देहरादून, (ब्यूरो): रेंजर ग्राउंड में सरस मेले की धूम है। सरस मेला 18 अक्टूबर से शुरू हुआ था जो 27 अक्टूबर तक चलेगा। इस मेले की खासियत ये है कि यहां देशभर से लोग अपने-अपने राज्य की कला और संस्कृति का प्रदर्शन करने आए हैं। केरल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कश्मीर, और लखनऊ जैसे राज्यों से यहां स्टॉल्स लगे हुए हैं। इन स्टॉल्स में कपड़े, डेकोरेटिव आइटम्स, बैग्स, मिलेट्स और हैैंडीक्राफ्ट जैसी कई चीजें मिल रही हैं। ये मेला न सिर्फ खरीदारों के लिए बल्कि स्टॉल लगाने वालों के लिए भी रोजगार का अवसर बनकर आया है। हलांकि इस मेले में दो पहलू देखने को मिल रहे हैं, जहां कुछ स्टॉल्स पर रौनक दिखाई दे रही है वहीं कुछ लोगों के चेहरों पर मायूसी भी देखने को मिल रही है।
सरस मेले में यह है खास
इस मेले में जहां उत्तराखंड के लोकल प्रोडक्ट्स की कई वराइटी देखने को मिल रही है, वहीं दूर-दूर से आए लोग अपने खास प्रोडक्ट्स के जरिए लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश से आए पूला वुड कार्विंग, जो कि नीम की लकड़ी से बनी मूर्तियों और सजावटी चीजों का स्टॉल लगाए हुए हैं, इस स्टॉल की खास बात ये है की यहां आपको रामलला की काष्ठ प्रतिमा, जिसकी कीमत ढाई लाख रुपये है देखने को मिलेगी। हालांकि, इस स्टॉल के ओनर को अभी भी इंतजार है कि कोई उनकी इस अनोखी कलाकारी को खरीदने आए।
दिवाली की तैयारियां, बढ़ी डिमांड
मेले में दिवाली के पहले ही त्योहार की तैयारी शुरू हो गई है और लोग दिवाली की खरीदारी के मकसद ये भी यहां पहुंच रहे हैं। मिट्टी से बने दीये, लक्ष्मी पादुका, शुभ-लाभ और कई सजावटी सामान यहां आये लोगों को पसंद आ रही है। स्वयं सहायता समूह के जरिये बनाए गए ये प्रोडक्ट्स, खास रूप से लक्ष्मीपादुका अपनी अनूठी डिजाइन और रंग के कारण लोगों की पहली पसंद बानी हुई हैं।
कही प्रॉफिट, कही लॉस
जहां कुछ लोग मेले में अच्छी कमाई कर रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो मेले में मायूस दिखाई दिए। खासकर वो लोग जो केरल, राजस्थान और बिहार जैसे दूर-दराज के इलाकों से आए हैं। उनकी उम्मीदें थीं कि इस बार अच्छी बिक्री होगी, लेकिन उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। विक्रेताओं का कहना है कि इस समय दून में तीन-चार जगहों पर मेले का आयोजन हो रहा है, जिनमें विरासत मेला भी शामिल है, जिसके चलते यहां आने वाले लोगों की संख्या कम है। साथ ही, यहां आने वाले ज्यादातर लोग केवल देखने के मकसद से आते हैं, और उन्हें लग रहा है कि ये सामान ऑनलाइन भी मिल सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों को यहां सामान की पहचान नहीं हो रही है, और कई बार उन्हें कीमत भी ज्यादा लगती हैं।
पहाड़ी राजमा की जबरदस्त मांग
अगर बात करें राजमा की, तो ये मेला पहाड़ी राजमा की मांग के लिए खासा चर्चा में है। शक्ति स्वयं सहायता समूह के जरिये लगाए गए स्टॉल पर एक ही दिन में 14,000 रुपये की राजमा की बिक्री हुई है। मेले में ऐसे करीब 10 स्टॉल्स मौजूद हैं जहां राजमा की अलग-अलग वैराइटी मौजूद है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। इसके गुणकारी फायदे और बेहतरीन टेस्ट की वजह से पहाड़ी राजमा की डिमांड बढ़ती जा रही है।
हम इस उम्मीद से आए थे कि अच्छी कमाई होगी, लेकिन चीजें हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहीं। इसकी वजह यह है कि लोग हमारे प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा नहीं जानते। हम जो सामान बनाते हैं, उनमें काफी मेहनत लगती है, इसलिए उनकी कीमत भी ज्यादा होती है। जिसकी वजह से लॉस हुआ है।
-नैना पूजिता, आंध्र प्रदेश
यहां एक साथ कई जगहों पर मेले लगे हैं, जिसकी वजह से लोग हमारे कपड़ों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा, जो लोग आते भी हैं, वे मशीनी प्रिंट और सस्ते कपड़े चाहते हैं। हमारे हैंडवर्क वाले कपड़ों की कीमत थोड़ी ज्यादा होती है, इसलिए लोग इन्हें खरीदने से कतरा रहे हैं।
-संतोष, बिहार
हमारी उम्मीद के मुताबिक इस बार बिक्री अच्छी नहीं रही। हम मिट्टी से बनी चीजें बनाते हैं, जिनको तैयार करने में तीन महीने लगते हैैं। ऐसे में उनका थोड़ा महंगा होना लाजमी है, लेकिन लोग अक्सर सिर्फ कीमत पर ध्यान देते हैं, जबकि उन्हें बनाने में कितनी मेहनत लगी है, यह नहीं समझ पाते।
रेखा, देहरादून
आजकल लोगों के पास ऑनलाइन का ऑप्शन है। यहां आने वाले लोग सामान देखते हैं और यह कहकर चले जाते हैं कि यह सब तो हम ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। इसी वजह से ज्यादातर लोग बस यहां घूमने आते हैं और कुछ नहीं खरीदते, जिससे स्टॉल लगाना नुकसानदेह साबित हो रहा है।
अनुराग, देहरादून
पिछले तीन दिनों में हमारी 50 हजार रुपये की बिक्री हो चुकी है। हम हर बार यहां स्टॉल लगाते हैं, और इस बार भी अच्छा मुनाफा हुआ है। कश्मीरी वर्क वाले कपड़े लोगों को खास पसंद आ रहे हैं, इसलिए हमारी सेल अच्छी हो रही है।
तौसीफ, कश्मीरdehradun@inext.co.in