- दून में स्कूलों को 30 अप्रैल तक बंद करने का सरकार ने लिया है निर्णय
- एजुकेशन डिपार्टमेंट के ऑर्डर का इंतजार, पैरेंट्स बोले- कोरोनाकाल में स्कूल खोलना ही गलत निर्णय
देहरादून,
शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में स्कूलों को 30 अप्रैल तक बंद करने का फैसला तो ले लिया गया। लेकिन शनिवार को ऑर्डर न मिलने के कारण स्कूल सामान्य दिनों की तरह खुले रहे। दिनभर पैरेंट्स और स्टूडेंट्स में इस बात को लेकर कन्फ्यूजन भी नजर आया। हालांकि स्कूलों ने जहां वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फैसले को उचित बताया, वहीं पैरेंट्स ने कोरोनाकाल में बीच में स्कूलों को खोलने का फैसला ही गलत करार दिया।
सोमवार तक करना पड़ सकता है इंतजार
कोरोना की रफ्तार बढ़ने के साथ ही सरकार ने एहतियातन स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। लेकिन एजुकेशन डिपार्टमेंट की और से आदेश जारी न होने की वजह से अब सोमवार तक का इंतजार करना पड़ सकता है। बोर्ड एग्जाम को लेकर तैयारियां में जुटे स्कूलों को अब नई एसओपी का भी इंतजार है। हालांकि इस बीच होम एग्जाम पूरा करा लिए गए है। जिसको लेकर पैरेंट्स और स्कूलों ने राहत की सांस ली है। इधर एजुकेशन डिपार्टमेंट के 15 अप्रैल से न्यू सेशन को स्टार्ट करने के निर्णय को लेकर भी अब कन्फ्यूजन है। निजी स्कूल जहां एक बार फिर ऑनलाइन मोड में क्लास का ऑप्शन खोलने की बात कर रहे हैं, वहीं गवर्नमेंट स्कूलों को अब फिर से स्कूलों के खुलने का इंतजार रहेगा। इसके साथ ही निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी ह। जबकि गवर्नमेंट स्कूलों में एडमिशन को लेकर होने वाले प्रवेशोत्सव भी लटक गया है।
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एक तरफ छोटे बच्चों को स्कूल बुलाने की तैयारी थी, लेकिन केस बढ़ने के कारण फिलहाल स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है। लेकिन सभी जगह इसका सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए। अभी स्कूलों को बंद कराने का ऑर्डर नहीं मिला है।
प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए
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कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। स्कूलों को पहले ही बंद करना चाहिए था, इस बीच निजी स्कूलों ने पैरेंट्स और बच्चों का जमकर शोषण किया है।
आरिफ खान, अध्यक्ष, एनएपीएसआर
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सरकार को पहले भी स्कूल नहीं खोलने चाहिए था, उस समय पैरेंट्स को भी विश्वास में नहीं लिया। इसी का नतीजा है कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप दिखने लगा है। भविष्य में इस तरह के निर्णय लेने से पहले सरकार को विचार करना होगा।
लव चौधरी, अध्यक्ष, अभिभावक एकता समिति