फायर सेफ्टी को लेकर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन लापरवाह
देहरादून, 29 मार्च (ब्यूरो)।
फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से अवेयनेस वर्कशॉप भी चलाई जा रही हैं। लेकिन, सरकारी हॉस्पिटल पब्लिक की सेफ्टी को लेकर संजीदा नहीं हैैं। ये लापरवाही हजारों लोगों की सेफ्टी के लिए खतरा है। दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की ओपीडी से लेकर आईपीडी, गायनी ओपीडी तक फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में फायर एक्सटिंग्युशर अपडेट नहीं मिले।
ऐसे किया रियलिटी चेक
-पहला दिन बुधवार
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की न्यू ओपीडी बिल्डिंग में पहुंची। यहां टीम ने जब फायर एक्सटिंग्युशर ढूंढने चाहे तो मिले ही नहीं।
-दूसरा दिन गुरुवार
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गुरुवार को न्यू इमरजेंसी बिल्डिंग और आईसीयू वार्ड में पहुंची। यहां टीम को फायर एक्सटिंग्युशर तो दीवार पर लगे मिले। लेकिन, इनमें डेट ही मेंशन नहीं थी।
आयुष्मान वार्ड, गायनी वार्ड का भी यही हाल
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम इसके बाद पुरानी बिल्डिंग में बने गायनी और बच्चा वार्ड में पहुंची। यहां अग्निशमन यंत्र तो सभी वार्ड में लगे मिले। लेकिन, इन सभी में डेट मेंशन नहीं मिली, जिसके बाद टीम ने आईसीयू समेत तमाम वार्ड का निरीक्षण किया। यहां अधिकतर फायर सेफ्टी के लिए लगाए गए यंत्र एक्सपायर मिले।
जिला हॉस्पिटल में अपडेट
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के साथ टीम ने अन्य सरकारी हॉस्पिटल का भी निरीक्षण किया। यहां टीम को अग्निशमन यंत्र के साथ कई इक्युपमेंट अपडेट मिले। यहां सभी वार्ड से लेकर इमरजेंसी और ओपीडी में अग्निशमन यंत्र की भी जांच की गई।
दून में 300 से ज्यादा इक्युपमेंट
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ओपीडी, इमरजेंसी और आईपीडी में करीब 300 से ज्यादा अग्निशमन यंत्र लगाए गए थे। जुलाई 2022 में इन्हें रिफिल भी कराया गया था। लेकिन, इसके बाद इन्हें रिफिल नहीं कराया गया, ऐसे में अगर आग की घटना हो जाए तो आग पर काबू पाना मुश्किल होगा। इसे रिन्यू न कराने के कारण ये एक्सपायर माने जाएंगे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब चीफ फायर ऑफिसर से बात की तो उन्होंने बताया कि अब अग्निशमन यंत्र में कुछ बदलाव किए गए हैं। कुछ नए अग्निशमन यंत्र 3 साल के लिए और एक साल के लिए वैलिड हैैं।
मीटर से हो सकता है चैक
अधिकारियों के अनुसार अग्निशमन यंत्र में एक छोटा सा इक्युपमेंट लगा होता है। वो लाल और हरे रंग का होता है। अगर इसमें लाल रंग है तो ये एक्सपायर हो चुका है। जबकि, अगर ये हरा है तो ये एक्टिव पोजिशन में है। वहीं काला कलर इंडिकेट करें तो ये खत्म होने वाला है।
डेली 2500 तक की ओपीडी
पेशेंट के साथ उनके परिजन भी होते हैं। ऐसे में एक दिन में हॉस्पिटल में 10 हजार से ज्यादा लोगों की आवाजाही होती है। इस बीच किसी भी तरह के शॉर्ट सर्किट होने व आग लगने की स्थिति में कैसे संभाला जा सकेगा।
फाल्स सीलिंग भी गिर रही
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की न्यू ओपीडी बिल्डिंग को बने अभी 5 साल भी नहीं हुए हैं। इसके बावजूद यहां इन दिनों हॉस्पिटल की ओपीडी के बाहर लगी फाल्स सीलिंग भी नीचे गिर चुकी है। साथ ही कई जगह वे उखडऩे की कंडीशन में है। यहां गायनी ओपडी के बाहर गर्भवती महिलाओं के लिए चेयर लगी हैैं। ऐसे में कमजोर फाल्स सीलिंग सिर पर गिरने से चोट लग सकती है।
हमारी ओर से डॉक्यूमेंट इंचार्ज से सभी इक्युपमेंट से सबंधित जानकारी मांगी गई है। हालांकि, अग्निशमन यंत्रों को एक साल पहले रिफिल कराया गया था। इसके बाद रिफिलिंग कराई गई या नहीं इसकी जानकारी नहीं है।
डॉ। धनंजय डोभाल, सीएमएस, दून हॉस्पिटल
समय के साथ अब अग्निशमन यंत्र में बदलाव किए गए हैं। लेकिन, इसकी वैलिडिटी मीटर पर लगे एक छोटे से इक्युपमेंट से पता चल सकती है। अगर इनकी रिफिलिंग समय पर नहीं कराई जाती तो ये एक्सपायर माने जाते हैैं। :-
राजेन्द्र खत्री, चीफ फायर ऑफिसर
हमारी ओर से हॉस्पिटल में हर व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है। किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत उसे अपडेट किया जा रहा है। इसके साथ ही कई जगह नए अग्निशमन यंत्र भी लगाए गए हैं। :-
-: प्रमोद पंवार, पीआरओ, कोरोनेशन हॉस्पिटल