देहरादून (ब्यूरो)।
देहरादून-दिल्ली हाईवे के चौड़ा करके एक्सप्रेस हाईवे बनाया जा रहा है्। इसके लिए हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाने हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां पेड़ काटे जाने का काम तेजी से चल रहा है। दून के कई समाजिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। संडे को कई संगठनों के लोग बड़ी संख्या में आशारोड़ी पहुंचे और पेड़ काटने का विरोध शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी कर और गीत गाकर पेड़ काटने का विरोध किया। इससे काम रुक गया।
पुलिस से नोकझोंक
बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को हटाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। इस पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। बाद में पुलिस को खुद पीछे हटना पड़ा। पुलिस के मौजूदगी में ठेकेदार ने फिर से पेड़ कटवाने का काम शुरू करवाया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें आरी नहीं चलाने दी। यह क्रम देर चल चलता रहा। बाद में पुलिसकर्मी पीछे हट गये। दोपहर बाद प्रदर्शनकारियों के लौटने के बाद एक फिर पेड़ काटने का काम जोर-शोर से शुरू हो गया।
विकास नहीं विनाश
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सिटीजन फॉर ग्रीन दून संस्था के हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली जल्दी पहुंचने के लिए सैकड़ों साल पुराने जंगल की बलि नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि अब भी यह रोड काफी चौड़ी है और आसानी से वाहन आ जा रहे हैं। उनका कहना था कि यदि ढाई घंटे में दिल्ली से देहरादून पहुंच भी जाएं तो आगे सिटी के लिए क्या रोड मैप है, जहां अब रोज घंटों का जाम लगता है।
ये थे मौजूद
संडे को हुए प्रदर्शन में करीब दर्जनभर संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें फ्रेंडस ऑफ दून, पराशक्ति, आघास, तितली ट्रस्ट, द अर्थ एंड क्लाइमेट चेंज इनिशिएटिव, सिटीजन फॉर क्लीन एंड ग्रीन एंबियंस आदि संस्थाएं शामिल थे। प्रदर्शन में मुख्य रूप से महिला मंच की कमला पंत, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, कांग्रेस के प्रेम बहुखंडी, सोशल एक्टिविट्स मनोज ध्यानी, दीपा कौशलम, जगदम्बा मैठाणी, ईरा चौहान, एसएफआई के हिमांशु चौहान, शैलेन्द्र परमार, रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी नन्दनन्दन पांडेय आदि मौजूद थे।