-सीबीएसई बोर्ड की ओर से एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट के लिए बढ़ाई टीचर ट्रेनिंग की समय सीमा
देहरादून, 5 अप्रैल (ब्यूरो) : शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सीबीएसई ने सभी स्कूलों को 50 घंटे के ट्रेनिंग प्रोगाम में प्रतिभाग करना अनिवार्य किया हैं। जिससे टीचर्स के एजुकेशन क्वालिटी में सुधार हो व बच्चों तक गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध हो सकें। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद इसे अनिवार्य किया है। इसके पहले सभी स्कूलों के लिए 25 घंटे के ट्रेनिंग कोर्स चलाया जाता था। जो अक्सर अधिकतर स्कूल फॉलो नहीं करते थे। अब ट्रेनिंग का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार होगा। जिससे भागीदारी करने वाले स्कूलों की डिटेल मिलती रहेगी। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत हर स्कूल के टीचर्स को इसमें भागीदारी करना जरूरी होगा।
सीओईएस के तहत होती थी ट्रेनिंग
सीबीएसई अब तक कई सेंटर्स पर सीओईएस के तहत 23 ट्रेनिंग कोर्स करवा रहा। जिसके तहत 10 वीं व 12वीं के 22 जनरल कोर्स को अलग-अलग माध्यम से टीचर्स तक पहुंचाया जा रहा हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत इसमें बदलाव किया गया हैं।
सीबीएसई से जुड़े 124 स्कूल
सीबीएसई में लद्दाख व केन्द्र शासित प्रदेशों के कुल 124 सेकेडरी व सीनियर सैकेंडरी स्कूलों को जोड़ा गया है। यहीं नहीं आंध्र प्रदेश के 1000 से ज्यादा स्कूल सीबीएसई के दायरे में आ चुके हैं। जिसमें सभी सरकारी, प्राइवेट स्कूल भी शामिल है। दून में सीबीएसई के कुल 159 सरकारी, प्राइवेट व केन्द्रीय विद्यालय हैं।
जांच कमेटी ने दी रिपोर्ट
सीबीएसई के रीजनल ऑफिसर के अनुसार बोर्ड ने बीते साल शिक्षकों के एजुकेशन क्वालिटी में सुधार व उसकी जांच को लेकर कमेटी बनाई थी। जिसमें पाया गया कि, अब तक हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम में अधिकतर टीचर्स भाग नहीं लेते हैं। या स्कूल ही उन्हें ट्रेनिंग प्रोगाम में नहीं भेजते, कभी एग्जाम व कभी किसी विषय का बहाना बनाया जाता। इसके बाद समिति ने अप्रैल से ही ट्रेनिंग प्रोग्राम के शुरू कराये जाने के लिए निर्देशित किया।
राज्य सरकार की भागीदारी जरूरी
टीचर्स ट्रेनिंग प्रोगाम के बोर्ड के साथ सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझेदारी की जानकारी दी। जिनमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और पीपीपी मोड पर चल रहे स्कूलों के शिक्षकों का प्रतिभाग करना अनिवार्य किया है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिससे भाग लेने वाले स्कूलों की जानकारी प्राप्त हो सके।
स्कूल नहीं करते थे भागीदारी
बोर्ड की ओर से हर साल स्कूल शिक्षा में सुधार के लिए इस तरह के प्रोग्राम बनाए जाते है। लेकिन, इससे अक्सर अधिकतर स्कूल भागीदारी करने से बचते है। इसका कारण ट्रेनिंग करने वाले अधिकारी को प्रशिक्षण शुल्क चुकाना होता है। जिसमें एक अधिकारी को प्रशिक्षण के लिए कुल 1000 व उससे अधिक होता है। जिसे चुकाने में स्कूल प्रभारी बचते हैं। जिसे देखते हुए सीबीएसई ने सभी स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए सख्ती से निर्देश जारी किए है।
वर्जन -:
बोर्ड पहले समय समय पर शिक्षा में सुधार को लेकर अलग-अलग तरीके से टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम कराते हैं। इस पर प्रदेश सरकार के इसमें शामिल होने से शिक्षा की गुणवत्ता में और सुधार होगा।
दिनेश बर्तवाल, प्रिंसिपल दून इंटरनेशनल स्कूल
हमारी ओर से लगातार टीचर्स को अलग-अलग ट्रेनिंग कार्यक्रम में भेजा जाता हंै। ताकि, टीचर्स ट्रेन होकर बच्चों की सवालों के जवाब को गंभीरता से समझ सके। इसके परिणाम भी समय समय में देखने को मिले हैं।
डॉ.स्वाति आनंद, प्रिंसिपल धर्मा इंटरनेशनल स्कूल
सीबीएसई सेंटर की ओर से लगातार गाइडलाइन जारी हो रही है। इसके तहत एजुकेशन में सुधार को लेकर समय समय पर नए बदलाव किए जा रहे हैं। जिसे हमारी ओर से सभी सीबीएसई के स्कूलों को भी जारी कर दिया गया हैं।
डॉ.रणबीर सिंह, आरओ, सीबीएसई देहरादून