देहरादून (ब्यूरो): बेरोजगार युवा ड्रोन टेक्नोलॉजी से जुडऩे के लिए इंटरेस्टेड हैैं, इसके लिए वो बड़ी तादाद में ड्रोन के लिए आवेदन भी कर रहे हैं, लेकिन अभी तक ड्रोन उड़ान की केंद्र सरकार से परमिशन नहीं मिल पाई है। सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड राज्य सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। राज्य का करीब 60 परसेंट एरिया रेड जोन में है। ऐसे में ड्रोन कॉरिडोर पर डीजीसीए की अनुमति नहीं मिल पाई है। हालांकि प्रोद्योगिकी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार को रिमाइंडर भेज दिया गया है। जल्द ही डीजीसीए की अनुमति मिल जाएगी।
लटका कॉरिडोर का काम
दरअसल ड्रोन कॉरिडोर का चिन्हीकरण डीजीसीए की अनुमति बिना संभव नहीं है। पिथौरागढ़ पूरा और दूहरादून में भी करीब 70 परसेंट हिस्सा रेड जोन में आता है। चमोली, उत्तरकाशी भी सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है। इसलिए वहां गृह या रक्षा मंत्रालय की अनुमति के बिना ड्रोन कॉरिडोर बनाना संभव नहीं है। लिहाजा प्रदेश में ड्रोन उड़ाने की योजना तभी सफल होगी, जब केंद्र सरकार सहयोग करे।
अनुमति मिलने से टूट रहा सब्र
प्रदेश सरकार ड्रोन को भविष्य की संभावनाओं वाले प्रमुख क्षेत्र के रूप में देख रही है। सरकार ने इस क्षेत्र में 10 हजार युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार ने ड्रोन के क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को पहले से ही प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए ड्रोन पाठ्यक्रम के तीन माह और छह माह के डिप्लोमा कोर्स कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए आईटीआई और पॉलिटेक्निक को चिह्नित किया जाएगा। यहां युवाओं को ड्रोन निर्माण से लेकर इसे ठीक करने तक का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उत्तरकाशी से ब्लड सैंपल पहुुंचाने का प्रयोग रहा था सफल
प्रदेश में ड्रोन का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। विवाह समारोह से लेकर तमाम सरकारी योजनाओं और कार्यों में ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन से उत्तरकाशी से देहरादून ब्लड सैंपल का प्रयोग भी सफल रहा। आपदा में इसे बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में सरकार इसे रोजगार प्रदान करने और निवेश को आकर्षित करने की प्रमुख संभावना के रूप में देख रही है। पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा कोर्स चलाए जाने प्रस्तावित हैं। ये सभी कोर्स डीजीसीए (डायरेक्ट जनरल सिविल एविएशन) कार्यालय से स्वीकृत होंगे। इसके अंतर्गत प्रशिक्षुओं को ड्रोन डिजाइन करना, ड्रोन का निर्माण करना, इसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जानकारी, ड्रोन को ठीक करने, ड्रोन को उड़ाने, ड्रोन लाइसेंस लेने संबंधी प्रक्रिया आदि विषयों की जानकारी दी जाएगी।
फिर भेजा जा रहा रिमाइंडर
करीब एक साल पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी आईटीडीए) ड्रोन कॉरिडोर बनाने की कवायद में जुटा है। ड्रोन पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी इसके लिए डीजीसीए को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन कोई जबाव नहीं मिला। फिर प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन जबाव का इंतजार है। अब शासन स्तर से तीसरी बार रिमांडर भेजा गया है।
जल्द जारी हो लाइसेंस
प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके लिए नई-नई टेक्नॉलाजियों को इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। युवा सरकार के साथ खड़े हैं।
- अरविंद कुमार बहुगुणा
राज्य सरकार को केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। ड्रोन पॉलिसी मंजूरी होने के महीनों बाद भी इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाए जा रहे हैं।
- रोहित कुमार
ड्रोन टेक्नॉलाजी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। युवा बढ़चढ़ कर इसके लिए आवेदन कर रहे हैं। ऐसा था तो पहले केंद्र से अनुमति ली जाती, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाती।
- श्रेष्ठपाल सिंह
ड्रोन उड़ान के लिए पूर्व में डीजीसीआई को प्रस्ताव भेजा गया था। जबाव न आने पर फिर रिमाइंडर भेजा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार ड्रोन को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाएगी।
- नितिका खंडेलवाल, निदेशक, आईटीडीए