देहरादून (ब्यूरो) । 3 वर्ष पूर्व 2018 की आखिर में स्मार्ट सिटी के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में शामिल स्मार्ट पार्किंग शुरू की गई थी। मकसद था कि सिटी में सुव्यवस्थित तरीके से पार्किंग के इंतजाम हो सके और सड़कों के किनारे आड़े-तिरछे वाहन न हो सके। इस प्रोजेक्ट्स को स्मार्ट सिटी के कनवर्जन प्रोजेक्ट्स में शामिल किया गया था। शुरुआत धीरे-धीरे बेहतर रही। एप डाउनलोड करने के साथ घर बैठे लोगों ने जिस इलाके में जाना चाह रहे थे, वहीं अपनी पार्किंग बुक कराई। यहां तक कि दूनाइट्स के अलावा दून व मसूरी जाने वाले पर्यटकों के रुकने पर टूरिस्ट ने भी पार्किंग का लाभ उठाया। वर्ष 2019 तक स्मार्ट पार्किंग को लेकर इजाफा देखने को मिला।
कई बार होता है झगड़ा
2020 में जैसे ही कोरोना की दस्तक हुई। सब कुछ धरा का धरा रह गया। लॉकडाउन के दौरान न वाहन सड़कों पर चल पाए और न ही स्मार्ट पार्किंग पर वाहन पार्क हो पाए। तब से लेकर अब तक करीब डेढ़ वर्ष तक स्मार्ट पार्किंग आउट ऑफ ट्रैक होती गई। स्थिति यह है कि अभी भी दोबारा ठीक ढंग से स्मार्ट पार्किंग शुरू नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि डेढ़¸ वर्ष से लोग स्मार्ट पार्किंग ही भूल गए। लोगों के दिलोदिमाग में यह बात बैठ गई कि अब स्मार्ट पार्किंग नहीं रह गई। लेकिन, जैसे ही स्मार्ट पार्किंग के लिए कर्मचारी शुल्क वसूलने लगे, तो लड़ाई-झगड़े तक की नौबत सामने आने लगी।
वर्तमान में संचालित स्मार्ट पार्किंग स्टेटस
-घंटाघर से राजपुर रोड पर कुछ स्थानों पर संचालित।
-कुछ 12 कर्मचारियों की तैनाती व एक सुपरवाइजर।
-पहले राजधानी के 15 स्थानों पर हो रही थी स्मार्ट पार्किंग संचालित।