देहरादून(ब्यूरो)। नशा मुक्ति केंद्रों में जारी अनियमितता के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई जारी है। लगातार दूसरे दिन प्रशासन व पुलिस की ज्वाइंट टीम ने राजधानी के शिमला बाईपास क्षेत्र में तीन सेंटरों पर छापेमारी की। जहां तमाम प्रकार की गड़बड़ियां पाई गई। टीम में सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चैहान, एसपी सिटी सरिता डोभाल, सहायक समाज कल्याण अधिकारी एसएस नेगी के अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मैक संस्था के जहांगीर आलम, मानसी मिश्रा आदि शामिल रहे। टीम ने सेंट लुईस लास्ट रिहेब से जीवनदान शिवा कल्याण नशा मुक्ति केंद्र तक छापेमारी की।
इन सेंटर्स पर छापा
- सेंट लुईस लास्ट रिहेब
- जीवन ज्योति
- जीवन दान शिवा कल्याण समिति
ये गड़बड़ियां मिलीं
-लास्ट रिहेब व जीवनदान नशामुक्ति सेंटर्स में मिली बड़ी गड़बड़ियां।
-दोनों सेंटर्स को तत्काल बन्द करने के दिए गए निर्देश
-लास्ट रिहेब में 43 व जीवनदान में 23 व्यक्तियों को किया गया था भर्ती।
-इन सेंटरों में नहीं हैं नशामुक्ति नियंत्रण के कोई उपाय।
-सभी सेंटरों में रूम्स में वेंटीलेशन तक की सुविधा नहीं।
-हर तरफ गंदगी का आलम, साफ सफाई के इंतजाम नहीं।
घर जाएंगे भर्ती लोग
शिमला बाईपास पर स्थित सेंट लुईस लास्ट रिहेब में एक महीने पहले भी छापेमारी हुई थी। सेंटर में उस दौरान जो कमियां पाई गई थी, उसमें कोई सुधार नहीं मिला। यहां जमीन पर सोते लोग मिले। टीम ने सेंटर संचालक को दो दिनों के भीतर भर्ती लोगों को घर भेजने के निर्देश दिए गए। इसी इलाके में मौजूद जीवन ज्योति सेंटर में पाया गया कि सेंटर सोसाइटी एक्ट में रजिस्टर्ड नहीं है। डॉक्टर तक का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर पाया गया। इसी प्रकार से तीसरे सेंटर जीवनदान में पाया गया कि एक बुजुर्ग को प्रॉपर्टी के विवाद के चलते परिजनों की ओर से सेंटर पहुंचाया गया। जहां सेंटर संचालक ने बुजुर्ग को भर्ती कर दिया। यहां पाया कि अधिकतर को बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के भर्ती कराया गया।
टीम ने खंगाले ये रिकॉर्ड
- सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन
- संचालक की डिटेल
- पुलिस वेरिफिकेशन
- सेंटर में कांउसलर व मेडिकल स्पेशलिस्ट
-वर्किंग स्टॉफ की डिटेल
-क्षमता से ज्यादा भर्ती लोगों की जानकारी
प्रॉपर्टी विवाद- बुजुर्ग को रिहेब में कर दिया भर्ती
प्रशासन की छापेमारी के दौरान एक चौंकाने वाला मामला भी सामने आया। जीवनदान शिवा कल्याण समिति रिहेब सेंटर में एक बुजुर्ग को उसके परिजनों ने प्रॉपर्टी विवाद के चलते भर्ती करा दिया था। रिहेब सेंटर संचालकों ने बुजुर्ग की हकीकत भी नहीं जाननी चाही कि मामला क्या है। बस मोटी रकम के चक्कर में उसे भर्ती कर लिया।