देहरादून(ब्यूरो): आईएसबीटी, घंटाघर, राजपुर रोड समेत आधे दर्जन से ज्यादा इलाकों में एमडीडीए के सहयोग से ब्रिडकुल ने दून शहर में स्मार्ट पार्किंग की शुरुआत की थी। उम्मीद थी कि बड़े महानगरों की तर्ज पर दून में वाहनों को बेहतर पार्किंग की सुविधा मिले। स्मार्ट पार्किंग, जिसको ऑन स्ट्रीट पार्किंग भी कहा जाता था, इसकी शुरुआत बेहतर रही। मोबाइल एप के जरिए ही लोगों ने अपने लिए सिटी के तमाम इलाकों में पार्किंग रिजर्व कराए। इसका फायदा एमडीडीए से लेकर ब्रिडकुल को राजस्व के तौर पर मिला। लेकिन, कोविडकाल के बाद मानो इस व्यवस्था पर ग्रहण लग गया हो। जिस कंपनी के साथ ब्रिडकुल ने स्मार्ट पार्किंग का संचालन शुरू किया था, उसने घाटा बताते हुए हाथ पीछे खींच लिए। आखिर में इस साल से ब्रिडकुल और एमडीडीए ने पांच साल का करार खत्म होने का बहाना बताते हुए स्मार्ट पार्किंग पर फुल स्टॉप लगा दिया है।
एमडीडीए के साथ डीएम करेंगी मंथन
डीएम व नगर निगम प्रशासक सोनिका के अनुसार स्मार्ट सिटी पार्किंग का जिम्मा अब तक एमडीडीए और ब्रिडकुल के पास था। ब्रिडकुल व एमडीडीए के बीच हुए करार की पूरी जानकारी नहीं है। पब्लिक को स्मार्ट पार्किंग की सुविधा अब कैसे दी जाएगी, इस पर जल्द ही एमडीडीए के साथ मिलकर विचार मंथन किया जाएगा।
स्मार्ट पार्किंग से सबसे बड़ा फायदा वाहन की सेफ्टी का है। पार्किंग में गाड़ी पार्क करने पर न केवल वाहन सेफ रहता है, बल्कि, सड़क किनारे गाड़ी पार्क करने से बनी रहने वाली टेंशन से भी निजात मिलती है। दोबारा ऐसी पार्किंग की व्यवस्था शुरू होनी चाहिए।
-जस्सी।
पार्किंग की व्यवस्था से गाडियां व्यवस्थित तरीके से रखती हैं। जिससे यातायात को सुचारू रूप से चलने में भी मदद मिलती है। भीड़भाड़ वाली जगह के लिए ऐसी पार्किंग का महत्व और भी बढ़ जाता है।
-कृपाल।
पार्किंग गाडिय़ों को चोरी और नुकसान से बचा सकती है। जब स्मार्ट पार्किंग थी तो हम गाड़ी वहीं पार्क करते थे। लेकिन, अब पार्किंग ढूंढने में दिक्कत होती है। अच्छी सुविधा थी, जिसको फिर से शुरू किया जाना चाहिए।
-दीपक।
स्मार्ट पार्किंग अच्छा कांसेप्ट था। इसे दोबारा शुरू किए जाने की आवश्यकता महसूस होती है। इससे ट्रैफिक जाम की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा। वहीं, वाहन स्वामियों को भी मालूम रहेगा कि उन्हें कहां गाड़ी पार्क करनी हैं।
-अमित।