- पांडालों में सजी दुर्गा प्रतिमा का किया विसर्जन
देहरादून: चार दिवसीय दुर्गा पूजा के बाद पांडालों में सजी दुर्गा प्रतिमा का दशमी के दिन भक्तों ने 'आस्चे बौछोर आबार होबे' के जयकारों के साथ विसर्जन किया। शहर के देहरादून दुर्गाबाड़ी पूजा समिति, यंग ब्वायज क्लब ओल्ड डालनवाला, बंगाली लाइब्रेरी करनपुर, कालीबाड़ी पूजा समिति आराघर में स्थापित प्रतिमाओं को विसर्जन से पूर्व विधि विधान के साथ पूजा व भोग लगाकर पूजा की। इसके बाद भक्तों ने माता को विदा कर अगले वर्ष आने की प्रार्थना की।
मालदेवता में किया विसर्जन अनुष्ठान
दुर्गापूजा देवी की प्रतिमा विसर्जन के साथ सोमवार को संपन्न हो गया। शहर के विभिन्न पूजा पांडालों में पहुंचे भक्तों ने देवी दर्शन किए और मां से आशीष मांगा। स्थापित प्रतिमा को वाहन के माध्यम से हरिद्वार, विकासनगर और मालदेवता ले जाने के बाद विसर्जित किया गया। इस दौरान भक्तों ने माता से हाथ जोड़कर सुख समृद्धि, पारिवारिक खुशहाली की मन्नत मांगी। देहरादून दुर्गाबाड़ी समिति के सचिव रमेश मोदक ने बताया कि इस बार सांकेतिक तौर पर आयोजन हुए। शोभायात्रा की अनुमति न मिलने के कारण विसर्जन भी सादगी से हुआ। कालीबाड़ी पूजा समिति के संयोजक अधीर मुखर्जी ने बताया कि मालदेवता में दोपहर के वक्त प्रतिमा को नदी में विसर्जित किया। बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति के अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने बताया कि विकासनगर में यमुना नदी में प्रतिमा को विसर्जित कर अगले साल आने की कामना की।
महिलाओं ने सादगी से मनाया ¨सदूर खेला
दुर्गा पूजा के आखिरी दिन ¨सदूर खेला उत्सव होता है। दुर्गा विसर्जन से पहले यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को ¨सदूर लगाती हैं। साथ ही शुभकामनाएं भी देती हैं। हालांकि इस बार कोरोना के चलते कम ही महिलाओं की मौजूदगी में यह रस्म निभाई गई।
सुबह हुआ दर्पण विसर्जन
विभिन्न समिति की ओर से स्थापित प्रतिमा का सुबह दर्पण विसर्जन किया। पानी में दर्पण रखकर माता को उनका चेहरा दिखाया। इसके बाद पूजा कर भोग लगाया। भक्तों ने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।