अब तक 1200 ड्रोन संचालक होने का अनुमान
उत्तराखंड आपदा के लिए बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है। हर बार छोटी-बड़ी आपदाएं आना यहां आम बात है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा किसी से छुपी नहीं है। जाहिर है कि इसको देखते हुए आईटीडीए अब ड्रोन को प्रमोशन देना चाह रही है। जिससे ड्रोन को ऐसे इलाकों में भेजा जा सके, जहां फोर्स या फिर आम लोगों की पहुंच न हो। इसके अलावा ड्रोन से तत्काल असल तस्वीर सामने आ सके। इसके तहत अब आईटीडीए ने राज्य के 13 जिलों में करीब 1200 ड्रोन संचालकों की एक अनुमानित सूची तैयार की है। जिनको आईटीडीए ड्रोन पायलट की संज्ञा दे रही है। बताया गया है कि इन ड्रोन पायलटों को ट्रेंड किया जाएगा और उसके बाद उनको ब्लॉक, तहसील और जिला लेवल पर अलर्ट मोड में रखा जाएगा। ये सभी ड्रोन पायलट आईटीडीए मुख्यालय से वी-सैट के जरिए जुड़े सकेंगे और जहां कोई भी आपदा की घटना सामने आए, राहत कार्यों के लिए पहुंचने वाली टीमों से पहले वहां की प्रथम दृष्टया तस्वीर भेजेंगे।

23 से 30 जून तक फोटोग्राफी कॉम्पिटीशन
आईटीडीए के अधिकारियों के मुताबिक शुरुआती तौर पर थर्सडे यानि 23 जून से ऐसे ड्रोन पायलटों के लिए ऑनलाइन कॉम्पिटीशन की शुरुआत की गई है, जो 30 जून तक जारी रहेगी। हालांकि, आईटीडीए को अब तक केवल करीब 200 ड्रोन पायलटों के ही आवेदन एक्सैप्ट हुए हैं। लेकिन, अधिकारियों का मानना है कि जैसे-जैसे प्रचार प्रसार होगा, ये ड्रोन संचालक सामने आते रहेंगे। इस कॉम्पिटीशन के तहत इनको अपने-अपने क्षेत्रों से पिक्चर भेजनी होगी और इसमें टॉप-थ्री की जो फोटोग्राफ पिक्चर सिलेक्ट होंगी, उन्हें प्राइजमनी भी दी जाएगी। शर्त के तौर पर इन ड्रोन पायलट का उत्तराखंड का मूल निवासी होना जरूरी है।

पेमेंट पर शासन से सहमति का इंतजार
ड्रोन संचालकों को ट्रेनिंग के बाद फिक्स मानदेय या फिर प्रति दिन के हिसाब से पेमेंट दिए जाने को लेकर शासन में मंथन चल रहा है। लेकिन, यह स्पष्ट किया गया है कि ड्रोन खुद ड्रोन संचालक का होना जरूरी होगा। ये ड्रोन संचालक वे शामिल हैं, जो शादी-ब्याह में मैरिज कवरेज के लिए ड्रोन उड़ाते हैं। वहीं, पॉलिटेक्निक के स्टूडेंट्स को भी ट्रेनिंग दिए जाने की तैयारी की जा रही है।

नभ नेत्र फिलहाल आईटीडीए मुख्यालय में
पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ड्रोन से लैस हाईटेक वाहन नभ नेत्र की लॉन्चिग की थी। जिसमें दो हाईटेक ड्रोन मुस्तैद किए गए हैं। इसका मकसद था कि आपदा ग्रसित क्षेत्रों में इसकी तैनाती हो। लेकिन, फिलहाल, यह नभ नेत्र वाहन आईटीडीए मुख्यालय पर ही तैनात है। बताया गया है कि आजकल इसके जरिए टेस्टिंग जारी है। वी-सैट के जरिए पिक्चर कैच करने के बाद मुख्यालय से जोड़े जा रहे हैं। आईटीडीए के अधिकारियों की मानें तो टेस्ट ड्राइव सही रहा तो मानसून को देखते हुए नभ नेत्र को जरूरी स्थानों के लिए रवाना कर दिया जाएगा।