देहरादून (ब्यूरो) शहरी विकास विभाग ने आवास निर्माण का जिम्मा पीआईयू पीडब्ल्यूडी को सौंपा है, जिसके बाद इस आवासीय प्रोजेक्ट के अधूरे कार्य के लिए पीआईयू पीडब्ल्यूडी की ओर से टेंडर जारी किए गए, लेकिन तीन बार रेट हाई जाने से टेंडर निरस्त किए जाते रहे। चौथी बार रेट लो आने पर कार्य संबंधित कॉन्ट्रेक्टर को आवंटित किया गया।
खंडहर में तब्दील हो गई बिल्डिंग
निर्माणाधीन आवासीय प्रोजेक्ट में 148 आवास हैं। यह काम पूर्व में यूपी निर्माण निगम को सौंपा गया था। लेकिन यूपी निर्माण निगम को बाद में बजट नहीं मिला, तो निगम ने काम अधूरा छोड़ दिया। बिल्डिंग्स का ढांचा भी पूरी तरह खड़ा नहीं हो पाया था कि यूपी निर्माण निगम वापस उत्तर प्रदेश चला गया। कई साल तक यह प्रोजेक्ट हवा में झूलता रहा। जिससे बिल्डिंग्स खंडहर में तब्दील हो गई।
बजट की कमी से लटकता रहा प्रोजेक्ट
शहरी विकास विभाग की ओर से काठबंगला में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत आवासीय योजना शुरू की गई। परियोजना का उद्देश्य रिस्पना नदी के किनारे फ्लड जोन में बसे परिवारों को विस्थापित किया जाना था। लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद इस आवासीय प्रोजेक्ट को बजट नहीं मिल पाया। जिस कारण 2016 से यह परियोजना बंद पड़ी हईु है। करीब 9 साल से काम बंद होने से खड़ी की गई बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई। कई जगह दीवारों पर घास जम गई है। सरिया में भी जंग लग गया है।
2 क्लस्टर में बांटा गया निर्माण
पीआईयू पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता सरीन कुमार ने बताया कि निर्माण कार्य को दो क्लस्टर में बांटा गया है। पहले क्लस्टर में 8 ब्लॉक हैं। एक ब्लॉक में 16 फ्लैट्स हैं। दूसरे क्लस्टर में 2 ब्लॉक हैं, जिसमें 20 फ्लैट्स हैं। कार्य अवार्ड कर दिया गया है। अगले महीने से काम शुरू किया जाएगा।
आवासीय प्रोजेक्ट पर एक नजर
- 148 फ्लैट्स का है यह प्रोजेक्ट
- निर्माण की लागत 6.98 करोड़
- काठबंगला में रिस्पना नदी किनारे बनाए जा रहे फ्लैट्स
- टेंडर की प्रक्रिया पूरी, कार्य अवार्ड
- पूर्व में राजकीय निर्माण निगम ने शुरू किया था काम
- बजट के अभाव में 9 साल से लटका था प्रोजेक्ट
- लंबे समय से निर्माण बंद रहने से खंडहर में तब्दील हो गई बिल्डिंग््स
- अब पीडब्ल्यूडी पीआईयू को सौंपी गई निर्माण की जिम्मेदारी
- शहरी विकास विभाग का है यह प्रोजेक्ट
- 10 महीने में बनकर तैयार हो जाएंगे सारे फ्लैट्स
काठबंगला में फ्लैट्स निर्माण सप्ताहभर के भीतर शुरू कर दिया जाएगा। 10 माह में काम कंप्लीट किया जाएगा। कार्य को समय पर पूरा करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा, जिससे लोगों को शीघ्र सुविधा का लाभ मिल सके।
अनिल पांगती, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी, दून
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