देहरादून, ब्यूरो: ये किसी भी शहर के लिए नई बात नहीं है कि जिन फलों को आप बड़े आराम से घर ले जाते हैं। उनको पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे जानलेवा कैमिकल का यूज किया जाता है। लेकिन, ये भी सच है कि प्रतिबंध के बावजूद जिम्मेदार विभाग अलर्ट नहीं हैं। जी हां, दून में कुछ ऐसी ही सच्चाई हम आज आपको बता रहे हैं। यकीनन, इसको देखकर आप भी चौंक जाएंगे कि भोली-भाली जनता की जिंदगी के साथ कुछ लोग निजी स्वार्थों के लिए कितना खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं सब्जी मंडियों या फिर फल विक्रेताओं के पास मौजूद ताजे-ताजे दिखने व बिकने वाले फलों की। ये फल खुद नहीं, बल्कि खास कैमिकल से रातों रात पकाकर बिक्री के लिए सजा दिए जाते हैं।

1-
समय दोपहर डेढ़ बजे.
स्थान--निरंजनपुर सब्जी मंडी, फल विक्रेता

रिपोर्टर-आम पकाने थे, उसका पाउडर कहां मिलेगा।
फल विक्रेता-कार्बाइड?
रिपोर्टर-इससे फल पकाते है?
फल विक्रेता-हां, कितने आम हैं?
रिपोर्टर-होंगे 50-60 किलो।
फल विक्रेता-(दुकान की तरफ इशारा करते हुए) वहां से मिल जाएगा आपको कार्बाइड।
रिपोर्टर-भैया, कितने का मिलेगा।
फल विक्रेता-सबसे छोटा पाउच 10 रुपये का है।
रिपोर्टर-कैसे इस्तेमाल करेंगे?
फल विक्रेता-वो सब आपको समझा देगा।

2-
समय--दोपहर 2 बजे
निरंजनपुर सब्जी मंडी स्थित दूसरी शॉप

रिपोर्टर-आम पकाने का मसाला दे दीजिए।
दुकानदार-कार्बाइड?
रिपोर्टर-जी हां।
दुकानदार-मिल जाएगा। 10 रुपये के 3 पैकेट।
रिपोर्टर - इससे कितने आम पक जाएंगे।
दुकानदार-आपके पास कितने आम हैं?
रिपोर्टर - ऐसे ही करीब 50 किलोग्राम तक।
दुकानदार-हां हो जाएगा। कैरेट में आम डालकर इस मसाले के पैकेट को भिगो कर डाल देना। फिर उसके ऊपर अखबार का रद्दी डालकर कवर कर लेना। इसके बाद गैस बनेगी और 2-3 दिन में पक जाएंगे आम।
रिपोर्टर-इसके इस्तेमाल के नुकसान तो नहीं हैं?
दुकानदार-नहीं, इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखना। मंडी में तो ज्यादातर लोग इसी का प्रयोग करते हैं।

3-
समय--अपराह्न 2.45 बजे.
मोतीबाजार स्थित सब्जी मंडी

रिपोर्टर-क्या यहां केले और आम को पकाने वाला मसाला मिलेगा।
फल व्यापारी-हां जी, सांई मंदिर के पास दुकान में मिल जाएगा।
रिपोर्टर-इसको क्या बोलते हैं?
फल व्यापारी - कार्बाइड, इसी से ही फल पकाए जाते हैं।
रिपोर्टर-कितने का है ये।
फल व्यापारी - केवल 10 रुपये का ये छोटा पैकेट।
रिपोर्टर-एक पैकेट में कितने आम के लिए प्रयोग हो सकता है।
फल व्यापारी-एक पैकेट से करीब एक कैरेट आम तैयार हो जाएगा।
रिपोर्टर - एक कैरेट में कितने आम आएंगे।
फल व्यापारी-करीब 20 से 25 आम।

4-
समय--अपराह्न 3.30 बजे.
डीबीएस कॉलेज के पीछे स्थित सब्जी मंडी

रिपोर्टर-भैय्या, कार्बाइड मिल जाएगा।
फल विक्रेता-सामने वाली दुकान में मिल जाएगा।
रिपोर्टर-कितने का मिलेगा।
फल विक्रेता--10 रुपए की पुडिय़ा है छोटी-सी।
रिपोर्टर--कैसे इसका इस्तेमाल करना होगा।
फल विक्रेता--नहीं, फलों के हिसाब से इस्तेमाल करना होता है। बाकी दुकानदार समझा देगा


कई सब्जी मंडियों तक पहुंची टीम
फ्राइडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने एक नहीं, बल्कि, दून के करीब तीन सब्जी मार्केट का मुआयना किया। एक ग्राहक के तौर हमारे रिपोर्टर ने फलों को पकाने वाले कैमिकल किस कदर यूज किया जाता है, उसकी पड़ताल की। उसके बाद सब कुछ शीशे के तरह साफ हो गया। जहां भी फलों को पकाने वाले कार्बाइड की डिमांड की गई। वहां सबने कार्बाइड के उपलब्ध होने की जानकारी दी। यहां तक कि इसकी कीमत 10 रुपए की पुडिय़ा से शुरू बताई। हमने सबसे पहले शुरुआत सबसे बड़े सब्जी मंडी निरंजनपुर से की। कार्बाइड के बारे में जहां पूछा, वहां आसानी से उपलब्ध हो रहा था।

जहां मांगी, वहां मिली पुडिय़ा
इसके बाद हमारी टीम ने मोती बाजार स्थित सब्जी मार्केट का रुख किया। यहां भी कैल्शियम कार्बाइड आसानी से उपलब्ध हुआ। उसके बाद हमारी टीम डीबीएस कॉलेज के पीछे स्थित सब्जी मंडी पहुंची। वहां भी कार्बाइड बेखौफ मिलता रहा। यहां तक कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने खुद कार्बाइड की पुडिय़ा खरीदी। जहां से खरीदी वह इसको कैसे यूज करें, या कैसे न करें, का ज्ञान देते रहे।

पिछले दिनों विभाग ने किया चेक
ये सच है कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ने फलों को पकाने के लिए इस कैमिकल पर वर्ष 2011 से रोक लगाई है। इस बात को सब जानते हैं। लेकिन, फिर भी इसका बेखौफ यूज हो रहा है। हालांकि, यदा-कदा विभाग जब नींद से जागता है तो चेकिंग ने नाम पर खानापूर्ति कर अवेयरनेस की बात जरूरत कर देता है। इसी के तहत कुछ माह पहले फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम ने भी राजधानी के करीब 3 सब्जी मंडियों का विजिट किया। कैल्शियम कार्बाइड को क्या व्यापारी इस्तेमाल कर रहे हैं, सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। जिनकी रिपोर्ट का इंतजार है।

ज्यादा संवेदनशील सब्जी मंडियां
-निरंजनपुर सब्जी मंडी
-धर्मपुर सब्जी मंडी
-आईटी पार्क
-नेहरू कॉलोनी
-छह पुलिया
-डीबीएस कॉलेज के पीछे
-नालापानी चौक
-प्रेमनगर
-गढ़ी कैंट डाकरा चौक

इन फ्रूट्स के लिए होता है इस्तेमाल
-आम
-केला
-पपीता
-नींबू

कार्बाइड से पकने वाले फलों से आतों में सूजन, डिहाइड्रेशन, बीपी जैसी समस्या के साथ ही लंग्स में इंफेक्शन तक की शिकायत आ जाती है। लगातार कार्बाइड से पकने वाले फ्रूट के सेवन से कैंसर तक की संभावना होती है।
-डॉ। कुमार जी कौल, एसोसिएट प्रोफेसर, दून मेडिकल कॉलेज.

फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। बाकायदा, मौके पर जाकर टीम फ्रूट्स को पकाने के प्रॉसेस तक की जांच भी कर रही है। कई फलों के सैंपल भेजे गए हैं। किसी में भी कार्बाइड के इस्तेमाल की आशंका होने पर कार्रवाई की जाएगी।
-जीसी कंडवाल, डिप्टी कमिश्नर, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट।