देहरादून(ब्यूरो) जानकारों की मानें तो उत्तराखंड सॉइल इरोजन (मिट्टी का कटाव) भयंकर समस्या से जूझ रहा है। यहां का एक तिहाई एरिया गंभीर कटाव के ग्रसित है, जिसमें हर साल औसतन 40 टन प्रति हेक्टेयर एरिया के हिसाब से मिट्टी का नुकसान हो रहा है, जिससे मिट्टी के स्वास्थ पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इस इरोजन के साथ बहुत सारे पोषक तत्व और कार्बन भी मिट्टी से नष्ट हो रहा है।
पहाड़ी एरिया में ज्यादा असर
पहाड़ में हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों से मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है।्र इसमें ढलान और भी मददगार होती है। बरसात में मिट्टी का कटाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कारण ये है कि पहले मिट्टी में आसानी में पानी चाला जाता था लेकिन अब इसकी रफ्तार थोड़ा कम हो गई है, वहीं बारिश की रफ्तार में बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से बारिश का पानी मिट्टी के अंदर न जाकर सीधे बह जाता है और साथ मेें मिट्टी भी काटकर ले जाता है। बता दें कि सतह की मिट्टी को सबसे ज्यादा उपजाऊ माना जाता है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है।
कैसे रोकें मिट्टी का कटाव
- ज्यादा प्लांटेशन करके
- पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर
- चेकडैम बनाकर
- वाटरशेड मैनेजमेंट करके
- खेतों की मेढ़ों पर मिट्टी को पकड़े रखने वाली फसलेंं लगाकर
इसलिए मनाया जाता सॉइल डे
2002 में, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल साइंस ने यह प्रस्ताव दिया था कि 5 दिसंबर को वल्र्ड सॉइल डे के रूप में मनाया जाए, जिससे मिट्टी की खराब होती कंडिशन के बारे में लोगों को अवेयर किया जाए। इसके बाद जून 2013 में फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन कॉन्फ्रेंस ने 68वें यूनाइटेड नेशंस जर्नल असेंबली में वल्र्ड सॉइल डे को मनाने का आग्रह किया। असेंबली ने आखिरकार 5 दिसंबर 2014 को पहले ऑफिशियल वल्र्ड सॉइल डे के रूप में अनाउंस किया। तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है।
कैसे बनाएं रखें मिट्टी की हेल्थ
भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ डीवी सिंह ने बताया कि अगर मिट्टी की सेहत सही नहीं रहेगी तो फसलों की पैदावार कम होगी। कहा कि आज के समय में लोगों ने जानवारों का पालन कम कर दिया है ऐसे में मिट्टी के स्वास्थ को मेंटेन रखने वाली गोबर की खाद से ही काम नहीं चलने वाला है। इसके लिए हमें फर्टिलाइजर का भी इस्तेमाल करना होगा। जिसके लिए 5 आर प्रिसिंपल का यूज किया जाता है। इसके साथ ही बायो फर्टिलाइजर और दलहनी फसालों का भी यूज किया जाता है।
5 आर प्रिसिंपल
- राइट रेट ऑफ फर्टिलाइजर्स
- राइट सोर्स ऑफ न्यूट्रिएंट्स
- राइट टाइम
- राइट प्लेस
- राइट कॉम्बिनेशन
मिट्टी की जांच जरूर कराएं
मिट्टी की सेहत का पता लगाने और सेहत बनाए रखने के लिए मिट्टी की जांच करानी चाहिए। ऐसा करने से किसानों को पता लग जाता है कि मिट्टी में किन चीजों की कमी है। जिसके बाद जांच के आधार पर उस कमी को पूरा किया जा सकता है।
जांच के 12 पैरामीटर्स
कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, मैंगनीज, सैैंड, सैलिनिटी, एसिडिटी, पीएच वैल्यू, वाटर होल्डिंग, कैपेसिटी, स्टेबिलिटी
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