-जिला हॉस्पिटल में ट्रांसपोर्ट सुविधा न होना बन रही पेशेंट के लिए सबसे बड़ी समस्या

-आशा वर्कर्स भी नहीं कर रहीं सपोर्ट, पेशेंट्स को लेकर कोरोनेशन के बजाय ले रहे हैं दून

देहरादून, (ब्यूरो):
ये चंद उदाहरण आपके समझने के लिए शायद काफी होंगे। दून महिला अस्पताल का कुछ यही हाल है। यह समस्या पहली बार सामने नहीं आ रही है। बल्कि, सालों से बरकरार है। अब आप इसको दून महिला अस्पताल पर मरीजों का भरोसा कहें या फिर दूसरे अस्पतालों में पेशेंट्स को मिलने वाली सुविधाओं का अभाव। लेकिन, यह सच नहीं है। सच तो ये है कि जिला अस्पताल कोरोनेशन में भी सुविधाएं पूरी उपलब्ध है। बस, दिक्कत केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की है। रात में मरीजों या फिर आशा वर्कर्स को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिस कारण दून अस्पताल पर मरीजों का प्रेशर बढ़ जाता है।


एक्स्ट्रा बेड भी पड़ रहे कम
दून हॉस्पिटल के जच्चा-बच्चा वार्ड में हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने पेशेंट की बढ़ती संख्या को देखते हुए दो माह पूर्व बेड बढ़ाए थे। लेकिन, यहां की व्यवस्था गड़बड़ा गई। लगातार पेशेंट्स बढ़ रहे हैं और बेड कम पड़ जा रहे हैं। हाल ये रहा कि सैटरडे की रात को हॉस्पिटल में बेड को लेकर परिजनों ने जमकर हंगामा तक किया। परिजनों ने आरोप लगाए कि हॉस्पिटल में बेड की व्यवस्था तक नहीं है। एक बेड में दो-दो गर्भवती महिलाओं को एडजस्ट कराया जा रहा है।

ये समस्याएं आ रही हैं सामने
-कोरोनेशन हॉस्पिटल के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं।
-आशा वर्कर्स के लिए पेशेंट को रात कोरोनेशन ले जाना चुनौती।
-बदले में दून महिला हॉस्पिटल में बेड पड़ रहे कम, हो रहा हंगामा।
-गर्भवती महिलाओं को जमीन पर बेड लगाने को होना पड़ रहा मजबूर।
-बेड न मिलने के कारण आए दिन हंगामा होना हो गई आम बात।


मैं देर शाम अपने परिजन के साथ हॉस्पिटल में भर्ती हुई। इस दौरान मेरे पेट में दर्द हो रहा था। बेड भी नहीं मिल पाए। ऐसे में हॉस्पिटल के एक स्टाफ ने मुझे दूसरी महिला के साथ एडजस्ट किया।
बबिता, पेशेंट

मैं उत्तरकाशी से आई हूं। दो रात से मैं एक बेड में दूसरी गर्भवती महिला के साथ एडजस्ट करने को मजबूर हूं। कई बार खाली बेड होने पर अलग से बेड देने की बात की गई। लेकिन, अब तक नहीं मिल पाया है।
बीना, पेशेंट

केस :-1-
निरंजनपुर पटेलनगर निवासी तारा देवी 4 माह की गर्भवती थी। दे रात दर्द हुआ तो आशा वर्कर सीमा दून महिला हॉस्पिटल में ले गए। लेकिन, यहां बेड न मिलने की वजह से तारा को दूसरे पेशेंट्स के साथ एडजस्ट किया गया। जबकि, आशा वर्कर से नर्सिंग ने कहा कि यहां बेड नहीं है, कोरोनेशन ले जाओ। आशा वर्कर बोल पड़ी, वहां गलियों में अंधेरा रहता है। वहां जाने से डर लगता है। आप इन्हें यहां ही भर्ती कर लो।

केस नम्बर 2-
सहस्रधारा रोड निवासी चांदनी 4 माह की गर्भवती है। सैटरडे शाम उनके परिजन हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने जांच के बाद महिला के गर्भ में बच्चे की मौत की जानकारी दी। महिला को डीएनसी के लिए भर्ती किया। लेकिन, बेड न होने के कारण उन्हें भी दूसरी पेशेंट्स के साथ एडजस्ट किया गया। परिजन गुहार लगाते रहे, दूसरा बेड नहीं मिल सका।