देहरादून (ब्यूरो) एमडीडीए हर साल 5 से 6 हजार नक्शे हर साल स्वीकृत कर रहा है। अब तक करीब 2 लाख से अधिक आवासीय व गैर आवासीय नक्शे एमडीडीए स्वीकृति कर चुका है। खास बात यह है कि नक्शा स्वीकृत कराने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रावधान जरूरी है, लेकिन इसे इम्प्लीमेंट नहीं किया जाता है। 1-2 परसेंट लोग ही नियमों का पालन कर रहे हैं, बाकी 98 परसेंट लोग इसे इम्प्लीमेंट नहीं कर रहे हैं। नक्शा स्वीकृत करने के बाद एमडीडीए भी इस ओर कोई ध्यान नहीं देता है और भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने पर आंख मूंद कर कंप्लीसन सर्टिफिकेट जारी कर रहा है।
मंत्री आवास तक सिमटा आरडब्ल्यूएच
जल संस्थान ने वर्षों पहले सरकारी आवासों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की स्कीम बनाई। यमुना कॉलोनी स्थित मंत्रियों के सरकारी आवासों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लॉट््स लगाए। 5-6 मंत्री आवासों में आरडब्ल्यूएच प्लॉट्स लगाकर इतिश्री कर ली गई। इसके बाद कहीं भी स्कीम नहीं बनाई है। जलागम को भी आरडब्ल्यूएच का जिम्मा है, लेकिन वह भी योजनाएं बनाने तक ही सीमित है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी विभाग रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कितने गंभीर हैं।
90 परसेंट तक सूखे कई स्रोत
हर साल अंडर ग्राउंड वाटर 50 सेमी। से अधिक नीचे खिसक रहा है। पानी का अनियोजित दोहन और रिचार्जिंग के प्रयास न किए जाने से जल स्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं। इस पर न तो सरकार का ध्यान जा रहा है और न ही निजी स्तर पर कोई प्रभावी तरीके से मुद्दा उठा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दून मेंं करीब 148 जल स्रोतों में से 128 पर संकट मंडरा रहा है। यहां 50 से लेकर 90 परसेंट तक दर्जनों स्रोत सूखने के कगार पर है। गर्मी में नेचुरल सोर्स ज्यादा सूख रहे हैं, जिससे पानी का संकट खड़ा हो रहा है। जल संस्थान का कहना है कि इन स्रोतों के सूख जाने से पानी की आपूर्ति में दिक्कत हो रही है। गर्मी में अंडर ग्राउंड वाटर भी और नीचे खिसक जाता है, जिससे पुराने ट्यूबवलों से भी डिस्चार्ज गिर जाता है। ऐसे में पानी की किल्लत बढऩे से समस्या और गहरा जाती है।
40 से ज्यादा स्रोत खतरे में
दून में करीब 40 ऐसे पानी के स्रोत हैं, जिनमें 80 परसेंट से लेकर 92 परसेंट तक पानी कम हो गया है। इन प्राकृतिक स्रोतों में खासकर गधेरा छोटी नदी, स्प्रिंग, शामिल है। संस्थान ने पानी के स्रोतों का सेर्व किया, तो यह चौंकाने वाले आकड़े सामने आए। रिकॉर्ड बताते हैं कि गधेरा, स्प्रिंग आधारित पेयजल योजनाओं के स्रोतों में कमी आई है। दून में अधिकतर एरिया में पानी की आपूर्ति प्राकृतिक स्रो से हाती है। कई एरिया ऐसे हैं, जहां इस बार 90 परसेंट तक पानी कमी हो सकती है।
स्कूलों के लिए आरडब्ल्यूएच अनिवार्य
प्राइवेट स्कूलों के लिए एमडीडीए ने गाइड लाइन जारी की है। भूजल रिचार्जिंग के लिए एमडीडीए के वीसी ने सभी प्राइवेट स्कूलों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लॉट्स लगाने के लिए निर्देश दिए हैं। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि जो स्कूल आदेश का पालन नहीं करेगा उनके भवन सील किए जाएंगे। एमडीडीए की इस चेतावनी के बाद देखना होगा कि प्राइवेट स्कूल इसका कितना पालन करते हैं।
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