देहरादून (ब्यूरो): कभी दून शहर के आसपास के इलाकों के लिए जीवनदायिनी रही सुसवा नदी आज न केवल खुद खतरे की जद में है। बल्कि, इंसान और जानवरों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। कारण, सुसवा नदी में दून शहर के कई हिस्सों से सीवर का पानी बह रहा है। इसमें इतने जहरीले तत्व मौजूद हैं, जो किसी भी लाइलाज बीमारी को दावत दे सकते हैं। जानकारों की मानें तो इस नदी में बहने वाले पानी में आर्सेनिक और लैड जैसे जहरीले तत्व की मात्रा करीब 300 से लेकर 500 परसेंट तक ज्यादा है। यही वह खतरनाक तत्व हैं, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण है। जानवर व इंसान तो छोडि़ए, खेतों में भी ये पानी पहुंच जाए तो इससे न केवल फसलें, बल्कि खेत की उर्वरता भी खत्म हो जाएगी और खेत में उगने वाली फसल से इंसान तक पहुंचने का भी खतरा पैदा हो सकता है।

सुसवा की हकीकत आप भी सुनिए
थर्सडे को करीब सुबह 11 बजे का वक्त। हमारी टीम राजधानी दून से करीब 12 किमी दूरी पर स्थित दुधली कस्बे में पहुंची। दुधली पहुंचने से पहले टीम की नजर सुसवा नदी पर पड़ी। सामने नदी में बह रहे काला पानी तक हमारी टीम पहुंची। नदी के पास पहुंचने के बाद यहां पर ठहरे। लेकिन इस दौरान नदी की ओर से हवा के झोंके के साथ ऐसी दुर्गंध आ रही थी कि यहां पर एक पल खड़ा हो पाना मुश्किल हो रहा था।

लोगों का दावा, सुसवा दे रही कैंसर
इसके बाद हमारी टीम ने दुधली गांव की ओर रुख किया। वहां स्थानीय लोगों से इस बारे में जानकारी चाही। लोगों ने जो जानकारी थी वह हैरत में डालने वाली थी। लोगों का दावा था कि सुसवा नदी के बारे में जो आभास आपको महसूस हुआ उसका हम वर्षों से सामना कर रहे हैं। बताया कि, सुसवा में बहने वाला काला पानी पूरी तरह प्रदूषित है। ये पानी दून शहर के तमाम इलाकों का है, जिसमें सीवर, गंदगी, कचरा, पॉलीथिन व मेडिकल वेस्ट बहकर आ रहा है। गांव में कई लोग शोध को पहुंच रहे हैं। इस बारे में प्रशासन से लेकर सीएम दरबार तक शिकायत दर्ज की जा चुकी है, लेकिन अब तक किसी भी स्तर से कोई सुनवाई नहीं हुई है।

इन बीमारियों का खतरा
- कैंसर
- चर्म रोग
- पेट संबंधी बीमारियां
- श्वास
- किडनी

दुधली, नागल, सिमलास ग्रांट प्रभावित
दुधली के लोगों के दावा कितना सच है यह परखने के लिए हमारी टीम यहां से आगे नागल गांव पहुंची, तो यहां भी लोगों ने सुसवा नदी को लेकर जो बातें कहीं वह दुधली से मेल खा रही थी। यहां से टीम सिमलास ग्रांट और मार्खम गांट गांव पहुंची, तो यहां भी लोग दुधली, नागल की तरह का दावा करने लगे। इसके बाद तस्वीर कुछ साफ होती हुई नजर आई। हालांकि टीम ग्रामीणों के दावों को इत्तफाक नहीं रखती, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सुसवा नदी का प्रदूषित पानी कहीं न कहीं घातक बीमारियों को बढ़ा रहा है।

खेती में यूज हो रहा पानी
सवाल यह है कि हम नदी के पास दो मिनट भी ठहर नहीं रह सके, लेकिन नदी किनारे बसे दुधली, नागल, सिमलास ग्रांट व मार्खम ग्रांट के हजारों परिवार कैसे रह रहे हैं, यह आश्चर्य में डालने के लिए काफी है। दरअसल, इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। यहां गन्ना, बासमती चावल, फल-सब्जियों से लेकर अन्य कार्य में सुसवा का पानी यूज किया जाता है।

दर्जनों लोग बीमारियों से पीडि़त
इन गांवों के प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधि ने दावा करते हुए बताया कि रिसर्च में सुसवा नदी के पानी में घातक कैमिकल मिले हैं। दावा किया कि इसकी वजह से लोग स्किन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं। पिछले दो साल में क्षेत्र में 10 से अधिक लोगों की मौत कैंसर से मौत हुई है। दर्जनों लोग स्कीन, पेट व अन्य बीमारियों रोग से पीडि़त है।

नदी के पानी में घातक केमिकल
इस संबंध में जब हमने शोधकर्ता डॉ। बृजमोहन शर्मा से बात की तो, उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से सुसवा नदी के पानी की सैंपलिंग कर रहे हैं। पिछले 15 साल में नदी में पॉल्यूशन की मात्रा 500 से 1000 परसेंट तक बढ़ गई है। सुसवा के पानी में कॉलीफार्म, वैक्टीरिया, लेड, आर्सेनिक, आयरन व मैग्जीन आदि की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा है, जिनसे कैंसर के साथ ही स्किन व पेट संबंधी कई बीमारियों के होने की संभावना होती है।

सुसवा नदी के पानी की जांच पर एक नजर
मेटल का नाम सीपीसीबी मानक रिजल्ट
पीएच 6.5-8.5 4.1-12.5
ऑयल एंड ग्रीस 10 19-45
टीडीएस 500 743-1999
सल्फेट 1000 352-1410
नाइटे्रेट 0 2.4-5.72
ऑयरन 0 0.9-2.42
लेड 0 0.56-1.18
डिजॉल्व 3 0.2-0.7
ऑक्सीजन
बॉयोलॉजिकल 6 378-728
ऑक्सीजन
केमिकल 0 724-1542
ऑक्सीजन
टोटल कॉलीफॉम 0 5200-20000
एमपीएन-100 एमएल
फीकल कॉलीफॉम 0 450-11000
एमपीएन-100 एमएल
(मात्रा एमजी-आई में)

ये बताए जा रहे पॉल्यूशन के मुख्य कारण
- स्लम एरियाज का सीवर
- हॉस्पिटलों का मेडिकल वेस्ट
- फैक्टरी, एसटीपी का केमिकल
- शहर के तमाम गंदगी व कचरा
- प्रदूषित पानी कैंसर, किडनी, श्वांस व पेट संबंधी बीमारियों को दे रहा जन्म

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