- दून के ऋषिकेश और हरिद्वार के कई इलाकों में बिछाई जाएगी सीवर लाइनें
- दुनिया का सबसे बड़ा नेशनल बैंक केएफडब्ल्यू कर रहा फंडिंग, 1600 करोड़ स्वीकृत
देहरादून (ब्यूरो): केएफडब्ल्यू की स्कीम उस शहर के लिए जहां एडीबी की सीवरेज स्कीम नहीं चल रही है। एडीबी फंडेड राज्य के केवल पांच शहर हैं, जिसमें ऋषिकेश और हरिद्वार शामिल नहीं है। इन शहरों के दर्जनों इलाकों को केएफडब्ल्यू स्कीम के तहत सीवरेज की सौगात मिलेगी। सीवर लाइन बिछने के बाद इन शहरों में सीवरेज समस्या दूर होगी। इन इलाकों की कालोनी और बस्तियां भी स्वच्छ और सुंदर नजर आएंगी। सरकार ने प्रोजेक्ट का दायित्व पेयजल निगम को सौंपा है। पेयजल निगम प्रोजेक्ट््स के लिए एस्टीमेट तैयार करने में जुट गया है।
टेंडर की प्रक्रिया शुरू
पेयजल निगम केएफडब्ल्यू प्रोजेक्ट््स के लिए एस्टीमेट तैयार कर रहा है। निगम के चीफ इंजीनियर मुख्यालय संजय सिंह ने बताया कि केएफडब्ल्यू के तहत ऋषिकेश और हरिद्वार को रखा गया है। इन शहरों के अधिकांश इलाकों सीवरेज सुविधा नहीं है। सीवरेज की समस्या दूर होने पर क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी। प्रोजेक्ट के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। दिसंबर तक प्रोजेक्ट्स का काम शुरू हो जाएगा। इसके अलावा दूसरे शहरों में जहां कहीं भी डिमांड होगी, तो वहां भी सीवर लाइन बिछाई जाएगी।
धीरे-धीरे डेवलप हो रहा सिस्टम
राजधानी देहरादून में सीवेज सिस्टम धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है। शहरी विकास की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत अब तक करीब 604 किलोमीटर लाइन शहर में बिछ चुकी है। ये सारी सीवर लाइनें रनिंग में हैं, जो अलग-अलग सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में जुड़ चुकी हैं। सीवरेज ऑपरेशन ओर मेंटेनेंस का जिम्मा उत्तराखंड जल संस्थान के पास है। शहर में सीवर लाइन का जाल बिछने से राजधानीवासियों को बड़ी राहत मिल रही है। हालांकि अभी तक अधिकांश इलाके ऐसे हैं, जहां सीवर लाइन नहीं है। इन इलाकों के लिए भी जल्द से जल्द सीवर लाइन बिछाने की जरूरत है, ताकि बचे हुए इलाकों को भी सीवर लाइन का लाभ मिल सके।
सोक पिट भरने से होती परेशानी
अभी तक लोग घरों में गड्ढा बनाकर उसमें सीवर लाइन छोड़ते थे। शहर में जमीनें महंगी होने के बाद लोग छोटे-छोटे प्लाट लेकर मकान बना रहे हैं। कई बार सीवर गड््ढे के लिए लोगों के पास जगह नहीं बचती थी। ऐसे घरों की तादाद सर्वाधिक हैं, जहां सीवर गड््ढे बहुत छोटे हैं। गड््ढे छोटे होने से वह बार-बार भर जाते हैं, जिन्हें खाली कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। सीवर का एक गड्ढा साफ कराने के लिए लोग 8 से 10 हजार रुपये खर्च कर रहे हैं।
सीवर सिस्टम से पब्लिक को राहत
शहर के जो इलाके सीवरेज सिस्टम से जुड़ गए हैं वह राहत महसूस कर रहे हैं। दरअसल गड््ढा छोटा हो या बड़ा, घर का सीवेज सीवर सिस्टम से जुडऩे के बाद उन्हें गड््ढे को खाली कराने की जरूरत नहीं है। घरों का सीवरेज सीधे सीवर नेटवर्क से जुड़कर एसटीपी तक पहुंच रहा है। शहर के करीब एक चौथाई से अधिक हिस्से में सीवर लाइन बिछ चुकी है। कई इलाकों में सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है जबकि कई जगहों पर प्रस्तावित है।
दून में एसटीपी पर एक नजर
मोथरोवाला - 40.00
कारगी - 68.00
इंद्रा नगर - 5.00
जाखन - 1.00
सालावाला - 0.71
विजय कॉलोनी - 0.42
कुल क्षमता -115.13
(क्षमता एमएलडी में)
दून में 604 किमी। सीवर लाइन का ऑपरेशन कर रहा जल संस्थान
333 किमी। साउथ डिवीजन कर रहा मेंटेनेंस
86 किमी। नॉथ डिवीजन
150 किमी। पित्थूवाला डिविजन
35 किमी। रायपुर डिविजन
केएफडब्ल्यू प्रोजेक्ट के तहत ऋषिकेश और हरिद्वार में सीवर लाइन बिछाई जानी है। सीवर नेटवर्क से जुडऩे के बाद शहरों को बड़ी राहत मिलेगी। एस्टीमेट के बाद टेंडर अपलोडिंग की कार्रवाई पूरी करके जल्द काम शुरू किया जाएगा।
संजय सिंह, चीफ इंजीनियर मुख्यालय, पेयजल निगम, देहरादून