देहरादून, (ब्यूरो): दून और राज्य के अन्य हिस्सों में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाडऩे के आरोप लगाते हुए रविवार को बड़ी संख्या में लोग मुंह पर सफेद पट्टी बांधकर सड़कों पर उतरे। इनमें कई सामाजिक संगठनों के साथ ही विपक्षी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता शामिल रहे। सबसे पहले ये कार्यकर्ता गांधी पार्क में एकत्रित हुए। इसके बाद इन्होंने सद्भावना मार्च निकाला। वक्ताओं का कहना था कि जब धर्म के नाम पर अधर्म को स्वीकार कर लिया जाता है तो फिर लोगों को सड़क पर उतरना पड़ता है।
पर्यावरणविद डा। चोपड़ा ने आभार जताया
सद्भावना मार्च गांधी पार्क से शुरू होकर घंटाघर, पल्टन बाजार, राजा रोड होता हुआ कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचा। इस मौके पर पर्यावरणविद् डॉ। रवि चोपड़ा ने सभी का आभार जताया। कहा, मौन जलूस निकाल लेने के बाद हमें चुप नहीं बैठना है। इस दौरान सद्भावना मार्च के बैनर पर निवेदकों के जगह भारत के संविधान का पहला वाक्य 'हम भारत के लोग लिखा था। लोग हाथों में जो तख्तियां लिये हुए थे, उन पर हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई, जैसे कई नारे लिखे हुए थे। इस दौरान उत्तराखंड इंसानियत मंच, उत्तराखंड महिला मंच, चेतना आंदोलन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, एसएफआई, इप्टा, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, जन संवाद समिति, गढ़वाल सभा, एडवा, एनएपीएसआर, सर्वोदय मंडल, एमएडी जैसे संगठनों के अलावा, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले और समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सद्भावना मार्च की शुरूआत गांधी पार्क से हुई। यहां सतीश धौलाखंडी और इंद्रेश मैखुरी ने एकता और बंधुत्व को लेकर जनगीत गाये गये। उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट ने मार्च के नियमों के बारे में बताया।
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