- दून सहित पूरे राज्य में बिकने वाला सेनेटाइजर नहीं उतर रहा मानकों पर खरा

- एल्कोहल पैरामीटर्स से कम और हाइड्रोजन, मेथेलॉन व टॉक्सिसक रंगों की भी मौजूदगी

देहरादून

कोविड काल में जिस सेनेटाइजर को हम इस उम्मीद के साथ हाथों पर मलते रहे कि उससे हम कोविड के खतरे से बच सकते हैं, क्या वह हमें बीमारी की तरफ धकेल रहा था, दून स्थित सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एन्वार्नमेंटल कंजर्वेशन साइंस -स्पेक्स- की रिपोर्ट तो इसी तरफ इशारा करती है। स्पेक्स के सचिव डॉ। बृजमोहन शर्मा ने वेडनसडे को यह रिपोर्ट जारी की।

1050 सैंपल का परीक्षण

स्पेक्स ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट दून सहित राज्यभर में बाजार में बिकने वाले 1050 सैंपल की जांच के आधार पर तैयार की गई है। स्पेक्स ने केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय से मान्यताप्राप्त अपनी लैब में इन सैंपल का टेस्ट किया। इसके अलावा बाजार में उपलब्ध एल्कोहल मीटर से भी इन सैंपल की जांच की गई। दोनों तरीकों में ज्यादातर रिजल्ट एक जैसे आये।

578 सैंपल फेल

रिपोर्ट के अनुसार राज्यभर से लिए गये इन सैंपल्स में से 56 परसेंट पैरामीटर्स पर खरे नहीं उतरे। यानी 1050 में से 578 सैंपल पैरामीटर्स पर खरे नहीं उतरे। ज्यादातर सैंपल में एल्कोहल की मात्रा डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित 70 से 80 परसेंट पैरामीटर्स में कम मिली। कुछ सैंपल में मेथेलॉन और हाइड्रोजन पैरॉक्साइड व टॉक्सिक जैसे खतरनाक तत्व भी मिले।

दून के 52 परसेंट खरे नहीं

रिपोर्ट के अनुसार देहरादून से कुल 100 सेनेटाइजर सैंपल की जांच की गई। इनमें 52 सैंपल्स में एल्कोहल पैरामीटर्स से कम मिला। रिपोर्ट के अनुसार 15 सैंपल में केवल 10 परसेंट एल्कोहल मिला, 5 सैंपल में 15 परसेंट, 8 सैंपल में 30 परसेंट ही एल्कोहल था, 5 सैंपल में 50 परसेंट, 4 सैंपल में 60 परसेंट और 6 सैंपल में 72 परसेंट एल्कोहल था।

खतरनाक तत्व भी

सेनेटाइजर में कम एल्कोहल मिलाकर न सिर्फ इसकी उपयोगिता को खत्म किया गया, बल्कि कई सैंपल में खतरनाक तत्व भी मिले। रिपोर्ट बताती है कि 8 सैंपल में मेथेनॉल मिला, 112 में हाइड्रोजन पेरॉक्साइड और 278 में टॉक्सिक रंग पाये गये। स्पेक्स के सचिव के अनुसार इनमें केमिकल्स में से हाइड्रो पेरॉक्साइड सबसे खतरनाक है। यह स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने आशंक जताई कि सेनेटाइजर में पाये गये ये केमिकल हो सकता है कोविड संक्रमण के दौरान अचानक ऑक्सीजन की कमी के लिए भी जिम्मेदार रहे हों। उन्होंने इसकी जांच करने और बिना पैरामीटर्स वाले सेनेटाइजर बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

ये समस्याएं हो सकती हैं

- हाइड्रो पेरॉक्साइड ऑक्सीडेशन के माध्यम से साइटोटोक्सिक का प्रभाव डाल सकता है।

- इससे मितली, उल्टी, मुंह में झाग के साथ ही पेट संबंधी विकार पैदा कर सकता है।

- सेनेटाइजर में मिला फॉम सांस संबंधी परेशानियां पैदा कर सकता है।

- मेथनॉल स्किन का प्रभावित कर सकता है।

- तेज मेथनॉल सिरदर्द, कमजोरी, उनींदापन, मितली, धुंधली दृृष्टि, सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या पैदा कर सकता है।

- इन तमाम लक्षणों के कारण आदमी की मौत भी हो सकती है।

ऐसे प्रभावित किया

-एल्कोहल पैरामीटर्स से कम होने के कारण इसका इस्तेमाल करने से वायरस खत्म नहीं हो पाया।

-लोग सेनेटाइजर इस्तेमाल करके निश्चिंत हो जाते थे, लेकिन वास्तव वह सेनेटाइजर था ही नहीं।

-संक्रमण की स्थिति में अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने के लिए सेनेटाइजर जिम्मेदार हो सकता है।

-राज्य में संक्रमण बेहद तेज होने की एक वजह घटिया सेनेटाइजर भी हो सकता है।