देहरादून (ब्यूरो)।
दून-हरिद्वार हाईवे को चौड़ा करने के काम पिछले कई वर्षों से चल रहा था। तीन वर्ष पहले इस हाईवे के ज्यादातर हिस्से को फोरलेन बनाया जा चुका है, लेकिन कुछ बोटलनेक अब भी मौजूद हैं। इनमें एक बोटलनेक जोगीवाला चौक है, जहां कुछ पुरानी दुकानों के आड़े आ जाने के कारण हाईवे फोनलेन नहीं बन पा रहा है और दूसरा बोटलनेक अजबखुर्द रेलवे ओवरब्रिज से आईएसबीटी तक है। करीब 4 किमी लंबे हाईवे के इस हिस्से पर तीन वर्ष पहले भी काम शुरू हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने बीच में ही काम छोड़ दिया था। दुबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू करने और टेंडर जारी कर काम शुरू करने में तीन वर्ष लग गये। लेकिन, एक बार फिर सुस्त पड़ जाने से इस 4 किमी क्षेत्र में आना-जाना बेहद खतरनाक हो गया है।
दोनों ओर बुरा हाल
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 4 किमी लंबे हरिद्वार बाईपास का रियलिटी चेक किया तो पाया कि कई जगहों पर रोड के साइड में फोरलेन बनाने के लिए की गई खुदाई से यहां फिलहाल स्थितियां काफी खराब हो गई हैं। बोटलनेक होने के कारण यहां लगातार जाम लगते रहे हैं। पहले लोग अपना व्हीकल कच्चे में उतार लेते थे, लेकिन अब खुदाई हो जाने के कारण कच्चे में उतारना संभव नहीं है और जाम पहले से दोगुना ज्यादा लग रहा है।
कई जगहों पर खतरा
4 किमी लंबा यह बाईपास कई जगहों पर काफी खतरनाक है। इसी 4 किमी के बीच बिंदाल नदी और तीन नाले बहते हैं। इनके आसपास खाई होने से एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। रोड फोरलेन बनाने के लिए बिंदाल और अन्य नालों पर पुल बनाये जाने हैं, लेकिन जब तक पुल नहीं बन जाते यहां खतरा बना हुआ है।
नहीं जलती स्ट्रीट लाइट
बाईपास रोड के इस हिस्से के साथ एक बड़ी दिक्कत स्ट्रीट लाइट न होना भी है। आईएसबीटी से लेकर अजबपुरखुर्द आरओबी तक गिनी-चुनी स्ट्रीट लाइट्स जलती हैं। एक तरफ भारी वाहनों का आना-जाना और दूसरी तरफ सड़क पर पसरा अंधेरा, इससे सबसे ज्यादा परेशानी टूव्हीलर्स सवारों को होती है। जरा भी चूक टूव्हीलर चालक के लिए जान तक का खतरा बन सकती है।
अभी मैं मुख्यालय में हूं और काम बंद हो जाने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
ओपी सिंह, ईई, पीडब्ल्यूडी एनएच