देहरादून, (ब्यूरो): आसमान से बरसी आफत की बारिश से न केवल जन जीवन अस्त व्यस्त हुआ है, बल्कि सड़कों की हालत भी खस्ताहाल है। कई जर्जर सड़कें चलने के काबिल नहीं रह गई है। सबसे खराब हालत मातावाला बाग से भंडारी बाग होते हुए पथरीबाग चौक तक है। इस रोड पर चलने पर पता चलता है कि यहां सड़क में गड्ढे नहीं, बल्कि गड्डों में सड़क है। आरओबी के निरर्माण से सड़क की हालत ज्यादा खराब है। इस रोड पर इतने गड्ढे हैं कि अब तो लोग यहां से निकलने के बजाय पटेलनगर से दो-तीन किमी। घूम कर सफर करना ज्यादा सरल समझ रहे हैं।
जर्जर सड़कों पर चलना दूभर
बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से कई जगहों पर सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई है। दून की एक मात्र मॉडल रोड है, जो बुरी तरह जख्मी है। आईएसबीटी से सहारनपुर चौक तक मॉडल रोड के बुरे हाल हैं। यहां हर दो मीटर पर गड्डों से होकर रोजाना लोगों को सफर तय करना पड़ रहा है। इसके अलावा शहर की दूसरी सड़कों पर भी चलना दूभर हो रहा है। गड्ढों के कारण कभी ई-रिक्शा पलट रहे हैं तो कभी दोपहिया वाहनों से गिरकर लोग चोटिल हो रहे हैं।
100 से ज्यादा सड़कें बदहाल
इस समय दून में 100 से अधिक सड़कें बेहद खराब हैं। यहां इतने गड्ढें हैं कि अब तो गड्ढ़ों में ही सड़क ढूंढनी पड़ रही है। हालात यह बन गए हैं कि लोग सड़क को दुरुस्त कराने के लिए धरने तक दे रहे हैं। हर रोज अफसरों तक प्रार्थना पत्र पहुंच रहे हैं। विपक्षी पार्टियां भी आवाजा बुलंद कर रही है। जनप्रतिनिधियों के पास भी लोग सबसे ज्यादा फरियाद सड़क बनवाने की ही कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी 15 दिन के भीतर सड़कों को गड्ढामुक्त करने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन हर तरफ एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या इतने कम समय में दून की सड़कें सुधर जाएंगी।
एक्सीडेंट के स्पॉट बने कई गड्ढे
यूं तो यह राजमार्ग है लेकिन इसकी दशा ग्रामीण क्षेत्र के किसी छोटे रास्ते से भी बुरी है। बीच-बीच में बारिश होने से तारकोल की सड़क पर गड्ढे हो जा रहे हैं। इन गड्ढों को गिट्टियों और बालू से भरा जा रहा है। शहर में सड़कों पर बने गहरे गड्ढे हादसों को न्योता दे रहे हैं। इसमें बरसाती पानी जमा होने से स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इन गड्डों में कई बार दुपहिया वाहन के फंसने से सड़क हादसे होते रहते हैं। कई सड़कों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि लोग उस सड़क पर आवागमन के बजाय अन्य वैकल्पिक सड़क का प्रयोग कर रहे हैं।
बैक पेन के हो रहे शिकार
राजधानी दून की सड़कों पर बड़े-बड़े गड्डों में पैसेंजर्स न केवल हिचकोले खा रहे हैैं, बल्कि बैक पेन समेत कई गंभीर बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं। बारिश से जख्मी हुई सड़कों के गड्ढे वाहनों के पहिए भी रोक रहे हैं। इससे यातायात भी प्रभावित हो रहा है। वाहनों की रफ्तार कम होने से कई जगहों पर जाम की स्थिति बन रही है।
पेयजल-सीवर को खोदी सड़कें सबसे खराब
राजधानी दून की मैन रोड से लेकर इंटरनल सड़कों को निर्माण कार्यों के लिए खोदा गया है, जिससे बरसात में सड़कों की हालत खराब हुई है। बरसात से पहले रोड दुरुस्त न किए जाने से बरसात में पूरी रोड उधड़ गई, जिससे रोड और बुरी स्थिति में पहुंच गई। शहर की एक भी सड़क ऐसी नहीं है, जिस पर सफर आसान हो। कहीं पेयजल, कहीं सीवर तो कहीं दूसरे कार्यों के लिए रोड खोदी गई रोड मुसीबतों का सबब बनी हुई है।
सड़कों को ठीक करने की लगाई गुहार
- मानसून की बारिश से सड़कों का बुरा हाल
- डीएम से लेकर सीएम तक लगा चुके लोग गुहार
- मैन रोड से लेकर इंटरनल रोड पर भी जगह-जगह गहरे गड्ढ़े
- सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढ़े होने से एक्सीडेंट का बढ़ा खतरा
- सीएम ने दिया अल्टीमेट, 15 अक्टूबर तक रोड दुरुस्त करने के निर्देश
- बारिश के दिन पानी से भर जाते गड्ढ़े, एक्सीडेंट का बना रहता है खतरा
- सड़कों की मरम्मत के लिए बजट की बताई जा रही कमी
- बारिश से पेयजल-बिजली से ज्यादा हुआ है सड़कों को नुकसान
शहर की ये मुख्य सड़कें ज्यादा खस्ताहाल
- तहसील चौक से सहारपुर चौक तक
- सर्वे चौक से सहस्रधारा क्रॉसिंग तक
- सहारनपुर चौक से मंडी तक
- मातावाला बाग से पथरीवाला बाग तक
- बंजारावाला, मोथरोवाला, बंगालीकोठी की इंटरनल रोड
- शिमला बाईपास, सेवला कलां, चंद्रबदीन रोड
मानसून चला गया, कब ठीक होंगी सड़कें
दून की सड़कों का बुरा हाल है। सड़क पर चलना खतरे से खाली नहीं है। राजधानी दून की सड़कों पर हिचकोले खा रहे हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों की मार्गों की क्या दुर्दशा होगी।
गगन ग्रोवर, प्रेमनगर
बारिश से सड़कों को नुकसान पहुंचा हैं। ये सभी जानते हैं, लेकिन सड़कों को दुरुस्त करना भी जरूरी है। बजट का बहाना बनाकर सड़कों को यूं ही गड्ढेनुमा नहीं छोड़ा जा सकता।
विक्की खन्ना, समाज सेवी
जिन सड़कों का ज्यादा बुरा हाल है। उन सड़कों को चिन्हित करके पहले बनाना चाहिए। गड्डों से लोग रोजाना चोटिल हो रहे हैं। इस पर सरकार को गौर करना चाहिए।
चिराग गोयल
सड़कें लाइफ लाइन होती हैं, लेकिन ये लाइफ लाइन राजधानी दून में ही दम घुट रहा है। पहाड़ों में तो सड़कें चलने लायक नहीं बची है। सवाल यह है कि कब तक सड़कें ठीक होंगी।
बंकिंम चंद्र भट्टdehradun@inext.co.in