देहरादून,(ब्यूरो): शारदीय नवरात्रि का समय पूरे देश में एक खास उत्सव का माहौल लेकर आता है, जब हर जगह खुशियों और भक्ति की रंगत दिखाई देती है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और इस दौरान कई शहरों में रामलीला का आयोजन भी होता है। दून में भी रामलीला की चमक फिर से लौट आई है। शहर के कई इलाकों में रामलीला का आयोजन हो रहा है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ा रहा है और खासकर युवा पीढ़ी को इससे जोडऩे का काम कर रहा है। कई समितियां है जो नए दौर में डिजिटली इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैैं। रामलीला की लोकप्रियता इतनी है की फिल्मी सितारे भी खुद को इसमें शामिल होने से नहीं रोक पा रहे हैैं, यही कारण है की फिल्म स्टार शक्ति कपूर भी दून की रामलीला में दर्शक के रूप में शामिल हुए।

युवाओं का बढ़ता उत्साह

कुछ साल पहले तक रामलीला में दर्शकों की संख्या कम हो रही थी, लेकिन इस साल दून की रामलीला में भारी भीड़ उमड़ रही है। खास बात ये है कि इस बार युवा पीढ़ी भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। चाहे वो कलाकार बनकर मंच पर परफॉर्म करना हो या फिर दर्शक बनकर रामलीला का आनंद लेना हो, हर जगह युवाओं की भागीदारी देखने को मिल रही है। रामलीला अब सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बन गया है जहां युवा अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ रहे हैं।

डिजिटल युग में रामलीला का नया रूप

बदलते समय के साथ दून की रामलीला भी अब डिजिटल हो गई है। श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट, राजपुर के प्रधान योगेश अग्रवाल ने बताया कि उनका ट्रस्ट पिछले 75 सालों से रामलीला का आयोजन कर रहा है और इस साल उन्होंने इसे और भी खास बनाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया है। इस बार रामलीला का लाइव टेलीकास्ट यूट्यूब और एलईडी स्क्रीन के जरिए किया जा रहा है, जिससे देशभर के लोग इससे जुड़ रहे हैं। श्री रामकृष्ण लीला समिति, जिसने पिछले साल डिजिटल टेलीकास्ट से 10 लाख दर्शकों तक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया था, इस साल 50 लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। यह उत्तराखंड की पहली रामलीला होगी जो इतने बड़े पैमाने पर डिजिटल प्लेटफॉम्र्स के जरिये टेलीकास्ट की जा रही है।

बाहर से भी आए हुए हैैं कलाकार

रामलीला की जान उसके कलाकार होते हैं, और इस बार भी देहरादून की रामलीला में मथुरा और वृंदावन जैसे शहरों से आए कलाकार शामिल हो रहे हैं। इन कलाकारों की मेहनत और समर्पण रामलीला को और भी खास बना रहे हैं। वहीं,दून के स्थानीय कलाकार भी अपनी कला के जरिए इस परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं। राजपुर इलाके में अनुभवी कलाकारों ने इस साल भी शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे युवा पीढ़ी भी इससे प्रेरित हो रही है। अब तो कलाकार इतने मंझे हुए हो गए हैं कि सिर्फ पंद्रह दिनों में ही पूरी तैयारी कर लेते हैं और मंच पर शानदार प्रदर्शन करते हैं।

उत्तराखंड की ऐतिहासिक राजधानी टिहरी की रामलीला, जो 1952 में शुरू हुई थी, साल 2002 में टिहरी के डूबने के बाद वापस से 2023 में भव्य रूप से पुनर्जीवित की गई। इस बार विशेष आकर्षण के रूप में डिजिटल लाइव टेलीकास्ट और लेजर शो का आयोजन किया गया, यह आयोजन न केवल लोगों का मनोरंजन कर रहा है बल्कि उन्हें अपनी जड़ों और परंपराओं से भी जोड़ रहा है।

-अभिनव थापर, अध्यक्ष, श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952

हमारी समिति पिछले 156 सालों से रामलीला का आयोजन कर रही है। जिसके जरिये हम लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने का काम करते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में रामलीला के प्रति लोगों का उत्साह थोड़ा कम हो गया था, लेकिन इस साल हर दिन करीब 500 लोग रामलीला देखने के लिए आ रहे हैं, जिससे यह साफ है कि रामलीला की चमक फिर से लौट आई है। खासकर युवा और बच्चे रामलीला में दिलचस्पी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

-रौशन राणा, अध्यक्ष, श्री रामलीला कला समिति

रामलीला हमें जीवन के हर मोड़ पर जीने का तरीका सिखाती है, और आज के समय में जो हमारे युवा हैं उनके लिए ये जरूरी है कि वो रामलीला को देखे और उसे अपने जिंदगी परिवर्तन लाए। यही वजह है कि सालों पुराने कलाकार आज भी रामलीला में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही हल साल कुछ नए युवा कलाकार भी हमारे साथ जुड़ते जाते हैं, इससे न सिर्फ वो इस कथा से जुड़ रहे हैं बल्कि अपने आस पास के लोगों तक भी हमारी संस्कृति को पंहुचा रहे हैं।

-योगेश अग्रवाल, प्रधान, श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर

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