देहरादून, ब्यूरो: देहरादून के राजपुर रोड पर स्थित एतिहासिक राष्ट्रपति का भवन आशियाना के दरवाजे आगामी अप्रैल से आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। राष्ट्र्रपति द्रौपदी मुर्मू के निर्देश पर शनिवार को राष्ट्रपति सचिवालय के अधिकारियों ने देहरादून में स्टेट गर्वन्मेंट के ऑफिसर्स के साथ मीटिंग कर आशियाना में जनता के लिए आवश्यक सुविधाएं जुटाने के निर्देश दिए हैं।

186 साल पुराना आशियाना

राष्ट्र्रपति द्रौपदी मुर्मू के निर्देश पर अब देहरादून के राजपुर रोड स्थित 186 साल पुराने राष्ट्रपति आशियाना को आम लोगों के लिए खोला जा रहा है। 21 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस परिसर का इस्तेमाल अभी राष्ट्रपति बॉडीगार्ड (पीबीजी) कर रही है। परिसर को आम लोगों के लिए खोलने से पहले आवश्यक तैयारी के लिए शनिवार को आशियाना परिसर में राष्ट्रपति सचिवालय में अपर सचिव डॉ। राकेश गुप्ता ने उच्च स्तरीय बैठक मे स्टेट गर्वन्मेंट के सीनियर ऑफिसर्स के साथ विचार विमर्श किया। तय किया गया कि आम परिसर के मुख्य भवन तक प्रवेश कर सकेंगे। इस दौरान लोगों को राष्ट्रपति आशियाना के साथ ही भारतीय सेना की 251 साल पुरानी रेजीमेंट पीबीजी के इतिहास और इसके 186 साल पुराने अस्तबल से रूबरू होने का भी मौका मिलेगा।

खूबसूरत बाग की कर सकेंगे सैर

यहां विजिट के दौरान लोग परिसर के खूबसूरत बाग व कैफेटेरिया का भी आनंद भी उठा सकेंगे। मीटिंग में परिसर को आम जनता के लिए खोलने से पहले बिजली, पानी, पार्किंग समेत अन्य सुविधाएं दुरुस्त किए जाने पर विचार किया गया। जिसके लिए अपर सचिव डॉ। राकेश गुप्ता ने स्टेट गर्वन्मेेंट के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए। आशियाना को आम जनता के लिए खोले जाने से पूर्व राष्ट्रपति के निर्देश पर हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति नीलायम और मशहोबरा स्थित राष्ट््रपति निवास को भी आम जनता के लिए खोला जा चुका है। इस दौरान मीटिंग में पीबीजी के सीओ कर्नल अमित बेरवाल, ओएसडी स्वाति शाही के साथ ही उत्तराखंड शासन के सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, पंकज कुमार पांडे, डीएम देहरादून सविन बंसल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

1920 में बना कमांडेंट बंगला

भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट है प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड। जिसकी स्थापना 1773 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने की थी। 1859 में इसे वायसराय बॉडीगार्ड नाम दिया गया। जिसे बाद में द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड में तब्दील कर दिया गया। राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की घोड़ा गाड़ी के लिए दून में पहली बार 1938 में ग्रीष्मकालीन शिविर स्थापित किया गया। इससे पहले ही 1920 में यहां राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के कमाडेंट का बंगला स्थापित कर दिया गया था। आजादी के पश्चात करीब 175 एकड़ में फैला यह क्षेत्र द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड स्टेट के रूप में जाना जाने लगा।

कमांडेंट बंगले का नाम रखा आशियाना

दून की बेहतरीन आबोहवा को देखते हुए हुए वर्ष 1975-76 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन ने ग्रीष्मकालीन दौरे के लिए दून का चुनाव किया तब कमांडेंट बंगले का जीर्णोद्धार किया गया और नाम रखा गया आशियाना। तब से दून आने वाले राष्ट्रपति इसी आवास में ठहरते थे। वर्ष 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन के बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी यहां रुक चुके हैैं।

भूकंप रोधी है आशियाना

2014 में इस विरासत को संवारने का निर्णय लिया गया और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की सलाह पर मई 2015 में यहां सर्वे किया गया। जीर्णोद्धार में भूकंपरोधी सरंचनाओं और पुनर्नवीकरण प्रावधानों का ध्यान रखा गया। करीब दो करोड़ की लागत से दो साल में इसे बिल्कुल नया रूप दे दिया गया। 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस भवन का उद्घाटन किया।

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