- मालन नदी पर पुल टूटा, स्पीकर के अफसर से किए सवाल
- पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

देहरादून (ब्यूरो): अधिकतर सोशल मीडिया यूजर्स ने स्पीकर के अधिकारियों की जवाबदेही तय किए जाने के अंदाज को बेहतर बताया है। वहीं, कुछ यूजर्स ने अपने रिएक्शंस में कहा है कि काश, इसी अंदाज में पहले ही अफसरों की जिम्मेदारी फिक्स की जाती तो पुल टूटने की नौबत नहीं आती।

23 हजार से ज्यादा व्यू
थर्सडे को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण के विधानसभा क्षेत्र में बारिश के कारण कई इलाकों को जोडऩे वाला पुल अचानक टूट गया। जिससे कई इलाकों में आवाजाही ठप हो गई है। लोगों की परेशानी को देखते हुए स्पीकर ने अपने विधानसभा क्षेत्र से ही पीडब्ल्यूडी के अधिकारी को फोन किया। कहा, वे इस पुल की दशा के लिए पिछले एक साल से लगातार विभागीय अधिकारियों के साथ पत्राचार कर रही थीं। लेकिन, किसी ने नहीं सुनी। फोन पर स्पीकर ने अधिकारी से कहा कि पुल टूट गया है और विभाग मानकों की बात कर रहा है। अधिकारियों से बात करने का पूरा वीडियो बाकायदा स्पीकर के सोशल मीडिया से अपलोड किया गया है। खास बात ये है कि थर्सडे को अपलोड हुआ ये वीडियो काफी वायरल हुआ है और 23 हजार से ज्यादा लोगों ने इसको देखा। इस पर कई कमेंट्स भी आए।


एक हफ्ते के भीतर तैयार करो पुल
वीडियो में स्पीकर अधिकारी से लोगों की परेशानी को देखते हुए एक सप्ताह के भीतर पुल तैयार किए जाने की बात कह रही हैं। इस पर कई सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि ठेकेदार व जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। वहीं, किसी का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी उत्तराखंड में काम नहीं कर रही है। जबकि, कुछ का कहना है कि इलीगल एक्टिविटीज पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित हो। ऐसे ही कुछ का कहना है कि अगर आप अवैध खनन की बात करें तो उसका कुछ प्रतिशत ऊपर तक पहुंचता है।

स्पीकर की ट्वीट
-13 जुलाई, शाम 7.55 बजे
-58 रि-ट्वीट
-44 क्योट्स
-261 लाइक्स
-2 बुक माक्र्स।

पब्लिक रिएक्शंस
जब सरकार के प्रतिनिधि पूर्व सीएम की बेटी, माननीय विधायक, विस अध्यक्ष की नहीं सुन रहे, आम लोगों को कौन सुनेगा।
-अभिभावक एकता समिति।

पुल तो बन जाएगा, खनन माफियाओं को रोक सको तो मानें।
-हिल पांडा।

टेक एक्शन और इनको घर भेजो। राजनेताओं को हेल्पलेस नहीं होने की जरूरत नहीं है। आपने विधानसभा भर्तियों में बेहतर रोल प्ले किया। आप सही हैं तो सीएम भी हो सकती हैं।
-सोल्जर।

ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं। जिम्मेदारी अधिकारी पर एक्शन क्यों नहीं। नाराजगी से मतलब नहीं।
-संतोष सिंह,

ब्यूरोक्रेसी उत्तराखंड में काम नहीं कर रही है। नेता गलत कार्यों पर भी एक्शन नहीं ले रहे हैं। कोटद्वार के लोग क्यों न दून आएं और सिन्हा के साथ बात करें।
-संवदेना।

भुवन चंद खंडूडी ने बड़ी मेहनत व मिन्नतों के बाद ये पुल बनवाया था। पर बिडंबना देखिए, उनकी बेटी पुल को नहीं बचा पाई। कोटद्वार की जनता सवाल आपसे करेगी। क्यों न एक साल से अफसर पर कार्रवाई हुई।
-डा। जे रावत

इलीगल एक्टिविटीज पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित हो। यही राज्य के सामने खास चुनौती है। ऐसा समय पर नहीं हुआ तो ऐसे ही कई इंफ्रॉस्ट्रक्चर का नुकसान झेलना पड़ेगा।
-पहाडऩ।

एक साल से बस पत्र लिखे। इस दौरान खबर न ली कि उन उन पत्रों का आखिर क्या हुआ।
-शरद रावथ

कर्णवाश्रम से मवाकोट का रास्ता बहुत तंग व उबड़खाबड़ होने के कारण जाम लग रहा है। 2 किमी की दूरी तय करने में 45 मिनट लगे। प्रशासन को वाहनों के लिए गेट सिस्टम लागू करना होगा।
-बीएमएस रावत

पुल का टेंडर आपके पीडब्ल्यूी मंत्री ने जिस कंपनी को दिया था, उनसे बात कीजिए मैम, कैसे पुल एक निर्धारित समय से पहले ही आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया। अगर आप अवैध खनन की बात करें तो उसका कुछ प्रतिशत मंत्रियों तक पहुंचता है और कोई भी अधिकारी इन माफियाओं पर एक्शन नहीं ले पाता।
-आशुमन सिं

मैम, ये पॉलिटिकल स्टंट नहीं चलेगा। इस समस्या के हल व परिणाम की आवश्यकता है। आप लेटर भेज रहे हैं तो इससे समस्या का समाधान असंभव।
-मनोज ध्यानी।

ग्रेट दीदी।
-अमन दीप नेगी

सरकार आपकी, फिर ये हाल, अब हमें भी हंसी आने लगी। शर्म को भी शर्म आ जाए। उत्तराखंड बना ही क्यों, इससे बेहतर तो उत्तर प्रदेश ही था। सरकारें आएंगी, सरकती जाएंगी, पर प्रदेश बहाल नहीं होगा।
-धर्मेंद्र

पुल टूटने का कारण स्पष्ट है। गत वर्षों में हो रहा लगातार खनन, लेकिन, अभी कोटद्वार भाबर क्षेत्रवासियों को समाधान की जरूरत है। विधायक से निवेदन है कि इस पर कोई राजनीति किए बिना पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया जाए।
-अंकित नेगी।

मतलब अधिकारी आप की बात भी नहीं सुनते। सोचो, आम जनता का क्या होगा। जिन्होंने खनन की शिकायत की होगी।
-विजय सोनू बमोला

दी, जब यह पुल बना होगा तो मंत्री कौन था। क्या उनका कोई दायित्व नहीं, अब जनता इस दिखावे के पीछे देख भी सकती है और समझ भी।
-विमल पांडे

जिस तरीके से आप समझा रहे हो, ये एक साल पहले समझा देते तो शायद आज यह नौबत नहीं आती।
-चंदन सिंह बंसल

बाकी पुलों का भी सर्वेक्षण कराया जाए। जिससे ऐसे ही कोई अन्य पुल भी ऐसे ध्वस्त न हो जाए।
-नवदीप गुसाईं

जब नदी किनारे रेत बजरी का स्टॉक चल रहा है, खनन तो होगा ही।
-बीएमएस रावत।

बेबसी का आलम है साहब? अजीब सा बन गया है मेरा प्रदेश, मेरी देवभूमि
-विपिन कुमार चौधरी।