देहरादून ब्यूरो। राज्य के 41 फॉरेस्ट डिवीजन में अब तक फॉरेस्ट फायर की 1740 घटनाएं हो चुकी हैं और इन घटनाओं में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। वन विभाग की डैशबोर्ड पर इन घटनाओं में अब तक 2788 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं। इसके साथ ही 18 हजार से ज्यादा पेड़ चले हैं। वन विभाग ने इन घटनाओं में 73 लाख रुपये से ज्यादा नुकसान होने का दावा किया है। फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में अब तक एक व्यक्ति की मौत हुई है और 6 घायल हुए हैं।

2018 में सबसे ज्यादा आग
फॉरेस्ट फायर की हाल से वर्षों में हुई घटनाओं पर नजर डालें तो वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा फॉरेस्ट फायर की घटनाएं और सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इस वर्ष कुल 2150 घटनाएं दर्ज की गई थी और 4480 हेक्टेयर जंगल जल गये थे। इससे पहले 2016 में भी फॉरेस्ट फायर की बड़ी घटनाएं हुई थी, उस समय 2074 घटनाओं में 4433 हेक्टेयर जंगल जले थे। हालांकि 2021 में कुल घटनाओं की संख्या पिछले 10 वर्षों में सबसे ज्यादा 2813 थी, लेकिन नुकसान कुछ कम हुआ था। 3943 हेक्टेयर जंगल जले थे।

पिछले वर्षों में फॉरेस्ट फायर
वर्ष घटनाएं जंगल जले
2012 798 1610
2013 245 384
2014 515 930
2015 412 701
2016 2074 4433
2017 805 1244
2018 2150 4480
2019 2158 4480
2020 135 172
2021 2813 3943

कम्यूनिटी को जोडऩा जरूरी
जंगलों की आग पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है जब तक आम नागरिकों से जंगलों से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक जंगलों की आग लगातार बढ़ती रहेगी। फॉरेस्ट एक्ट बनने के बाद स्थानीय लोगों के हक हकूक जंगलों से छीन लिये गये थे, उसके बाद से लोग जंगलों की आग बुझाने के प्रति लापरवाह हो गये हैं। एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल कहते हैं कि वन विभाग को आम नागरिकों की भागीदारी के प्रयास करने चाहिए।

आकलन नहीं होता
वन विभाग के फ्राइडे तक के आंकड़ों अनुसार फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में अब तक 73 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। लेकिन, जानकारों का मानना है कि वास्तविक नुकसान इससे बहुत ज्यादा है। वन विभाग सिर्फ जलने वाले बड़े पेड़ों की मामूली कीमत लगातार नुकसान का आकलन करता है। लेकिन आग से कितने छोटे पेड़ और दूसरी वनस्पतियां जलती हैं, उस क्षेत्र के वाइल्ड लाइफ को कितना नुकसान होता है और बायोडायवर्सिटी कितनी प्रभावित होती है, इसका भी आकलन किया जाना चाहिए।