देहरादून (ब्यूरो) उत्तराखंड राज्य बनने के चार साल बाद 2004 में सीएम एनडी तिवारी ने सोलर एनर्जी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दून के पटेलनगर में सोलर एनर्जी पार्क की स्थापना की थी। पार्क शहर के बीचोंबीच स्थित सिंचाई विभाग के सहयोग से तैयार किया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन ऊर्जा राज्यमंत्री अमृता रावत की मौजूदगी में सीएम एनडी तिवारी ने 21 दिसंबर 2004 को किया था। इसमें केंद्रीय मंत्रालय का 91.84 लाख रुपए व राज्य सरकार के 1.27 करोड़ रुपए का सहयोग रहा था।
डिश टाइप सोलर कुकर बदहाल
करीब 2.3 एकड़ में फैले ऊर्जा पार्क में स्टूडेंट्स व यूथ को सोलर एनर्जी के बारे में जानकारियां देने के साथ ही सोलर पावर प्लांट, सोलर टॉय कार, 6 किलोवाट का प्लांट जैसे तमाम रिसर्च व जानकारियां मौजूद कराई गई थीं। यहां लगा डिश टाईप सोलर कुकर भी बदहाल है। इस छोटे से प्लांट में प्रेशर कुकर में सनलाइट से खाना पकाया जाता है, जिससे होटल व रेस्टोरेंट आदि में प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन आज तक इस विधि का ऊर्जा पार्क के अलावा कहीं यूज नहीं हुआ।
सोलर ड्रायर बना शो-पीस
सोलर कैबिनेट ड्रायर प्लांट फल, सब्जी, मसाले व रसायनिक पदार्थ आदि को गर्म हवा के जरिये सुखाने में उपयोग किया जाता है। इस प्लांट में दो ट्रे लगी हैं, जिन पर धूप पडऩे से ट्रे गर्म हो जाती है। इससे एक बार में 50 किलो तक खाद्य पदार्थों की नमी को सुखाया जाता है, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह प्लांट भी मात्र शो पीस बना है।
स्टूडें्स नहीं करते अब विजिट
सोलर एनर्जी की स्थापना के बाद कई सालों तक राज्य के पहले व एक मात्र सोलर पार्क पहुंचने वाले विजिटर्स का तांता लगा रहता था। लेकिन, वक्त के साथ सोलर पार्क की स्थिति भी दयनीय होती रही। गत 15 वर्षो में पार्क के रिनोवेशन के लिए कोई धनराशि खर्च नहीं हुई। नतीजतन, यहां स्थापित किए गए सोलर से संबंधित इक्विपमेंट जंग खा चुके हैं। यही वजह है कि अब यहां न स्कूल्स व इंस्टीट्यूशंस के स्टूडें्स विजिट के लिए पहुंचते और न ही टिकट का काउंटर खुला नजर आता है। यहां लगा घराट जहां बंद पड़ा है वहीं वाटर पूल, फाउंटेन से लेकर सभी सोलर सिस्टम आखिरी सांसे गिने रहे हैं।
प्रमुख बिन्दु
-वर्ष 2004 में पार्क की स्थापना।
-हर माह 15 हजार की इनकम रही।
-पार्क की देखरेख को 3 कर्मी तैनात।
-टिकट की सेल से ही कर्मचारियों का वेतन।
-पार्क का ऑडिटोरियम सबसे बड़ा कमाई का सोर्स।
-अब तक पार्क नो लॉस, नो प्रॉफिट में।
यह हैं हालात
-सोलर पार्क में 6 केवी की बैटरी जीर्ण-शीर्ण।
-सोलर वाटर हीटर्स पूरी तरह से खराब।
-सोलर बैटरियों की स्थिति खस्ताहाल।
-एनर्जी जेनरेटर्स हीटर भी खा चुके हैं जंग।
-पानी के तालाब भी टूटकर हुए खराब।
-डेमो के लिए तैयार किया गया घराट भी खराब।
-सभी सोलर प्लेट भी बदहाल स्थिति में।
-सोलर टॉयज की हालत भी खराब।
- वर्षों से पार्क बंद होने से नहीं आते हैं अब यहां स्टूडेंट््स।
ईसीबीसी बिल्डिंग प्रस्तावित
ऊर्जा पार्क में सुपर एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड (ईसीबीसी) बिल्डिंग निर्माण का प्रस्ताव है। इस बिल्डिंग की 50 प्रतिशत से अधिक बिजली खपत सोलर पर निर्भर होगी। इस पर 8.50 करोड़ के लगभग खर्च होंगे, जिसे केंद्र सरकार वहन करेगा। बताया जा रहा है कि यह बिल्डिंग लोगों को सोलर एनर्जी की ओर आकर्षित करेगी। केंद्रीय लोक निर्माण की देहरादून विंग इस बिल्डिंग का निर्माण करेगी।
1100 मेगावाट सोलर एनर्जी का टारगेट
उरेडा ने अगले पांच साल में करीब 1100 मेगावाट सोलर एनर्जी का टारगेट रखा है। वर्तमान में दून समेत पूरे राज्य में करीब 375 मेगावाट के लगभग सोलर एनर्जी पैदा हो रही है। सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए नई सोलर पॉलिसी में कई बदलाव किए गए हैं। उरेडा के अधिकारियों ने बताया कि नई सोलर पावर पॉलसी में कई प्रतिबंधों को हटाकर नीति को आमजन के अनुरूप बनाया गया है। सोलर पावर स्कीम के लिए आकर्षित सब्सिडी के साथ कई नियमों को शिथिल किया गया है। सोलर में निजी निवेश को बढ़ावा दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया है।
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