देहरादून (ब्यूरो)। द्वितीय भगवान मध्यमेश्वर धाम के कपाटबंदी की प्रक्रिया तड़के पूजा-अर्चना के साथ शुरू हो गई थी। सुबह 7.45 बजे बाबा मध्यमेश्वर की चल-विग्रह उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया और फिर कपाट सीलबंद कर दिए गए। इसके बाद बाबा की उत्सव डोली मंदिर की एक परिक्रमा कर अपने प्रथम पडाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया। 23 नवंबर को डोली रांसी और 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 25 नवंबर को डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचकर शीतकाल के लिए वहां ओंकारेश्वर धाम में विराजमान हो जाएगी। ओंकोरश्वर मंदिर में अब भक्त एक साथ पंचकेदारों के दर्शन कर सकते हैं।
भव्य मेला आयोजित किया
उत्सव डोली के ओंकारेश्वर धाम पहुंचने पर परंपरा के अनुसार वहां भव्य मेले के आयोजन होगा। इसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। उधर, कपाटबंदी के मौके पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, डोली यात्रा प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, समालिया मृत्यंजय हीरेमठ सहित गौंडार के ग्रामीण मौजूद रहे।
नृसिंह मंदिर में विराजमान हुई शंकराचार्य गद्दी
आदि शंकराचार्य की गद्दी व भगवान नारायण के वाहन गरुड़ देव सोमवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विराजमान हो गए। इससे पूर्व योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में पूजा-अर्चना के बाद शंकराचार्य की गद्दी व भगवान नारायण के वाहन गरुड़ देव की उत्सव मूर्ति को नृसिंह मंदिर लाया गया। इस दौरान मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों ने भगवान नृसिंह, मां लक्ष्मी, नवदुर्गा, वासुदेव व गरुड़ देव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद रावल ने शंकराचार्य कोठ में गद्दी के दर्शन किए।