देहरादून, ब्यूरो: परेड ग्राउंड में 6 दिवसीय युवा महोत्सव का गुरुवार को समापन हो गया। इस दौरान युवा महोत्सव में लगे प्रोडक्ट्स के साथ साथ कई दूसरे स्टेट्स के स्टॉल ने लोगों को खूब लुभाया। गाय के गोबर से बने कई आइटम्स के साथ-साथ हाथ से बने कपड़े और बैग जैसी चीजों ने लोगों को खासा आकर्षित किया। जहां पहाड़ी टोपी की खासी डिमांड रही। महोत्सव में अच्छा कारोबार होने से स्टॉल संचालकों के चेहरे भी खिले रहे।

9 नवंबर को शुरू हुआ था महोत्सव

राज्य स्थापना दिवस पर 9 नवंबर से परेड ग्राउंड में शुरू हुए युवा महोत्सव में राज्य के कई क्षेत्रों से आए स्वयं सहायता समूह के साथ व्यापारियों ने अपने स्टॉल लगाए थे। मौके पर कई तरह के करीब सौ से ज्यादा स्टॉल्स लगाए गए। जिसमें बड़ी संख्या स्थानीय खाद्य उत्पाद के स्टॉल की भी थी। जिनमें गहत की दाल, झंगोरा, मंडुवा समेत अन्य स्थानीय अनाज की खासी डिमांड रही। विलुप्त हो रहे मोटे अनाज के स्टॉल पर लोगों ने जमकर खरीदारी की। खास बात यह रही कि इस बार पिछले साल की तुलना में गाय के गोबर से बने उत्पादों को लोगों को खूब पसंद किया। वहीं, पहाड़ी टोपी ने भी राज्यवासियों के साथ अन्य लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित किया।

गाय के गोबर से बने मंदिर की डिमांड

गाय के गोबर को पवित्र माना जाता है। जिस कारण गोवंश के गोबर से बने गौरी गणेश की पूजा की जाती है। इसी को देखते हुए गाय के गोबर से दीपक, धूप बत्ती के साथ मूर्ति समेत अन्य पूजन सामग्री भी बनाई जाने लगी हैं। युवा महोत्सव में इन चीजों के स्टॉल भी देखने को मिले। लेकिन, लोगों को गाय के गोबर से बने केदारानाथ मंदिर ने खूब अट्रैक्ट किया। राजपुर रोड के स्वदेश कुटुंब स्वयं सहायता समूह की तरफ से बनाए गए एक मंदिर की कीमत 5 हजार रुपये तक रखी गई थी। समूह की अध्यक्ष तृप्ति थापर का कहना है की केदारनाथ मंदिर को उन्होंने पहली बार खुद के लिए बनाकर तैयार किया। लेकिन, महोत्सव के दौरान इसे काफी सराहा गया। अब तक 8 मंदिरों के ऑर्डर उन्हें मिल चुके हैं। उन्होंने बताया की गाय के गोबर, गंगाजल और मिट्टïी के मिश्रण से बनने वाले मंदिर को पूरी तरह से तैयार होने में करीब डेढ़ महीने का समय लगता है।

पहाड़ी टोपी का बढ़ रहा क्रेज

पीएम नरेंद्र मोदी के पहाड़ी टोपी पहनने के बाद मानो इसकी डिमांड भी बढऩे लगी हो। ऐसा ही नजारा युवा महोत्सव में भी दिखा। यहां पहाड़ी टोपी को तैयार करने वाले व्यापारियों के मुताबिक एक समय था जब पहाड़ी टोपी ज्यादातर 50 से ऊपर के उम्र के लोग ही खरीदा करते थे। सोनी एंटरप्राइजेज के ओनर विनोद सिंह जैस्वाल का कहना है की जब से पीएम मोदी ने इस टोपी को पहना है इसकी डिमांड बढ़ गई। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र का व्यक्ति इस टोपी को पहनने लगा है। चाहें कोई त्यौहार हो या शादी और पार्टी लोग इसे खास तौर पर पहनना पसंद कर कर रहे है यही कारण है कि इससे उनका व्यापार भी बढ़ा है। पहाड़ी टोपी पहाड़ की पहचान है। यह टोपी पहाड़ी व्यक्ति को उसकी संस्कृति और पहाड़ से जोडऩे का काम करती है।

वेस्ट टेट्रा पैकेट्स से बनी चेयर

जहां एक तरफ लोग टेट्रा पैकेट्स और जूस के पैकेट्स को वेस्ट समझ कर फेक देते है वही दून के वेस्ट वॉरियर्स सोसाइटी ने इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका निकाला है। ये न सिर्फ एन्वायरोमेंट को क्लीन करने का काम रहे है बल्कि इन वेस्ट चीजों कैसे यूज किया जाये ये भी बताता है। इनकी टीम इन वेस्ट आइटम्स को कलेक्ट करने और अलग करने के बाद, इन्हें काशीपुर भेजते है जहां पर इन पैकेट्स को कम्प्रेस कर के इनके शीट तैयार किये जाते हैं। जिसके बाद चेयर, बेंच, फोटो फ्रेम्स, पेन स्टैंड, और कई डेकोरेटिव आइटम्स तैयार किये जाते है। वेस्ट वॉरियर्स की सीनियर एसोसिएट, ओसनिका भट्ट ने बताया की इन चीजों को बनाने का मकसद पैसे कमाने का नहीं बल्कि लोगों को सफाई के लिए अवेयर करने का है। मंदिर, स्कूल , रेलवे स्टेशन पर भी इन चेयर और टेबल्स को लगाया गया है इसके अलावा नगर निगम की तरफ से भी इन चीजों को तैयार करने के ऑर्डर्स भी आते रहते है डिमांड की जाती है।

हेल्थ को लेकर सजग हो रहे युवा

ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गए पहाड़ी खाद्य पदार्थ सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैैं। जिस कारण युवा इसे व्यापार के रूप में अपनाने लगे हैैं। वे रागी (मंडुवा) के बिस्किट समेत अन्य उत्पाद बनाकर नए तरीके से व्यापार कर रहे हैैं। उनके इस उत्पाद को लोग भी खासा पसंद कर रहे हैं। बच्चे भी इन उत्पादों के प्रति आकर्षित हो रहे हैैं। रागी के बिस्कुट और लड्डू बनाने वाले दून के ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के एमएससी फूड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट मोहम्मद हमाद ने बताया कि लोग आजकल हेल्दी चीजें खाना पसंद करते हैं। जिस कारण उनके प्रोडक्ट्स खूब पसंद किए जा रहे हैैं। कई लोगों को उनका यह आइडिया पसंद आया है। वे उनके साथ काम करने की इच्छा भी जाहिर कर चुके हैैं।

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