-यूपी के दौरान 1962 में तैयार हुई थी रोडवेज की बिल्डिंग
देहरादून, 5 अप्रैल (ब्यूरो)। हरिद्वार रोड स्थित रोडवेज की 61 साल पुरानी वर्कशॉप बिल्डिंग को डिस्मेंटल करने के बाद कीमत महज 1.7 करोड़ आंकी गई। जबकि, यहां आज भी ऐसे एंटीक साजो-सामान मौजूद है। जिसे रोडवेज सहेज कर रखा हुआ था। फिलहाल, रोडवेज के कर्मियों के सामने बस इनकी यादें बाकी रह गए हैं। जल्द ही रोडवेज वर्कशॉप को खाली कराया जाना है। जिसकी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। इसके बाद कहा जाएगा, इस स्थान पर पहले कभी रोडवेज का वर्कशॉप हुआ करता था।
किया गया है स्मार्ट सिटी के हवाले
तमाम प्रयासों के बाद रोडवेज के वर्कशॉप को सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ग्रीन बिल्डिंग बनाने के लिए ट्रांसफर कर दिया है। हालांकि, इससे पहले कई बार इस वर्कशॉप के लिए कभी हां, कभी न हुई। लेकिन, आखिरकार इस पर सहमति बनी और अब तक स्मार्ट सिटी ने काम भी शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि करीब एक साल के दौरान रोडवेज वर्कशॉप पर ग्रीन बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएगी। इस ग्रीन बिल्डिंग में एक साथ पांच दर्जन से ज्यादा विभाग नजर आएंगे। पांच सौ ज्यादा वाहनों की पार्किंग भी बनकर तैयार होगी।
हेरिटेज से कम नहीं थी बिल्डिंग
रोडवेज के कर्मचारियों की मानें तो यह वर्कशॉप किसी हेरिटेज से कम नहीं थी। जिससे उत्तराखंड रोडवेज की यादें जुड़ी हुई थी। यहां यूपी से लेकर उत्तराखंड के रोडवेज के सफर के कई अवॉर्ड, ट्रॉफी भी नजर आती हैं। जिसको रोडवेज ने सहेजने तक की अब तक हिम्मत नहीं जुटाई है। धूल फांक रहे ऐसे साजो-सामान यूं ही पड़े हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, अभी भी रोडवेज वर्कशॉप की बिल्डिंग को पूरी तरह डिस्मेंटल किया जाना बाकी है। लेकिन, यह वर्कशॉप अब ट्रांसपोर्टनगर शिफ्ट कर दिया गया है। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार यहां हिल डिपो, पर्वतीय डिपो व ग्रामीण डिपो के वर्कशॉप थे। जिनमें हिल डिपो व पर्वतीय डिपो के वर्कशॉप को पहले की ट्रांसपोर्टनगर में शिफ्ट कर दिया गया था। फिलहाल, यहां अब केवल यहां ग्रामीण डिपो का वर्कशॉप संचालित हो रहा है। जिसको भी दो माह के भीर शिफ्ट होना बाकी है।
लगा था जर्मनी का लोहा
रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो जिस वक्त वर्कशॉप का निर्माण किया गया, उस दौरान निर्माण कार्य के लिए जर्मनी से इंपोर्टेड लोहा यूज किया गया था। जिससे आज भी वर्कशॉप की मजबूती बनी हुई है। वर्षों पुराने पंखे बिल्डिंग की याद दिला रहे हैं।
धूल फांक रही ट्रॉफी
वर्कशॉप पहुंचने पर पता चला कि रोडवेज ने इस अपने बेहतरीन परफॉर्मेंस से कई अवॉर्ड अपने नाम किए। इसमें एक ट्रॉफी वर्ष 1986 व दूसरी 1994 की भी वर्कशॉप में मौजूद है। ये ट्रॉफियां याद दिलाने के लिए काफी हैं। लेकिन, अब तक रोडवेज प्रशासन ने इनको शिफ्ट करने तक की जहमत नहीं उठाई है।
हमारी ओर से वर्कशॉप को डिस्मेंटल किए जाने के लिए टेंडर जारी किए गए थे। मुजफ्फरनगर की फर्म को टेंडर हासिल हुआ, जो वर्कशॉप को डिस्मेंटल कर पूरी जमीन को रोडवेज के हवाले करेंगे। इसके बाद इस जमीन को स्मार्ट सिटी को सुपुर्द कर दी जाएगी।
दीपक जैन, जीएम रोडवेज