देहरादून ब्यूरो
दून में नेचुरल वाटर सोर्सेज से बनाई गई करीब चार दर्जन से ज्यादा ऐसी योजनाएं हैं, जिनके सोर्स का पानी 70 से 90 परसेंट तक कम हो गया है। जब ये योजनाएं बनाई गई थीं, उस वक्त सोर्सेज पर पर्याप्त पानी था, लेकिन अब पानी कम हो जाने से इन योजनाओं में ठप होने की आशंका बढ़ गई हैं। जिन क्षेत्रों में इन योजनाओं से पानी सप्लाई किया जाता था, वहां पानी की सख्त कमी सामने आने लगी है।

योजना बनाने के बाद पानी कम
- रायपुर क्षेत्र में वाटर सप्लाई के लिए कुछ वर्ष पहले बनाई गई सोडा सरोली योजना में योजना बनाते वक्त 35 लीटर प्रति मिनट पानी था, लेकिन अब कुछ ही सालों में इस योजना से मात्र 22 एलपीएम पानी मिल रहा है।
- दयाबस्ती के लिए बनी जामुनवाला योजना के सोर्स पर पहले 50 एलपीएम पानी था, लेकिन अब सिर्फ 10 एलपीएम रह गया है।
- शिवपुरी के लिए बनी जामुनवाला योजना में 80 एलपीएम की जगह अब 15 एलपीएम पानी आ रहा है।

क्या कहते हैं लोग
देहरादून की आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन पानी की लगातार कमी हो रही है। साल दर साल पानी की दिक्कत बढ़ रही है। गर्मियां शुरू होने से पहले ही पानी की कमी शुरू होने लगती है। आने वाला समय बहुत बुरा साबित हो सकता है।
मनीष अरोड़ा

आमतौर पर जब भी कोई पेयजल योजना बनती है कि अगले कम से कम 20 सालों में बढऩे वाली संभावित आबादी के हिसाब से बननी चाहिए। लेकिन देहरादून में शायद ऐसा नहीं होता। योजना बनने के साथ ही उसमें पानी कम हो जाता है।
सोनू

पानी के स्रोत गिने-चुने हैं। उनमें भी लगातार पानी होना चिन्ताजनक है। पिछले कई वर्षों से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की बात चल रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। यदि बारिश का पानी रिचार्ज करने में दिक्कत है तो कम से कम इतना तो किया जा सकता है कि अंडरग्राउंड टैंक बनाकर ये पानी जमा किया जाए।
सूरज कुमार

नेचुरल वाटर सोर्सेज के साथ ही ट्यूबवेल भी सूख रहे हैं। इस बारे में आम लोगों को भी सोचना चाहिए। लोग जब घर बनाते हैं कि एक-एक हिस्से में सीमेंट या टाइल्स से कवर करते हैं। ऐसे में वाटर रिचार्ज की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं तो अंडरग्राउंड वाटर रिचार्ज होगा कैसे।
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