाहनों को पार्क किया जा रहा है, ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चलने के लिए भी जगह नहीं है।
अनुराग कुकरेती, सोशल एक्टिविस्ट

कॉमर्शियल बिल्डिंग वालों को पार्किंग की सुविधा करनी चाहिए। अगर फुटपाथ पर वाहनों को पार्क किया जाएगा तो पब्लिक कहां चलेगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त एक्शन लेना चाहिए।
बलबीर चौहान, स्थानीय व्यापारी

पहले तो फुटपाथ कम बचे हैं। जो हैं भी वह पब्लिक के काम नहीं आ रह हैं। रोड पर पैदल चलने पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोगों के चलने के लिए फुटपाथ तो खाली होने चाहिए।
आलोक सोलंकी

अतिक्रमण के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन सख्त कार्रवाई न होने से फिर से फुटपाथ और सड़कों पर दुकानें सजने लगती है। इसका स्थाई समाधान निकालना चाहिए।
आरिफ खान

1. घंटाघर: शहर की दिल की धड़कन कहे जाने वाले घंटाघर से दर्शन लाल चौक तक पिछले साल फुटपाथ पर लगी हुई टाइलों को उखाड़ कर फिर से नई टाइल्स बिछा दी गई है। ऐसा ही सिलसिला शहर में कई जगहों पर देखा जा सकता है।

2. आढत बाजार: बारिश के चलते प्रिंस चौक पर जल भराव हो रहा है। जिसके चलते आढ़त बाजार में फुटपाथ पर बने नाले को खोलने के लिए स्लैब के ऊपर लगी टाइल्स उखाड़ दी दी गई। स्लैब उठाने के लिए बार-बार टाइल्स भी उखाडऩी पड़ रही है। ऐसा कई जगहों पर देखा जा सकता है।

3. रेलवे स्टेशन: यहां फुटपाथ पर स्लैब ही नहीं है, जो एक्सीडेंट का कारण बन रहे हैं। ऐसा ही हाल दूसरी जगहों पर भी है। फुटपाथ पर बने चैंबरों को चोर भी ले जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी ने चोरी का मुकदमा भी दर्ज कराया है, लेकिन आज तक एक भी चोर पुलिस की पकडृ में नहीं आया।

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