देहरादून,(ब्यूरो): गत वर्षों की तर्ज पर छात्र संघ चुनाव दून के कॉलेजों में कब होंगे, अब तक स्थिति साफ नहीं है। लेकिन, चुनाव को लेकर छात्र नेताओं के मन में काफी कुछ कौंध रहा है। उनकी सरकार से प्रति नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। तमाम माध्यमों से सरकार तक अपनी शिकायतें पहुंचाने वाले छात्र नेताओं का कहना है कि समय पर छात्र संघ चुनाव न होने से न केवल एग्जाम पर असर पड़ेगा। बल्कि, कॉलेज कैंपस में छात्रों की समस्याएं भी उठाने वाले तक कोई नहीं हैं।
समय पर चुनाव नहीं, पढ़ाई पर असर
पटेलनगर स्थित दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के ऑफिस में कैंपस पॉलिटिक्स कैंपेन के मौके पर कुछ छात्र नेताओं ने शिरकत की। उन्होंने अपनी बातें प्रमुखता से रखते हुए कहा कि समय पर चुनाव न होने के कारण इसका सीधा असर स्टूडेंट के एजुकेशन पर पड़ रहा है। स्टूडेंट्स की समस्याएं समय पर सरकार तक नहीं पहुंच पा रही हैं। उनके सामने एडमिशन, रिजल्ट, फीस, लाइब्रेरी, फैकल्टी और पढ़ाई जैसी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। मसलन, जब छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे, प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो तो छात्र अपनी बात सरकार से लेकर कॉलेज प्रशासन तक कैसे पहुंचाएंगे।
लिंगदोह की सिफारिश की अवहेलना
स्टूडेट्स नेताओं ने आरोप लगाए कि लिंगदोह कमेटी के नियम का पालन प्रदेश में किसी भी कीमत पर नहीं हो रहा है। कमेटी के सिफारिशों के मुताबिक एडमिशन प्रोसेस शुरू होने के साथ ही 45 से लेकर 60 दिन में छात्र संघ चुनाव हो जाने चाहिए। लेकिन, सरकार की ओर से इस पर अब तक कोई भी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली।
छात्र नेताओं की जुबानी
-कॉलेजों में एडमिशन पूर होने के 60 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका पूरा
-अकेले राजधानी दून में सभी कॉलेजों में एडमिशन शुरू हुए 60 दिन से ज्यादा का बीत चुका है वक्त।
-इसमें डीएवी व एमकेपी कॉलेज सबसे आगे, इसके बाद भी इलेक्शन की डेट स्पष्ट नहीं।
-इससे पहले कॉलेजों में 40 से 60 परसेंट एडमिशन होने पर शुरू हो जाती थी छात्र संघ चुनाव की प्रक्रिया।
-एडमिशन के पहले दिन से लगातार छात्र नेता अपने स्तर से छात्र संघ चुनाव की तैयारियों में जुट हुए हैं।
छात्र नेताओं के सरकार से सवाल
-पहाड़ों के कई कॉलेज में हो चुके चुनाव, दून में क्यों नहीं।
-दून में चुनाव को लेकर सरकार की ओर से अनदेखी के आरोप।
-छात्र संघ चुनाव न होने के कारण एजुकेशन पर पड़ रहा असर।
-चुनाव न होने से एजुकेशन के साथ सालभर के कार्यक्रम हो रहे प्रभावित।
- छात्र संघ के माध्यम से होने वाले कई निर्माण कार्यों पर भी पड़ रहा असर।
-चुनाव न होने के बाद भी कैंपस में पुलिस फोर्स की तैनाती क्यों
समय पर चुनाव होने से स्टूडेंट की समस्या का समाधान आसानी से हो जाता है। लेकिन, समय पर चुनाव न होने से कई योजनाओं का क्रियान्वयन तक नहीं हो पा रहा हैं।
-साहिल पंवार, छात्र नेता एबीवीपी।
छात्र संघ चुनाव सरकार को जल्द ही संपन्न कराने की जरूरत है। विद्यार्थी परिषद इसके लिए पहले से तैयार है। जबकि, हाल ही में एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के तीनों कैंपस में चुनाव हो चुके है।
-यशवंत पंवार, महानगर मंत्री, एबीवीपी।
छात्र संघ चुनाव जल्द किए जाने की जरूरत है। हालांकि, विद्यार्थी परिषद साल भर स्टूडेंट्स के हितों के लिए कैंपस में खड़ी रहती है। लेकिन, छात्र संघ चुनाव का अलग महत्व है। नए छात्रों को इससे काफी हेल्प मिलती है।
-पार्थ जुयाल, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष।
कोविड से पहले कॉलेज में एडमिशन प्रोसेस के बाद इलेक्शन की भी तैयारी शुरू हो जाती थीं। लेकिन, कोरोनाकाल के बाद से एडमिशन प्रोसेस में सबसे ज्यादा दिक्कत देखने को मिल रही है। इस पर सरकार को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
-हरजोत सिंह, महानगर महासचिव, एनएसयूआई
जब एडमिशन समय पर हो चुके हैं तो इलेक्शन को लेकर देरी क्यों है। अगर, चुनाव की डेट बदलती है तो इसका असर सीधे तौर पर नवंबर व दिसंबर में होने वाले एग्जाम पर पड़ेगा। सरकार को निर्णय लेने की जरूरत है।
-गौरव सिंह, स्टूडेंट
कॉलेज में पूर्व छात्र संघ की ओर से कई प्रस्ताव दिए गए थे। लेकिन, अब तक इन सभी पर कोई फैसला नहीं मिलया जा सका है। इसमें चाहे कॉलेज में सीढ़ी लगाने की बात हो या फिर हैंडपंप। सभी बातें घोषणाएं तक सीमित रह गई हैं।
-करन, छात्र नेता, एनएसयूआई।
सभी कॉलेजों में समय पर इलेक्शन होने से स्टूडेंट को अपनी समस्याएं पहुंचाने का माध्यम मिल जाता है। लेकिन, अधिकतर कॉलेज में छात्र संघ चुनाव न होने के कारण स्टूडेंट की समस्याओं का समाधान नहींं हो पा रहा हैं।
-फरीद अहमद, एबीवीपी।dehradun@inext.co.in