- रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लॉक स्थित गैठ गांव में ग्रामीण सड़क मार्ग न होने से मायूस
- लोकल प्रोडक्ट्स को मार्केट तक पहुंचाना बहुत मुश्किल, नहीं मिल रहा उचित मूल्य

देहरादून (ब्यूरो): उनके तालाब में करीब 1600 रुपए किलो बिकने वाली ट्राउट मछली की भी भरमार है। लेकिन, दुर्भाग्य वह अपने गांव से करीब 3 किमी दूरी पर स्थित छोटे से मार्केट मुनसूना में इस फसल को बेचने के लिए ले जाते-जाते थक गए हैं। आरोप हैं कि उनके गांव तक अभी भी सड़क नहीं पहुंची, अगर सड़क होती तो फसल का अच्छा दाम मिलता और उनकी मेहनत सफल होती।

अपनी वीडियो से चर्चा में बलवीर
गैठ गांव के बलवीर सिंह राणा आजकल चर्चाओं में हैं। उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे अपने आपको ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। वजह साफ है। बलवीर कहते हैं कि वे जिस गांव में रहते हैं, वहां से छोटी मार्केट तक आने-जाने के लिए वे करीब 3 किमी का सफर पूरा करते हैं। जबकि, उनके गांव के बगीचे में साग-सब्जी, डेयरी प्रोडक्ट्स व मछलियों का बेहतर उत्पादन होता है। लेकिन, पैदल मार्ग होने की वजह से उन्हें उसका मेहनताना नहीं मिल पा सक रहा है। जिस कारण वे उनके गांव के लोग मायूस हैं। वे बताते हैैं कि उनके गांव में सब्जी का इस कदर उत्पादन होता है कि रोजाना एक यूटिलिटी गाड़ी मार्केट तक पहुंचा सकते हैं।

400 में बिक रही 1600 रुपए किलो वाली मछली
बलवीर सिंह राणा कहते हैं कि के बगीचों में करीब 1200 सेब के पेड़ हैं, जिसमें से 700 पेड़ों ने फसल देनी शुरू कर दी है। रोजाना उत्पादित हो रही मूली, टमाटर, हरी सब्जी, मिर्च पैदल मार्ग होने के कारण बर्बाद हो रही है। वे अपनी डेयरी 24 लीटर शुद्ध ऑर्गेनिक दूध का उत्पादन करते हैं। लेकिन, वह भी मार्केट न होने के कारण समय पर मार्केट नहीं पहुंच पा रहा है और बर्बाद हो रहा है। ऐसे ही वे अपने तीन तालाबों में सिंगल कांटे वाली ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन, सड़क मार्ग से दूर होने के कारण उनका भी बाजार मूल्य नहीं मिल पा रहा है। औने-पौने दाम में बमुश्किल 400 रुपए किलोग्राम तक मछली बिक पा रही है। जबकि, इस मछली का बाजार मूल्य 1600 रुपए बलवीर सिंह राणा ने खुद बताया है। कहा, उनके गांव में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं।

3 किमी का पैदल सफर मुश्किल भरा
दरअसल, बलवीर सिंह राणा के गांव गैठ से लेकर मनसूना मार्केट तक पहुंचने में 3 किमी का सफर तय करना पड़ता है। इस बीच गांव में जो भी उत्पादन होता है, वह पैदल ही पीठ पर लादकर मार्केट तक पहुंचना पड़ता है। बलवीर बताते हैं कि इतना पैदल सफर पूरा करने में कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई बार उनका डेयरी, सब्जी व मछली उत्पादन तक से मोह भंग हो जाता है। ऐसा ही हाल गांव के दूसरे ग्रामीणों का है, वे भी उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन, उन्हें भी ऐसी ही समस्या से जूझना पड़ रहा है।

आरोप, सर्वे तक नहीं कर रहे जिम्मेदार विभाग
बताया गया है कि गैठ गांव तक सड़क मार्ग निर्माण के लिए सर्वे किए जाने की मंजूरी दी जा चुकी है। जिसके लिए धनराशि भी आवंटित हो चुकी है। लेकिन, आरोप हैं कि जिम्मेदार विभाग सर्वे का काम तक पूरा नहीं कर रहे हैं।
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